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हरियाणा में बिकता है यूपी का साठी धान, हमारे किसानों के साठी धान उगाने पर बैन

करनाल . यमुना नदी के पश्चिम में किसानों के लिए कानून कुछ और जबकि पूर्व में कुछ और। हमारे किसानों पर तो साठी धान उगाने पर बैन है, जबकि यूपी के किसान आसानी से धान पैदा कर करनाल की अनाज मंडी में बेच रहे हैं। खास बात यह है कि वे हरियाणा-यूपी बार्डर पर लगे पुलिस नाके के बीच से यह फसल लेकर करनाल आते हैं और रोकने वाला कोई नहीं है।

व्यापारी भी इस फसल को खरीद रहे हैं। जबकि मंडी प्रशासन का कहना है कि इक्का दुक्का ढेरी फसल ही मंडी तक आ रही है। किसान नेताओं का कहना है कि यमुना के दोनों ओर दो कानून ठीक नहीं है। जल स्तर उधर भी तो कम हो रहा है। ऐसे में सरकार को कोई कानून बनाना चाहिए, ताकि इस फसल पर दोनों ओर एक ही कानून लागू हो सके।  

यूपी के किसानों का खुलासा : हर साल करनाल मंडी में बेचते हैं साठी धान, बॉर्डर पर रोकने वाला कोई नहीं  
यूपी से करनाल अनाज मंडी में गोविंदा किस्म की धान लेकर आए एक किसान ने बताया कि उन्हें बॉर्डर पर किसी ने नहीं रोका। हम तो हर साल धान पैदा कर करनाल की अनाज मंडी में बेचते हैं। हमें नहीं पता कि हरियाणा में इस फसल पर बैन है। हमारे यहां तो 10 बरस से अधिक समय हो चुका है, इस फसल को पैदा करते हुए। यूपी में दाम कम मिलते हैं, इसलिए हरियाणा में लाकर बेच देते हैं।  सरबती धान लेकर आए किसान ने कहा कि कानून हरियाणा में कुछ और यूपी में कुछ, वे जानते हैं। क्या करें जब बरसात आती है तो कई बार फसल पानी में डूब जाती है। इसलिए कोशिश करते हैं कि बरसात के आने से पहले ही फसल को पका लिया जाए। हरियाणा में भी यूं ही फसल डूबती हैं। यहां के किसानों को यह बात सरकार तक पहुंचानी चाहिए।


ये हैं रेट : इस बार सरबती धान के भाव करनाल अनाज मंडी में 1600 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रहे हैं, जबकि गोविंदा का भाव 1100 रुपए प्रति क्विंटल तक है। अधिकांश धान यूपी की ओर से आ रही है।  


1993 में आया साठी : हरियाणा में साठी धान का प्रचलन करीब 1993 से शुरु हुआ था।जबकि बीते दिनों सरकार ने साठी की रोपाई प्रदेश में बैन कर दी थी। पिछले 20 बरस में प्रदेश में भू-जल स्तर भी तेजी से नीचे खिसक गया है। इसका भू-जल वैज्ञानिक सबसे बड़ा कारण मई माह में धान की रोपाई करना और एक फसल के बाद दूसरी फसल लेना है। क्योंकि मई माह में बरसात कम होती है और जल का आउटपुट अधिक होता है।

॥मंडी में साठी धान की आवक हो रही है। फिलहाल रोजाना 500 से 1000 क्विंटल की आवक हो रही है। इसे चावल मिल मालिक खरीद रहे हैं, प्रशासन की ओर से धान की खरीद रोके जाने के आदेश नहीं हैं, प्रशासन जो भी आदेश जारी करेगा, वही कार्रवाई की जाएगी।
-महावीर सिंह,  सचिव, मार्केट कमेटी करनाल

॥  मार्केटिंग बोर्ड को इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे धान की खरीद न करने दें। जबकि कृषि विभाग ही हर साल साठी की रोपाई किसानों ने नहीं करने देता है। 
-सुरेश गहलावत, जिला उप कृषि निदेशक

॥हमारे यहां साठी के खिलाफ कोई कानून नहीं है। इस बाबत अधिकारियों को लिखा गया है। बहुत से किसान यूपी में भी अब धान की दो-दो फसल लेने लगे हैं।  
-आनंद कुमार त्रिपाठी, जिला कृषि अधिकारी शामली यूपी।