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जल, जंगल और जमीन लौटाओ तो हल होगी नक्सल समस्या - वीके सिंह

रायपुर। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और सेवानिवृत्त जनरल वीके सिंह का कहना है कि नक्सली आदिवासियों के लिए जल, जंगल और जमीन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रभावित इलाकों तक विकास पहुंचाकर और स्थानीय लोगों को भरोसे में लेकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। श्री सिंह मंगलवार को संस्कृति विभाग परिसर में आयोजित फिल्म फेस्टिवल के समापन समारोह में शामिल होने यहां पहुंचे।

मीडिया से चर्चा के दौरान जब उनसे पूछा गया कि वे यमन से 5600 लोगों को छुड़ाकर ले आए हैं। यहां के लोग नक्सली समस्या से त्रस्त हैं। क्या ऐसा कोई ऑपरेशन यहां नहीं चलाया जा सकता? इस पर उन्होंने कहा कि वे गृहमंत्री होते तो इसका बेहतर जवाब देते, लेकिन जिन इलाकों में नक्सली समस्या है, वहां विकास नहीं पहुंचा है। इस मामले में गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अच्छे तालमेल के साथ और रणनीति बनाकर काम कर रहे हैं, जिसका फायदा प्रदेश को मिलेगा। यह पूछे जाने पर कि अभी तो नक्सली लोगों को मार रहे हैं, उनका कहना था कि यह हताशा का परिणाम है। उनका दायरा घट रहा है। सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से विकास कर रही है। ऐसी स्थिति में नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं।

अपनों पर गोली चलाने के लिए नहीं है सेना

श्री सिंह से जब पूछा गया कि जब वे सेना की कमान संभाल रहे थे तो सेना को यहां भेजने से क्यों मना कर दिया था? उन्होंने कहा कि सेना की जरूरत तब पड़ती है, जब देश की एकता और अखंडता खतरे में हो, विघटन हो रहा हो। बस्तर के लोग सामाजिक, आर्थिक समस्या से गुजर रहे हैं, जिसके कारण नक्सली समस्या है। यहां सेना गोली चलाएगी तो साख खत्म हो जाएगी।

श्रीलंका में शांति सेना उच्च स्तरीय असफलता

श्रीलंका शांति सेना भेजे जाने के सवाल पर उन्होंने इसे उच्च स्तरीय असफलता बताया। श्री सिंह ने बताया कि हम शांति सेना बनकर गए थे,लेकिन वहां युद्ध करना पड़ा, जिसके लिए और जिसके खिलाफ हम वहां गए थे, दोनों एक हो गए और हमें विरोध झेलना पड़ा।

पाकिस्तान को सोचना होगा

पाकिस्तान से भारत के संबंधों के बारे में श्री सिंह ने कहा कि हमने तो पाकिस्तान को झगड़ा खत्म करने का प्रस्ताव दे दिया है। हम अपनी तरह से कई बार कोशिश कर चुके हैं। अब उसे सोचना है कि वह क्या चाहता है।