Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/स्वयं-सहायता-समूहों-ने-छीना-बच्चों-का-निवाला-469.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | स्वयं सहायता समूहों ने छीना बच्चों का निवाला | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

स्वयं सहायता समूहों ने छीना बच्चों का निवाला

झाबुआ/भोपाल। आदिवासी अंचल झाबुआ जिले की अधिकांश स्कूलों से बच्चे भूखे लौट रहे हैं। उन्हें स्वयं सहायता समूहों की गड़बड़ियों के चलते भूखा लौटना पड़ रहा है। गांव के स्वयं सहायता समूहों पर दबंगों का कब्जा है और मध्याह्नं भोजन योजना दबंगों के मकड़जाल में उलझ कर रह गई है।

मध्याह्नं भोजन में विसंगति में नया तथ्य यह है कि जो शिक्षक मध्याह्नं भोजन न मिलने का या अमानक भोजन देने का विरोध कर रहे हैं उन्हें स्वयं सहायता समूहों की दादागिरी का सामना करना पड़ रहा है। विगत एक सप्ताह के भीतर ही दो शिक्षकों को स्वयं सहायता समूहों से जुड़े लोगों ने पीट दिया। मामला थानों तक जा पहुंचा है लेकिन जिला प्रशासन के पास एक भी शिकायत मौजूद नहीं है।

थांदला-पेटलावद ब्लॉक में पीटे शिक्षक : थांदला विकासखंड के लाटपुरा गांव में पदस्थ शिक्षक महेश डामर को स्वयं सहायता समूह समर्थकों ने विगत 14 नवंबर को उस समय पीट दिया वह मध्याह्नं भोजन चार माह से विद्यार्थियों न मिलने संबंधित दस्तावेज लेकर जनपद के सीईओ के पास जा रहे थे। काकनवानी पुलिस में इसकी शिकायत भी दर्ज करवाई गई है। अब आलम यह है कि महेश डामर नामक यह शिक्षक स्कूल ही नहींजा रहा है क्योंकि उसे अपनी जान का खतरा है। उसने बीईओ को इस आशय की जानकारी भी दे दी है। दूसरा मामला पेटलावद विकासखंड के रायपुरिया गांव का है, जहां हरिओम स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष मीरा पाटीदार ने मंगलवार को शिक्षक सुनील पटवा को सिर्फ इस बात से नाराज होकर अपनी दो सहयोगियों के साथ मिलकर पीट दिया क्योंकि वे सब्जी में कीड़े होने एवं कच्ची रोटी दिए जाने का विरोध कर रहे थे। यह मामला भी रायपुरिया थाने पर पहुंचा है। यहां के प्राचार्य मंजुला कौशल ने भी स्वयं सहायता समूह पर दादागिरी करने का आरोप लगाया है। यह दो उदाहरण पूरे झाबुआ जिले की मध्याह्नं भोजन योजना में चल रही स्वयं सहायता समूहों की दादागिरी एवं फर्जीवाड़े को दर्शाते हैं।

अधिकांश समूहों पर सरपंच-तड़वियों का कब्जा

झाबुआ जिले में 312 स्वयं सहायता समूह संचालित है जो जिले के झाबुआ, राणापुर, मेघनगर, थांदला, पेटलावद एवं रामा विकासखंड में मध्याह्नं भोजन योजना को संचालित कर रहे हैं। कहने को तो शासन की मंशा यह थी कि गांव की महिलाओं को सामूहिकता की भावना सीखाकर उन्हें आर्थिक रूप से समूहों के माध्यम से सुदृढ़ बनाया जाएगा। लेकिन हकीकत में इससे उलट हो रहा है। समूहों पर सरपंच-तड़वियों का कब्जा हो गया है। समूह उनके रिश्तेदारों या शुभचिंतकों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं और झाबुआ जिले के गांव में अभी तक शिक्षकों या कर्मचारियों की हिम्मत गांव के इन दबंगों का विरोध करने की नहींहै।

.. लेकिन जिले में एक भी शिकायत दर्ज नहीं

यह विडंबना है या कागजी खेल कि जिला मुख्यालय झाबुआ पर मध्याह्नं भोजन योजना में स्वयं सहायता समूहों की गड़बड़ी की एक भी शिकायत दर्ज नहींहै। यह कहना है जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी (मध्याह्नं भोजन) आरएस चौहान का। चौहान ने बताया कि जिले में अभी तक कोई भी शिकायत नहींपुहुंची है। अगर शिकायत जनपदों में पहुंची होगी तो उन्होंने अपने स्तर पर निपटारा कर लिया होगा। यहां जिला प्रशासन की गंभीरता समझने की जरूरत है। अति महत्वपूर्ण मध्याह्नं भोजन योजना की शिकायत संबंधी जानकारी तक अगर जिले में उपलब्ध नहींहै तो जिले की रुचि इसे संचालित करने में कैसी है इसे आसानी से समझा जा सकता है।

भूखे लौटते है स्कूली बच्चे

स्वयं सहायता समूह दादागिरी कर शिक्षकों से पूरी उपस्थिति दर्शाने और मध्याह्नं भोजन दिए जाने संबंधी कागजी सहमति लेने की कोशिश करते हैं। अधिकांश में वे सफल भी हो जाते हैं लेकिन इसका परिणाम यह हो रहा है कि ग्रामीण इलाकों से स्कूली बच्चे भूखे लौट रहे हैं और जहां कहीं भी मध्याह्नं भोजन मिल भी रहा है वहां गिनती की एक रोटी और पतली दाल की उपस्थिति ही मध्याह्नं भोजन के नाम पर है।

इस संदर्भ में अमरसिंह बघेल, जिला पंचायत सीईओ कहते हैं, मुझे इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है, अखबारों में जरूर पड़ा है। एसडीएम जांच कर रहे हैं। मध्याह्नं भोजन योजना में अगर कहीं विसंगति है तो उसे दुरुस्त किया जाएगा।