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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सालभर से खाली हैं शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रदेश की कई संवैधानिक संस्थाएं लंबे समय से प्रभारियों के भरोसे चल रही हैं। हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को लोकायुक्त संगठन और मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं में पूर्णकालिक मुखिया की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। प्रदेश का शीर्ष संवैधानिक राज्यपाल का पद भी बीते एक साल से खाली है।

लोकायुक्त का पद खाली

सरकार का दावा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का भले हो, लेकिन वास्तविक हालात ये है कि एक साल से भी ज्यादा समय से लोकायुक्त का पद खाली है। जस्टिस पीपी नावलेकर जून 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे, तब से ही लोकायुक्त का प्रभार उपलोकायुक्त जस्टिस यूसी माहेश्वरी संभाल रहे हैं।

हाईकोर्ट में कहा था, नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं

हाईकोर्ट भी सरकार से इस मामले में जवाब-तलब कर चुका है। तब सरकार ने कोर्ट को दिए जवाब में कहा था कि मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष न होने से लोकायुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही हैं। अब नेता प्रतिपक्ष आए भी छह महीने बीत गए, लेकिन सरकार ने नियुक्ति में रुचि नहीं ली।

अब चली है फाइल

सूत्र बताते हैं कि कुछ दिनों पहले सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट से जजों का पैनल मांगा है। संभावना है कि कुछ समय बाद प्रदेश को स्थाई लोकायुक्त मिल जाए। फिलहाल जो संभावनाएं हैं। उसके मुताबिक मुंबई हाईकोर्ट में तैनात मध्यप्रदेश कैडर के एक जज को लोकायुक्त बनाए जाने पर सरकार विचार कर रही है।

साल भर से राज्यपाल नहीं

सितंबर 2016 में रामनरेश यादव के सेवानिवृत्ति के बाद से ही प्रदेश में स्थाई राज्यपाल नहीं हैं। गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली मप्र का भी अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं। दो-दो राज्यों का प्रभार होने के कारण कोहली मप्र को काफी कम समय दे पाते हैं।

प्रमुख सचिव लेकर जाते हैं फाइल

अति आवश्यक काम होने पर राज्यपाल से हस्ताक्षर के लिए प्रमुख सचिव स्तर के अफसर फाइलें लेकर गुजरात जाते हैं। रूटीन कामकाज के लिए भी हर दो तीन दिन में राजभवन से एक अधिकारी को फाइलें लेकर गुजरात जाना पड़ रहा है।

जल्द मिल सकता है नया राज्यपाल

सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के बाद राज्यपाल की नियुक्ति पर फैसला हो सकता है। फिलहाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी कैबिनेट से मुक्त हुए उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को भी मप्र भेजा जा सकता है।

मानवाधिकार आयोग वर्षों से खाली

राज्य मानवाधिकार आयोग की हालत ऐसी है कि वहीं कई सालों से स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। जस्टिस धर्माधिकारी की सेवानिवृत्ति से आयोग को कामचलाऊ अध्यक्ष ही संभाल रहे हैं। लगभग आधा दर्जन बार हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए, लेकिन सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया। इस आयोग में ज्यादातर मामले पुलिस उत्पीड़न के आते हैं पर सरकार ने आयोग की कमान पूर्व पुलिस अफसर को ही सौंप दी थी।

जल्द होगी नियुक्तियां

ये सही है कि कुछ महत्वपूर्ण संस्थाओं में पद खाली हैं। कुछ समय पहले ही मानवाधिकार आयोग में सदस्य की चयन प्रक्रिया पूरी की गई है। सूचना आयोग में रिक्त सदस्य के पदों के लिए बैठक बुलाई जा चुकी है। खाली पदों को भरने के प्रति सरकार संजीदा है। जल्द ही सभी संस्थाओं में नियुक्तियों की कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी।

- लालसिंह आर्य, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री