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स्कूल पिछड़ा, उच्च शिक्षा बिखरा

भोपाल। तबादले के इस सीजन में शिक्षा से जुड़े दोनों महकमों की हालत अजीबोगरीब हो गई है। इस मामले में सबसे बुरी हालत साल भर तबादलों में उलझे रहने वाले स्कूल शिक्षा विभाग की है। अधिकारी, शिक्षक और कर्मचारी, सभी तबादलों की बाट जोह रहे हैं। वहीं उच्च शिक्षा ने इतनी लंबी सूची बना दी कि अब खुद ही नहीं संभाल पा रहा है। एक ही शिक्षक के कई-कई आदेश निकल गए तो विषयों के साथ भी तालमेल नहीं बन सका। इसके चलते पूरी की पूरी सूची ही बदल गई।

दस फीसदी का टारगेट लेकर तबादलों में जुटे उच्च शिक्षा विभाग के लिए पूरी मशक्कत मुश्किल में बदल गई है। महीने भर पहले से कवायद शुरू करने के बाद भी विभाग पहली सूची 15 जून को ही निकाल सका। वहीं अब इसकी लंबाई में विभाग खुद ही फंस गया है। न तो विभाग अपनी सूची की गोपनीयता रख पा रहा है और न खाली किए जा रहे पद की प्रतिपूर्ति ही मुकम्मिल हो पा रही है। हालत यह है कि एक ही व्यक्ति के एक से अधिक आदेश जारी हो गए तो कुछ नाम प्रदेश भर में फैल गए, लेकिन उनके आदेश शुक्रवार को भी जारी नहीं हो सक। इतना ही नहीं आदेश जारी होते ही उनके संशोधन जारी होने लगे वहीं विभागीय अधिकारियों की मर्जी के बगैर भी कई नाम सूची में जुड़ गए। इसके चलते जारी होने के बाद पूरी सूची रोकने की स्थिति बन गई।

सबसे बुरी गत हुई राजनीति शास्त्र के सहायक प्राध्यापकों की। करीब चालीस नाम वाली यह सूची गुरूवार को जारी कर दी गई, लेकिन सांझ ढलते ही रोक दिया गया। इसमें राजनीति शास्त्र के तो गिने चुने नाम थे, अंग्रेजी, इतिहास, हिंदी के कई शिक्षकों को यहां से वहां कर दिया गया था। सूत्रों की मानें तो संचालनालय में पदस्थ एक प्रोफेसर का नाम अधिकारियों की मर्जी के बगैर ही जुड़ गया। इस पर नजर पड़ते ही उठापटक शुरू हो गई। इसी प्रकार बालाघाट के इतिहास के पीके मिश्रा को एक आदेश में प्रशासकीय आधार पर गोहद भिंड भेजा गया तो दूसरे आदेश में उन्हें परसवाड़ा स्थानांतरित किया गया। रसायन के सहायक प्राध्यापक डॉ. एस गोस्वामी एमएलबी भोपाल के मामले में तो हद हो गई। एक ही आदेश में उनका नाम दो जगह शामिल है। इसी प्रकार संचालनालय में पदस्थ ओएसडी डॉ. मनोज अग्निहोत्री का आदेश भी अंतिम समय तक बदल गया। उनकी पदस्थापना को लेकर अभी भी उलझन है कि उनका तबादला सरोजनी नायडू कालेज में हुआ है कि गीतांजली में। यही स्थिति हमीदिया कालेज को लेकर है। वहां की प्राचार्य डॉ. सुधा बैसा को भोपाल संभाग का अतिरिक्त संचालक बनाया गया है। उनकी जगह संभालने के लिए गंजबासौदा के डॉ. कंछेदीलाल जैन तैयार बैठे हैं। उनके पास सूचना भी पहुंच गई, लेकिन आदेश आज तक नहीं मिला। इन सारी उलझनों का परिणाम है कि 16 जून को विभाग ने एक मुश्त सारे आदेश जारी कर दिए। इन्हें सुधारने का भी विभाग को समय नहीं मिला। अब जबकि विभाग ने संशोधित आदेश निकालना शुरू कर दिए हैं। इसके चलते प्रदेश भर में उलझन और बढ़ती जा रही है।

स्कूल शिक्षा के बुरे हाल

सबसे बुरे हाल स्कूल शिक्षा विभाग के हैं। वैसे तो तबादलों के मामले में स्कूल शिक्षा सबसे अलग विभाग है, जहां पूरे साल तबादले चलते हैं। बच्चों की पढ़ाई का हवाला देते हुए विभाग के अधिकारी और मुखिया बीच सत्र में तबादले न करने का दावा करते हैं, लेकिन ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब प्राचार्य से लेकर अध्यापक संवर्ग तक के तबादले नहीं होते हों। दूसरी ओर अब जबकि तबादलों का मौसम है,विभाग सूची ही जारी नहीं कर पा रहा है। सबसे बड़ा अमला होने के बाद भी सबसे कम तबादले हुए हैं। तैयारी पूरे पचास जिला शिक्षा अधिकारियों के तबादलों की थी, लेकिन अब तक एक दर्जन की सूची भी नहीं आ सकी। इनमें से भी बदलना शुरू हो गए हैं। यही हालत प्राचार्य और व्याख्याता के हैं। प्रदेश भर में अभी इंतजार ही चल रहा है। जबकि जिला स्तर पर काउंसलिंग की तैयारी चल रही है। कोई रिजल्ट के आधार पर सूची बनाने में जुटा है तो कहीं छात्र संख्या को देखते हुए तबादले की तैयारी है। ऐसे में तबादलों ने पूरे प्रदेश में उद्योग का रूप ले लिया है।

अफवाहों का बाजार भी गर्म

दोनों ही विभागों में आदेशों के गोलमोल होने से अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया है। सभी अपने-अपने अंदाज से लोगों को यहां से वहां कर रहे हैं। वहीं तैयार रहने की सूचना भी यहां-वहां हो रही हैं। इसके चलते राजधानी पहुंचने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।