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भारत में हर 20 मिनट में एक महिला होती है दुष्‍कर्म का शिकार

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 20 मिनट में एक महिला दुष्‍कर्म का शिकार हो रही है. आंकड़ों की माने तो भारत में हर तीन मिनट में एक महिला के साथ हिंसा की कोई न कोई घटना घटती है मगर हजारो गुमनाम घटनाएं हैं जिसकी शिकायत थानों में दर्ज नहीं की जाती है. इन मामलों को दर्ज करने और उनके खिलाफ़ कार्रवाई का माहौल बनाने के लिए...

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वर्ष 2020 तक 140 अरब डॉलर का होगा भारतीय डेयरी उद्योग

देश में डेयरी उद्योग अगले वर्षों में तेजी से बढऩे की संभावना है। संगठित और असंगठित क्षेत्र में इस उद्योग का कारोबार वर्ष 2020 तक बढ़कर 140 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है क्योंकि लोगों की आय बढऩे की वजह से उनकी मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है। इन्वेस्टर रिलेशन्स सोसायटी (आईआरएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले सात वर्षों में भारतीय डेयरी उद्योग का आकार बढ़कर दोगुना हो जाएगा।...

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बच्चेदानी ऑपरेशन में फंसेंगे कई बड़े लोग- अजय कुमार

- सुपरविजन रिपोर्ट में बड़ा खुलासा - पांच वर्षो में बीमा कंपनियों ने 442 करोड़ किये खर्च - खुले आसमान के नीचे भी कर दिये ऑपरेशन - 159 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने दिये प्रीमियम - दोषी नर्सिग होम पर दर्ज होंगे आपराधिक केस बीपीएल परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया करानेवाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में पिछले साल घोटाला उजागर हुआ था. न केवल कागजों पर ऑपरेशन कर पैसे हजम कर लिये गये,...

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परिचर्चा: विकास की अवधारणा

निमंत्रण                      परिचर्चा: विकास की अवधारणा                                 डॉ. शिवराज सिंह (योजना मंडल) और प्रो. हनुमंत यादव,                                                 चर्चा में- बी.के.मनीष के साथ.   छत्तीसगढ़ इलेक्शन वॉच की ’विधानसभा चुनाव जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला” की पहली कड़ी.                       सायं ४ बजे, मंगलवार, २२ अक्टूबर, प्रेस क्लब, रायपुर. धार्मिक ध्रुवीकरण तथा सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को पार कर के अब चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जहां राज्य और केंद्र की वर्तमान सरकारें चहुंमुखी विकास विकास के दावे करते नहीं थक रही हैं वहीं...

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सपनों के उत्पादन का धंधा- एम जे अकबर

भारतीय लोकप्रिय साहित्य में भूत-कथाओं को तवज्जो क्यों नहीं दी जाती? इसका सीधा-सा कारण है कि भारत में अखबारों के बीच काफी मारा-मारी है. ‘बेबुनियाद और असंभव’ की कल्पना के मामले में कौन सा लेखक दिन की खबरों से मुकाबला कर सकता है? भारत में, जहां खुद को भगवान घोषित करनेवाले बदमाशों की कमी नहीं है, क्या हमें भूत-कथाएं लिखनेवाले बाम स्टोकर या ड्रैक्यूला के किस्सों की कोई जरूरत है!...

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