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स्टील प्लांट के मुआवजे पर चिटफंड कंपनियों की नजर

जगदलपुर (ब्यूरो) । राजधानी व बिलासपुर में चिटफंड कंपनियों की बड़ी धांधली उजागर होने के बाद जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के कान खड़े हो गए हैं। स्टील विलेज नगरनार में किसानों को मिले मुआवजे के बाद ग्रीनरे नामक कंपनी ने एवरग्रीन प्लान के तहत गोल्ड देने का प्रलोभन देकर चालीस फीसदी ग्रामीणों को जाल में फंसा लिया है। मुख्यालय के निर्देश पर जिला व पुलिस प्रशासन ने इस प्रकार की वित्तीय कंपनियों के दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं।

ग्रीनरे नामक कंपनी ने सुनियोजित ढंग से नगरनार इलाके के किसानों को गिरफ्त में लिया है। स्थानीय एजेंट के द्वारा लोगों को लोगों को यह निवेश के बदले गोल्ड देने का प्रलोभन दिया गया। विश्वास जमाने के लिए प्रारंभिक चरण में कुछ लोगों को शर्तों के अनुसार रकम वापसी की गई।

इसके बाद सैकड़ों ग्रामीणों का एकाउंट खोला गया है जिनके भुगतान भगवान भरोसे है। नगरनार समेत आसपास के इलाकों में कंपनी ने लोगों को सब्जबाग दिखाकर करो़ डों का निवेश करवाया है।

नगरनार में दुकान संचालक गंगाधर दास ने बताया कि ग्रीनरे इंटरनेशनल कंपनी ने यहां कई स्थानीय एजेंट नियुक्त किए। एजेंट के द्वारा उससे छह हजार रूपए प्रति माह लिया जाता रहा। साथ ही पासबुक भी बनवाया गया है। परिक्वता अवधि के एक माह पहले से ही एजेंट ने किश्त लेना बंद कर दिया है। भुगतान को लेकर गंगाधर संशय में है।

किसान रामेश्वर पटेल के अनुसार उन्होंने नौ माह पहले ग्रीनरे में खाता खोला था। पत्नी व खुद के नाम से हर माह 750 रूपए जमा करते आ रहे हैं। रायपुर में कंपनी द्वारा बोरियाबिस्तर समेटकर भागने की खबर से उन्हें चिंता सताने लगी है। इसी प्रकार हबीब अहमद ने भी प्रतिदिन दौ रूपए का अकांउट इसी कंपनी में खुलवाया है। इससे जु़ डा एजेंट एनएमडीसी कर्मचारी बताया गया है।

इसके अलावा किराना दुकान संचालिका गीता सेठिया समेत पान दुकान, होटल, सेलनू तथा अन्य गुमटी वालों तक को कंपनी के एजेंट ने जाल में फांस लिया है।

शहर के हाटकचोरा निवासी गृहणी श्रीमती सीता राव ने बताा कि उन्होंने तीन साल पहले ग्र ीनरे कंपनी में खाता खोला था। 600 रूपए प्रति माह जमा करती थीं। फरवरी माह में खाता परिपक्व होने के बाद जब वह संबंधित एजेंट से भुगतान के लिए मिली तो उसने चार माह बाद रकम आहरित होने की बात कही।

तीन माह में लौटाई जाएगी रकम

ग्रीनरे इंटरनेशनल लिमिटेड के शहर स्थित दफ्तर के बीएम कार्यालय में मौजूद नहीं मिले। मौजूद स्टाफ व एजेंटों ने बताया कि शाखा प्रबंधक एसके सादिक अवकाश पर हैं इसलिए अधिकृत बयान देने में वह अक्षम हैं। इसके बावजूद चर्चा में उन्होंने बताया कि कंपनी मुख्यालय से मिले निर्देश के अनुसार चार मई से इस दफ्तर में भागीदारों से किसी तरह लेन-देन नहीं किया जा रहा है। साथ ही सभी भागीदारों(निवेशकों) की जमा राशि आगामी तीन माह में लौटा दी जाएगी। इसकी जानकारी वह भागीदारों को दे रहे हैं। कंपनी बंद नहीं है।

दस्तावेज जब्त

मामले की जांच कर रहे उप निरीक्षक उत्तम साहू ने बताया कि कंपनी के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। निवेशकों के बारे में ब्योरा मांगा गया है। जांच के दौरान कंपनी को वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाने कहा गया है। हालांकि अभी तक किसी निवेशक ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।