Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/हंगामा-सिर्फ-मैगी-को-लेकर-क्यों-तवलीन-सिंह-8433.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | हंगामा सिर्फ मैगी को लेकर क्यों- तवलीन सिंह | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

हंगामा सिर्फ मैगी को लेकर क्यों- तवलीन सिंह

पिछले सप्ताह मैगी नूडल्स को लेकर जमकर हंगामा हुआ। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे नहीं गए। उदाहरण के लिए, जिन विशेषज्ञों ने तय किया कि मैगी में सीसा खतरनाक हद तक पाया गया है, उनका इन चीजों में अनुभव कितना है? जिन प्रयोगशालाओं में इसकी जांच की गई है, वे कितने आधुनिक हैं? नेस्ले खाद्य पदार्थों की दुनिया में सबसे बड़ी कंपनी है, तो क्या भारत के बाजारों में लाने से पहले उसने अपने उत्पादों की जांच स्विट्जरलैंड के विशेषज्ञों से नहीं करवाई होगी?

एक टीवी चर्चा के दौरान मैंने जब यह बात कहने की कोशिश की, तो मुझे उन लोगों से ट्वीटर पर खूब गालियां सुननी पड़ीं, जो मानते हैं कि नेस्ले जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जब भारत आती हैं, तो स्थानीय स्तर देखने के बाद अपनी सफाई-सुरक्षा का स्तर गिरा देती हैं। इस तरह की मानसिकता अपने देश में पुरानी है, क्योंकि हमने स्वतंत्रता के बाद पूर्व सोवियत संघ की नकल करते हुए पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को खलनायक समझ रखा है। याद कीजिए, किस तरह कोका कोला और आईबीएम को मोरारजी देसाई की सरकार ने 1977 में भारत से निकाल दिया था। उससे देशवासियों का यह नुकसान हुआ कि भारत में कंप्यूटरों को आने में करीब एक दशक का विलंब हो गया। जहां तक मैगी का सवाल है, तो न सिर्फ बच्चे इसे पसंद करते हैं, बल्कि उनकी माताएं भी इसे पसंद करती हैं, क्योंकि महानगरों में थक-हारकर जब काम से लौटती हैं वे, तो मैगी उनकी मददगार साबित होती है।

कोका कोला को फिर से बाहर करने की कोशिश कोई दस वर्ष पहले हुई, जब एक पर्यावरण बचाओ गैरसरकारी संस्था ने निजी तौर पर जांच करवाने के बाद घोषित कर दिया कि कोका कोला में आर्सेनिक पाया गया है। जांच कराने के बाद मालूम पड़ा कि इसकी वजह देश का पानी था, कोका कोला का नहीं। सच तो यह है कि इस देश में हर नुक्कड़ पर ऐसे खाद्य पदार्थ मिलते हैं, जिनकी जांच करवाई जाए, तो उसमें कोई न कोई जहर पाया जाएगा। गरीबी और गंदगी के कारण देश के अनेक किसान इतने प्रदूषित पानी में सब्जियां उगाते हैं कि उन्हें अगर कच्चा खाया जाए, तो जान पर बन आ सकती है।

इससे भी कड़वा सच यह है कि सड़सठ वर्षों की आजादी के बाद भी देश के आम आदमी को हम पीने का स्वच्छ पानी दे नहीं पाए हैं। पांच वर्ष तक के बच्चों की इस देश में जो असामयिक मौत होती है, उसका एक बड़ा कारण वह बीमारी है, जो गंदा पानी पीने से होती है। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना हमारी सरकारों का बुनियादी दायित्व है, पर उनकी इस नाकामी को लेकर मैंने कभी हंगामा होते नहीं देखा है। हमारी सरकारों का दायित्व यह भी है कि बच्चों को स्कूलों में स्वच्छ आहार दिया जाए, लेकिन यथार्थ यह है कि जो खाना स्कूलों में बांटा जाता है, उसमें अक्सर घुन और कीड़े होते हैं। क्या इसे लेकर आपने कभी हंगामा होते देखा?

इसके बजाय हमने मैगी नूडल्स को लेकर इतना हंगामा किया, जैसे कि नेस्ले जान-बूझकर हमारे देश में जहरीले खाद्य पदार्थ बेच रही हो। इस हंगामे को देखकर मुझे ऐसा लगा कि अब भी हम उस मानसिकता के शिकार हैं, जिसके तहत आईबीएम जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी को देश से निकाला गया था, बावजूद इसके कि हमारी सरकारें जानती थीं कि इससे नुकसान देश का ज्यादा होगा, आईबीएम का कम।