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स्कूल में नहीं कोई टीचर, फिर भी रोज आते हैं 81 बच्चे

बलराम शर्मा, होशंगाबाद। स्कूल चलें हम अभियान के तहत शासन और प्रशासन बच्चों को स्कूल जाने के लिए तो प्रेरित कर रहा है, लेकिन स्कूलों में अभी तक शिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था वह नहीं कर सका है। जिला मुख्यालय पर एक हाईस्कूल ऐसा भी है, जहां वर्तमान में एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं। बिना शिक्षकों के इस हाईस्कूल में एक-दो नहीं पूरे 81 बच्चे दर्ज हैं। पढ़ने के लिए बच्चे नियमित रूप से स्कूल आते हैं, लेकिन बिना बस्ता खोले ही शाम को निराश घर चले जाते हैं। विभाग द्वारा यहां शिक्षकों की व्यवस्था के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

शहर के ग्वालटोली मिडिल स्कूल का उन्ननयन पिछले शिक्षा सत्र में किया गया था। हाईस्कूल तब्दील होने पर यहां पहली साल नवमीं कक्षा में 15 बच्चे दर्ज थे। इसके बावजूद यहां विभाग द्वारा एक भी नियमित शिक्षक पदस्थ नहीं किया गया। पूरे सत्र की पढ़ाई अतिथि शिक्षकों भरोसे चली। इस साल स्कूल में दसवीं कक्षा में 15 और नवमीं कक्षा में 66 बच्चे दर्ज हैं। इसके बावजूद यहां एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं किया गया है।

कोर्स का एक भी पाठ पूरा नहीं हुआ

विद्यार्थियों ने बताया कि वे रोज स्कूल आ रहे हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं है। स्कूल खुलने से लेकर बंद होने की बीच कभी-कभारबार मिडिल स्कूल के कोई सर आकर उन्हें कुछ बता देते हैं। इसके बाद वे छुट्टी होने पर वे घर चले जाते हैं। अभी तक उनके कोर्स का एक भी पाठ पूरा नहीं हुआ है। पिछले सत्र में विज्ञान सहायक के पद पर एक शिक्षिका को पदस्थ किया गया था। कुछ दिनों बाद वे लंबी छुट्टी पर चली गईं, उसके बाद से अभी तक ड्यूटी पर नहीं लौटी। व्यवस्था मिडिल स्कूल के शिक्षक डीएस मेहरा संभाल रहे हैं।

इनका कहना

यह सही है कि ग्वालटोली स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं है। इस संबंध में डीपीआई से हाल ही में निर्देश मिले हैं। वहां अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही वहां पर्याप्त संख्या में अतिथि शिक्षक पदस्थ किए जाएंगे।

-एलआर चौरे, डीईओ होशंगाबाद

..यहां बच्चे 10 भी नहीं और शिक्षक हैं दो

गढ़ाकोटा। संकुल में दो-तीन स्कूल ऐसी भी हैं, जहां बच्चों की संख्या दस के ऊपर भी नहीं है, इसके बाद भी उन्हें दो-दो शिक्षक पढ़ा रहे हैं। लेकिन अब ऐसी स्कूलों को बंद करने का प्रस्ताव शासन-प्रशासन के पास भेज दिया गया है। इसके एवज में यह स्कूलें गढ़ाकोटा और रहली में खोली जाएगी। आवास कालोनी कुमरई, मडिया अग्रसेन और खुमेरिया स्कूल में बच्चों की संख्या दस के ऊपर भी नहीं हो सकी और दो शिक्षक इनको पढ़ा रहे हैं।

ऐसी स्कूलों के बदले रहली, गढ़ाकोटा में स्कूल खोले जाएंगे। इसके लिए कलेक्टर की अनुमति ली जाएगी। साथ ही इन स्कूलों में दो-दो शिक्षक रखने और 5-6 बच्चों पर माध्यांह भोजन सहित पुस्तकें, स्कॉलर में शासन का लाखों खर्च होता है।

अगर यहां पदस्थ शिक्षकों को कमी वाले स्कूलों में पहुंचा दिया जाए तो अतिथि शिक्षकों की जरुरत नहीं पड़ेगी। बताया जाता है कि शासकीय बालक हायर सेकंडरी सहित इस संकुल के स्कूलों के हाल-बेहाल है। जो शिक्षक शिक्षक संकुल प्राचार्य के आसपास रहते हैं, उनका वेतन नहीं काटा जाता और जो दस मिनट भी देरी से आएं उनको वेतन काट दिया जाता है।