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सेहत को डसेगी महंगाई डायन-- दीपक भंडारी

अमृतसर। महंगाई की मार अब सेहत पर पड़ने वाली है। सरकार ने यदि अस्पतालों में मरीजों से वसूले जाने वाले यूजर चार्जेस को रिव्यू करने के लिए बनाई कमेटी की सिफारिशों को मान लिया तो राज्य के सरकारी मैडिकल कालेजों से जुड़े तमाम अस्पतालों में इलाज महंगा हो जाएगा। उच्च वर्ग व माध्यम उच्च वर्ग से जुड़े लोग पहले से ही सरकारी अस्पतालों से मुंह मोड़ चुके हैं। माध्यम व निम्न वर्ग से जुड़े लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों का ही सहारा है। अब सरकार की नजर इन पर भी पड़ गई है। माना जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएं देने के लिए फंड आड़े आ रहे हैं, जिस कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।

हालांकि सरकारी अस्पतालों के अधिकारी इस कड़वी सच्चाई मानने को तैयार नहीं है। मैडिकल रिसर्च एंड एजुकेशन मंत्री तीक्ष्ण सूद के आदेशों पर तीन सदस्यीय कमेटी चंडीगढ़ स्थित पीजीआई, सेक्टर 32 तथा सेक्टर 16 के सरकारी अस्पतालों का दौरा करके वहां पर मरीजों से वसूले जाने वाले यूजर चार्जेस का सर्वेक्षण कर आई है।

जानकारी के अनुसार इन अस्पतालों में लिए जाने वाले यूजर चार्जेस राज्य के सरकारी अस्पतालों से अधिक हैं। सरकरी मैडिकल कालेज के ऑथरे विभाग यूनिट दो के इंचार्ज डा. आरपीएस बोपाराय की अध्यक्षता में बनी इस टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिसमें अस्पतालों में पर्ची फीस दो रुपए से बढ़ा कर पांच रुपए, लैबोरेटरी के टैस्टों में दस प्रतिशत की वृद्धि करना, निजी कमरों का किराया 35 प्रतिशत तक बढ़ाना, मेजर ऑपरेशन की फीस सौ प्रतिशत बढ़ाना, एंडोस्कोपी व ईको- कार्डियोग्राफी के रेटों में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा रोजाना लिए दाने वाले बैड चार्जेस में 50 प्रतिशत की वृद्धि किया जाना शामिल है।

पर्ची फीस व यूजर चार्जेस बढ़ाना जरूरी : बोपाराय
वर्षो से ओपीडी की फीस दो रुपए ली जा रही है। लोग अक्सर इस पर्ची को गुम कर देते हैं, जबकि डाक्टर ने मरीज की जांच कर इस पर ही डायग्नोस बना रखा होता है। इससे बार-बार डायग्नोस करने में कठिनाई होती है। इसलिए पर्ची फीस बढ़ाना जरूरी हो गया है। बेसिक चीजों के दामों में वृद्धि होने के कारण दूसरे यूजर चार्जेस में बढ़ोतरी की जरूरत है।
डा. आरपीएस बोपाराय, इंचार्ज, ऑथो विभाग, सरकारी मेडिकल कालेज

पंजाब हेल्थ सिस्टम कापरेरेशन से जुड़े अस्पातलों में ओपीडी पर्ची फीस तो बढ़ाई जा सकती है, लेकिन दूसरे यूजर चार्जेस नहीं बढ़ेंगे। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के चलते सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी फ्री की जा चुकी है। स्कूलों व कालेजों के विद्यार्थियों से भी पर्ची के पैसे नहीं लिए जा रहे हैं। एक बार पहले भी पर्ची फीस को दो रुपये से बढ़ाकर पांच रुपए करने की योजना बनी तो थी, लेकिन इस अमल नहीं किया जा सका था।
सतीश चंद्रा, सचिव, सेहत विभाग