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हरियाणा में गन्ने का एसएपी यूपी से ज्यादा

हरियाणा सरकार ने नए सीजन के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित कर दिया है। हरियाणा में गन्ने का एसएपी उत्तर प्रदेश से ज्यादा होगा। गत दिवस उत्तर प्रदेश सरकार ने 200-210 रुपये प्रति क्विटंल एसएपी तय किया था। इसके बाद पंजाब सरकार पर भी एसएपी बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। पंजाब सरकार द्वारा अगले सप्ताह में एसएपी तय करने की संभावना है। हरियाणा सरकार ने एसएपी 210-220 रुपये प्रति क्विटंल तय किया है। गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने पिछले साल ही चालू सीजन 2010-11 के लिए 200-210 रुपये प्रति क्विटंल एसएपी रखने की घोषणा कर दी थी लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 10 रुपये प्रति क्ंिवटल का इजाफा कर दिया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पहले घोषित एसएपी के मुकाबले किसानों को दस रुपये ज्यादा मूल्य मिलेगा। हालांकि बीते सीजन के एसएपी मुकाबले किसानों को इससे भी ज्यादा मूल्य वृद्धि मिलेगी। बीते सीजन 2009-10 के लिए हरियाणा में एसएपी 175-185 रुपये प्रति क्विटंल रखा गया था। हुड्डा ने कहा कि यह मूल्य सहकारी चीनी मिलों के साथ- साथ शुगर कंट्रोल बोर्ड के मानदंडों के अनुरूप प्राइवेट चीनी मिलों पर भी लागू होंगे।

पंजाब गन्ना आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगले सप्ताह तक गन्ने का एसएपी तय होने की संभावना है। वर्ष 2009-10 के लिए पंजाब सरकार ने गन्ने का एसएपी 190 से 200 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी के अनुसार तय किया था। उधर तमिलनाडु सरकार चालू पेराई सीजन के लिए गन्ने का एसएपी 190 रुपये प्रति क्विंटल पहले ही तय कर चुकी है, इसमें गन्ना मिलें 10 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भाड़े का भी भुगतान भी कर रही हैं। अत: किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है जबकि तमिलनाडु में प्रति हैक्टेयर उत्पादन उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से ज्यादा रहता है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि लागत में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए उत्तर प्रदेश में गन्ने के एसएपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी नाकाफी है। पिछले साल किसानों को 260-270 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला था। पिछले एक साल में करीब 10 फीसदी महंगाई बढ़ी है। इसीलिए किसानों को उसी आधार पर गन्ने का दाम मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चीनी के आयात पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए, साथ ही निर्यात को खोल देना चाहिए ताकि मिलों को भी नुकसान न हो।

भारतीय किसान मोर्चा के महासचिव नरेश सिरोही ने कहा कि राज्य सरकार ने गन्ने के एसएपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी कर एक अच्छा कदम उठाया है। लेकिन किसानों की लागत में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए ये भाव कम हैं। पिछले एक साल में 10 से 15 फीसदी महंगाई बढ़ चुकी है इसलिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों को गन्ने की खरीद पर बोनस दे। जिससे कि किसानों को वाजिब दाम मिल सके।