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‘खुले में क्यों पड़ा है गेहूं?’

जबलपुर. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेहूं क्यों पड़ा है? चीफ जस्टिस एसआर आलम और जस्टिस आलोक अराधे की युगलपीठ ने मामले पर भारत सरकार और राज्य सरकार सहित चार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

पाटन तहसील के अंतर्गत कटंगी रोड निवासी अमित कुमार प्यासी की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गये गेहूं के मामले में घोर लापरवाही बरती जा रही है।

याचिका के अनुसार राज्य सरकार लगातार केन्द्र सरकार से कह रही कि कल्याणकारी योजनाओं के तहत उक्त गेहूं बांटने की इजाजत उसे दी जाए, क्योंकि पूरे प्रदेश में 18 लाख मीट्रिक टन गेंहू खुले में पड़ा हुआ है। याचिका में आरोप है कि खुले में पड़ा गेहूं बर्बाद हो रहा और नालियों में जा रहा है तथा उसे रोकने कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पिछले वर्ष का हवाला देकर याचिका में कहा गया है कि तब भी दस हजार टन गेहूं हजारों परिवारों की रोटी बन सकता था,लेकिन राजनीति के कारण वह नालियों में व्यर्थ बह गया। इस साल भी सक्षम अधिकारी चुप्पी साधे हैं और उन्होंने गेहूं को स्टोर करने कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं की। इन आधारों पर एक किसान होने के नाते याचिकाकर्ता ने यह याचिका दायर करके हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि इतनी भारी मात्रा में पड़े गेहूं को बर्बाद जाने से बचाने के संबंध में अनावेदकों को उचित निर्देश दिये जाएं।

मामले पर आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विवेक शर्मा ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश दिये।

ओएफके सोसायटी में 1 करोड़ की हेराफेरी!

ओएफके सोसायटी में 1 करोड़ रुपयों की हेराफेरी होने का खुलासा होने के बाद भी कोई कार्रवाई न किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये हैं।

जस्टिस राजेन्द्र मेनन की एकलपीठ ने इस मामले पर अनावेदकों को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। सुनील श्रीवास्तव की ओर से दायर इस याचिका में आरोप है कि सोसायटी में हुई अनियमितताओं की पुष्टि सहकारिता विभाग के उपायुक्त की जांच में हुई थी,लेकिन अनुशंसा के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई,जो अवैधानिक है।

मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद अदालत ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश दिये। आवेदक की ओर से अधिवक्ता राजेन्द्र गुप्ता और अजीत सिंह पैरवी कर रहे हैं।