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हर भूमिहीन को जमीन!

जहां 2009 के लोकसभा चुनाव में मनरेगा योजना ने यूपीए-1 की किस्मत बदल डाली, अब यूपीए-2 की नजर एक ऐसा ही महत्वाकांक्षी कानून लाने पर है. कांग्रेस नीत यूपीए सरकार भूमि अधिकार कानून के जरिए 2009 के नतीजों को दोहराने की तैयारी कर रही है.

2014 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपीए ने महत्वाकांक्षी भूमि सुधार कानून का मसौदा तैयार किया है जिसका मकसद गांवों में रहने वाले भूमिहीन परिवारों को जमीन मुहैया कराना है. ड्राफ्ट के मुताबिक भूमिहीन परिवारों को जमीन दी जाएगी जिसका इस्तेमाल घर बनाने के अलावा आमदनी अर्जित करने के लिए किया जा सकेगा. कानून के अनुसार भूमिहीन गरीबों को कम से कम 0.1 एकड़ या 4356 वर्ग फीट के बराबर जमीन दी जाएगी.
इस कानून का मसौदा भूमि सुधार पर गठित विशिष्ट समिति ने तैयार किया है. इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश कर रहे हैं. कानून पर यूपीए के अन्य मंत्रियों की प्रतिक्रिया लेने के लिए इसे 18 मार्च को उनके पास भेजा जाएगा. केंद्र सरकार इस कानून को मानसून सत्र में संसद में पेश करने की तैयारी में है ताकि इससे चुनावी फायदा हासिल किया जा सके.
जयराम रमेश ने मेल टुडे से कहा, \' हमारा मकसद है कि जिनके पास अपनी जमीन और घर नहीं है उन्हें उनका अधिकार दिया जाए. कुछ वैसे ही जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम और वन अधिकार कानून के जरिए गरीब जनता की मदद की गई.\' उन्होंने कहा, \'सरकार देश में भूमिहीन गरीबों को अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है.\'
कांग्रेस पार्टी का भी है साथ
आंकड़ो के लिहाज से इस भूमि सुधार कानून का मसौदा बेहद ही क्रांतिकारी है. 11वीं पंचवर्षीय योजना के मुताबिक देश में 13 लाख से 18 लाख भूमिहीन परिवार है. यूपीए का मानना है कि महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों की वजह से अगले चुनाव में उसे शहरी मतदाताओं की बेरुखी का सामना करना पड़ सकता है.
ऐसे में उनकी नजर ग्रामीण वोटरों पर है जिन्हें लुभाने के लिए पार्टी सारे हथकंडे अपनाने को तैयार है. शायद यही वजह है कि यूपीए ने इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और कैश सब्सिडी स्कीम जैसी योजनाओं को ज्यादा तवज्जो दी है. साथ ही प्रस्तावित भूमि सुधार कानून भी इसी दिशा में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम होगा.
यूपीए की इस रणनीति को कांग्रेस का भी समर्थन है. पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, \'कांग्रेस भूमि सुधारों के पक्ष में है, भूमिहीन जनता को जमीन देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं ताकि उस वर्ग के पास रहने के लिए एक घर हो और वह इज्जत के साथ जिंदगी बिता सके.\'
हालांकि इस कानून को जमीनी हकीकत बनने में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. जमीन से जुड़े मामले राज्य सरकार के अधीन होते हैं. ऐसे में किसी केंद्रीय कानून का प्रभाव सीमित हो सकता है.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि ऐसी स्थिति में कानून को लागू करने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों को आगे आना होगा. एक बार जब कानून इन राज्यों में सुचारू ढंग से लागू हो जाएगा. तो बाकी राज्यों पर इसे लागू करने का दबाव बनेगा. कांग्रेस का अनुमान है कि यह कानून लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए मददगार साबित होगा.