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स्वाइन फ्लू के बाद अब मर्स कोरोना वायरस का खतरा!

  • -नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने सभी राज्यों को मिडिल इस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम कोरोना वायरस की निगरानी रखने के लिए लिखा पत्र।
  • -संदिग्ध मरीज की जांच का सैंपल एनसीडीसी दिल्ली व एनआईवी पूणे भेजने के निर्देश।
जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मिडिल इस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम कोरोना वायरस (Middle East Respiratory Syndrome Coronavirus) के प्रकोप को फैलने से पहले ही अलर्ट जारी किया है। चिकित्सा से जुड़े अधिकारियों को संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, यमन एवं कुवैत से आने वाले नागरिकों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए है। मौजूदा हालात में मर्स कोव बीमारी के फैलने की आशंका के चलते यह निर्णय लिया गया है।
 
दरअसल, प्रदेश में स्वाइन लू के 6 हजार पॉजिटिव केसेज में अब तक 564 लोगो के मौत के मुंह में जाने के बाद पहले से सचेत किया है। केन्द्र सरकार के नेशनल सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने सभी राज्यों को मिडिल इस्ट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज के सैंपल लेने के लिए पत्र लिखा है।
 
नेशनल प्रोजेक्ट ऑफिसर की ओर से राज्यों के अधिकारियों को लिखे पत्र में मर्स-कोव नामक वायरस की जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी पूणे और एनसीडीसी दिल्ली में गले के स्वाब का सैंपल भेज सकते है, जिसकी पैकेजिंग ट्रिपल लेयर सिस्टम होनी चाहिए।
 
स्टेट सर्विलेंस ऑफिसर डॉ.आदित्य आत्रेय ने बताया कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की फ्लाइट से आने वाले नागरिकों पर निगरानी रखने, संदिग्ध मरीज का सैंपल लेने के लिए रेपिड रेस्पॉन्स टीम को सतर्क कर दिया है। बीमारी का कारण, बचाव एवं उपाय की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 104 पर भी संपर्क कर सकते है।
 
330 में से 59 की मौत:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 330 कन्फर्म पॉजिटिव केसेज में 59 लोगों की मौत हो चुकी है। कुवैत सउदी अरबिया (290), यूनाइटेड अरब अमीरात (37), जॉर्डन (दो) एवं यमन में एक मामला सामने आ चुका है।
 
लक्षण :
बुखार, सिर-दर्द, खांसी, सीवियर निमोनिया , सांस लेने में दिक्कत, गुर्दे का काम नहीं करना। 

सिर्फ बचाव ही उपाय :
जिस तरह से स्वाइन फ्लू बीमारी का कारण सूअर, उसी तरह से मर्स-कोव का कारण ऊंट माना जा रहा है। विशेषज्ञ के अनुसार मर्स-कोव के लिए सिर्फ बचाव ही उपाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौजूदा स्थिति में अभी तक इस बीमारी की न तो दवा है, न ही टीका है। खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता से भी बीमारी से बचा सकता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में नहीं रहना तथा सफाई पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।