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विकास मॉडलों के शोर में गुम मजदूर- रौशन किशोर/जीको दासगु्प्ता

चुनावी बहस-मुबाहिसों में विकास की चर्चा तो खूब है, लेकिन इस विकास का आधार और देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर कहीं प्रमुख मुद्दा नहीं है. घोषणापत्रों में श्रमिकों के मसलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनके लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है. देश में मजदूर वर्ग निरंतर शोषण और दमन का शिकार बनता रहा है. ‘मई दिवस’ के मौके पर मजदूरों से जुड़े मसलों को रेखांकित...

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यूपीए तथा एनडीए का अर्थशास्त्र- डा. भरत झुनझुनवाला

विकास दर में वर्तमान गिरावट का कारण सरकारी राजस्व का रिसाव, भ्रष्टाचार में वृद्घि एवं चौतरफा कुशासन है. यह रिसाव बंद हो जाये तो उद्यमी निवेश करने लगेगा, उत्पादन बढ़ेगा, टैक्स की वसूली होगी और वित्तीय घाटा नियंत्रण में आ जायेगा. अपने चुनावी घोषणापत्र में एनडीए ने एफडीआइ का विरोध तो किया है, पर एनडीए मूल रूप से अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश का स्वागत करता है. उनका विरोध खुदरा...

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लेखा परीक्षण पर रखें नजर

देश में अब तक 15 बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं. लोकतांत्रिक कसौटी पर हम खरा उतरने की कोशिश करते रहे हैं. इस कोशिश का ही नतीजा है कि अब करीब-करीब प्रत्येक मतदाता निर्भय हो कर मतदान करने लगा है. इसने बाहुबल को बहुत हद तक कमजोर किया है, लेकिन चुनाव में धनबल अब भी कायम है. इसके कई रूप हैं. इस पर अंकुश लगाने के लिए चुनावी खर्च के लेखा परीक्षण...

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किसानों को ऋण माफी का लाभ सीधे दे सरकार

भारतीय रिजर्व बैंक की एक विशेष समिति ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण व्यवस्था मजबूत करने के लिए सीधे किसानों को ऋण माफी का लाभ और अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए।      आरबीआई की "आरबीआई कमिटी ओन कम्पट्वीहेंसिवफाईनेंशियल सर्विसेस फार स्माल बिजीनेसेज एंड लो इन्कम हाउसहोल्ड" (सीसीएफएस) की हाल  में जारी एक रिपोर्ट में यह सिफारिश करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय मजबूती प्रदान करना...

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नवउदारवाद से उपजी चुनौतियां- प्रभात पटनायक

जनसत्ता 22 फरवरी, 2014 : यूपीए सरकार और राजग सरकार और यहां तक कि ‘तीसरे मोर्चे’ की अल्पायु सरकार भी आर्थिक नीतियों के मामले में एक जैसी ही रहीं। आज भी, जब चुनावी विकल्प के रूप में राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी का शोरशराबा हो रहा है, आर्थिक नीतियों के स्तर पर शायद ही कोई बुनियादी फर्क हो। सच्चाई तो यह है कि मोदी खुद इस बात पर जोर देते...

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