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स्कूलों को प्यास-अंधेरे ने जकड़ा

देहरादून। सूबे के प्राइमरी से लेकर माध्यमिक के सैकड़ों स्कूलों को 'प्यास और अंधेरा' जकड़े हुए है। हजारों छात्र-छात्राओं पर गरमी ही नहीं, हर मौसम भारी गुजरता है। 12 हजार स्कूलों में बिजली का उजाला नहीं तो 1800 स्कूल प्यासे हैं। स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि नौनिहालों के बहुमुखी विकास से सूबे की शिक्षा करीबी रिश्ता कायम करना तो दूर, कोसों दूर नजर आ रही है।

प्राइमरी से माध्यमिक के करीब 20 हजार में नौ फीसदी स्कूलों ने पेयजल और 60 फीसदी ने अब तक बिजली के दर्शन नहीं किए। पारा चढ़ने पर हजारों छात्र-छात्राओं के कंठ सूखते हैं तो कंपकंपाती ठंड में पेड़ों व चोटियों से छनकर आने वाली धूप का आसरा है। अन्य सुविधाओं में लाइब्रेरी, शौचालय, खेल के मैदान के मामले में तो हालात और बदतर हैं। शिक्षा की गुणवत्ता और भावी कर्णधारों का व्यक्तित्व निखारने में स्कूलों और शिक्षा महकमे को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। शहरी इलाकों से लेकर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या बनी हुई है। दुर्गम स्थानों में हालात ज्यादा खराब हैं। वहां सुविधा मुहैया कराने के दावे मुंह के बल गिर रहे हैं। सूबे के 300 प्राइमरी, 500 अपर प्राइमरी और एक हजार माध्यमिक स्कूल पेयजल सुविधा को तरस रहे हैं। 1900 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं। प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों से अभी तक लाइब्रेरी नदारद रही है। सैकड़ों माध्यमिक स्कूलों में अभी लाइब्रेरी का बंदोबस्त किया जाना है। 1400 हाईस्कूल व इंटर कालेज ऐसे हैं, जहां लाइब्रेरी की दरकार है। चाहरदीवारी के मामले में नए खुले हाईस्कूल फिसड्डी हैं। 174 हाईस्कूलों में चाहरदीवारी की जरूरत है। खेल प्रतिभाओं के विकास में स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं हैं। वजह है खेलकूद के मैदान और अन्य सुविधाओं की कमी। महकमे के मानकों के मुताबिक पर्वतीय क्षेत्रों में वालीबाल के दो मैदानों के बराबर एक प्ले ग्राउंड और मैदानी क्षेत्रों में फुटबाल मैदान के बराबर प्ले ग्राउंड होना चाहिए। सैकड़ों स्कूल प्ले ग्राउंड के मानकों पर खरा नहीं उतरते। महकमे ने जिन स्कूलों के आसपास छोटे मैदान मौजूद हैं, उन्हें प्ले ग्राउंड के तौर पर दर्शा रखा है। इन आंकड़ों के अनुसार एक हजार प्राइमरी स्कूल और 658 हाईस्कूल बगैर खेल मैदान के हैं। इस संबंध में शिक्षा निदेशक पुष्पा मानस का कहना है कि दूरदराज विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्कूल भवनों और खेलकूद मैदान को लेकर समस्या बनी हुई है। इस समस्या के निदान को ठोस रणनीति बनाई जाएगी। माध्यमिक स्कूलों में अब राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के जरिए सुविधाओं की कमी दूर की जाएगी। अभियान के बजट में इस बाबत प्रावधान किया गया है। पेयजल संकट के बारे में स्कूलों की सूची संबंधित महकमों को सौंपी जाएगी। प्राइमरी स्तर पर सर्व शिक्षा अभियान में हर वर्ष स्कूलों में जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं।