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हर साल सूखाड अकाल..! कोरैया के किसानों से सीख लीजिए..

गढवा : सूखाड-अकाल भोग रहे झारखंड में एक ऐसा गांव भी जहां किसानों ने अपनी कठोर मेहनत से इंद्रदेव के कोप को नाकाम कर दिया है। गढवा जिला के कौरया गांव के किसानों की खेतों में मकई और धान की फसल लहलहा रही है। यह महज एक पखवारे के परिश्रम का फल है। और अब तो हफ्ते भर से हो रही बारिश ने और भी उम्‍मीदें जगा दी हैं। शायद, पराजित इंद्रदेव ने अपनी हठ छोड दी है। मौसम वैज्ञानिकों ने इसे मकई की फसल के लिए बेहतर बताया है।
कौरया गांव में तकरीबन दो सौ से ज्यादा कृषक परिवार हैं। उनमें अधिसंख्‍य ने ‘न्‍यूजविंग’ से शिकायत की कि सरकारी सूखा-राहत के तौर पर बंट रहा अनाज उन्हें आजतक नहीं मिला। लेकिन वे हताश नहीं हुए। निर्णय लिया कि किसी तरह अपने खेत को ही लहलहा देंगे। याद कीजिए, इसी जिले से सटे डालटनगंज के छत्तरपुर प्रखण्ड के किसानों ने पिछले कुछ सालों से लगतार कम हो रही बारिश और सरकारी उदाशीनता के कारण देश के राश्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की थी।

राजधानी राँची से २८० किमी की दूरी पर स्थित कौरया गढवा जिला के नगर उटारी प्रखण्ड का एक गांव है जो उतर प्रदेश की सीमा से सटा है। मुख्य सडक से आगे पश्चिम की ओर तीन किमी जाने पर बिंढमगंज पडता है जहां से उतर प्रदेश की सीमा शुरू होती है। नगर उटारी से आगे बढने पर ही कुछ कुछ दूरी पर लहलहाते खेत दिख जाते हैं। गांव में रहने वाले ९० फीसदी परिवार मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भर हैं। कुछ परिवार के लोग जो पढ लिख गये हैं, सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं। जिन परिवारों के पास खेती के लिए अपनी जमीन नहीं है वे किसी दूसरे के खेत में काम कर गुजारा चलाते हैं।
कौरया के ही एक किसान शंभू यादव कहते हैं, ‘हमें सरकार के किसी भी योजना की जानकारी नहीं है, गावं के अधिकांश लोग किसी अधिकारी को पहचानते तक नहीं क्योंकि हमारे पास खेती का काम छोडकर ब्लॉक आफिस के चक्कर लगाने का समय नह और साहब लोगों को गांव में आने का समय नहीं।‘
गांव के उतर दिशा में कुम्बा डैम है, वहीं से एक छोटी सी नहर गांववालों के श्रमदान से निकाल दी गयी है जो पूरे गांव से होकर गुजरती है। यह खेतों में सिंचाई का सबसे खास जरिया है। गावं के ही अमर प्रसाद बताते हैं कि नहर से दूर पडने वाले आस पास के जमुआ, अमीसराई, कोटकिलवा व अन्य गांवों में सिंचाई के लिए हैंडपंप का पानी उपयोग में लाया जाता है। इसी गांव की लालती देवी कहती हैं, ‘एक महीने पहले अगर आप आते तो देखते की खेत कैसे सूखे पडे थे। हमने दिन रात कडी मेहनत की है और अब भगवान भी हमारी मदद कर रहा है।‘

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