मानवीय आपदा के वक्त मानवाधिकार का मसला अक्सर ऐसे समय में ही सुर्खियां बनता है, जब किसी क्षेत्र विशेष को बाढ़, भूकंप, सुनामी या अन्य किसी आपदा का सामना करना पड़ रहा होता है। और उस समय की चुनौतियां अलग किस्म की होती हैं, लिहाजा न उस पर बात हो पाती है और न ही अमल हो पाता है। यूरोपीय संघ द्वारा प्रायोजित तथा हाल में प्रकाशित अध्ययन ‘इक्वालिटी इन एड: एड्रेसिंग...
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हम इन्हें अपना कब मानेंगे- सुबीर भौमिक
पूर्वोत्तर भारत ऐसा हिस्सा है, जहां भारत कम और दक्षिण-पूर्व एशिया अधिक दिखता है। यहां के ज्यादातर जातीय समूहों के पूर्वज चीन के युन्नान प्रांत और म्यांमार के कुछ हिस्सों से आए हैं। इस हिस्से पर अंग्रेजों के आगमन से पहले किसी भारतीय शासक ने, फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, राज नहीं किया है। अंग्रेज जब भारत से विदा हुए, तब यह क्षेत्र भारत का हिस्सा बना। भारत की राष्ट्र-निर्माण परियोजनाओं...
More »ध्वनि तरंगों का जनहित में उपयोग
चर्चा है कि आम चुनाव से पहले सरकार निजी एफएम और सामुदायिक रेडियो पर सीमित ही सही, सूचना-समाचार आदि के स्वतंत्र प्रसारण की मंजूरी दे सकती है. लेकिन यह फैसला लेने से पहले जनहित में सरकार को बहुत संजीदा होकर एक विचार करना चाहिए. एक महत्वपूर्ण विवाद में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पहली बार कहा, ‘ध्वनि-तंरगें (एयरवेव्स) सार्वजनिक संपत्ति हैं. इनका उपयोग भी जनहित में होना...
More »नये साल में आर्थिक व्यूह रचेगा भारत!- पुष्परंजन
भारतीय आइटी उद्योग उत्तर अमेरिका से सरक कर यूरोप की ओर जा रहा है. 2014 में इस तरह की भविष्यवाणी से अमेरिका की भृकुटी तन गयी है. नास्कॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल की सुनिये, तो यूरोप भारतीय आउटसोर्सिस सेवा को इस साल अपनी ओर आकर्षित करेगा, जिससे सिर्फ आइटी सेक्टर से 108 अरब डॉलर के लाभ की उम्मीद की जा सकती है. क्या इसके लिए 22 से 25 जनवरी तक दावोस में...
More »झारखंड की अखंड लूट-विनोद कुमार
जनसत्ता 15 नवंबर, 2013 : तेरह साल पहले झारखंड राज्य का गठन हुआ था। झारखंड आंदोलन की काट में वनांचल आंदोलन खड़ा करने वाली भाजपा ने झारखंड राज्य का गठन क्यों किया, इसको लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अविभाजित बिहार की सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में विफल होने के बाद भाजपा ने अपने प्रभाव वाले इलाके की सत्ता पर काबिज होने की मंशा...
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