Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
कृषि | 1050 वर्ग फ़ीट में उगाते हैं मशरूम, हर महीने होती है 30 हज़ार की कमाई
1050 वर्ग फ़ीट में उगाते हैं मशरूम, हर महीने होती है 30 हज़ार की कमाई

1050 वर्ग फ़ीट में उगाते हैं मशरूम, हर महीने होती है 30 हज़ार की कमाई

Share this article Share this article
published Published on Jun 5, 2021   modified Modified on Jun 9, 2021

-द बेटर इंडिया,

पिछले साल देश में जब कोरोना महामारी के मामले बढ़ने लगे और लॉकडाउन की अटकलें लगने लगीं, तो दूसरे शहरों में नौकरी करनेवाले बहुत से लोग, नौकरियां छोड़कर अपने घर लौट आए। ऐसे लोगों में, झारखंड के जमशेदपुर निवासी राजेश कुमार भी शामिल थे। 41 वर्षीय एमबीए ग्रैजुएट राजेश, असम में एक कंपनी में काम कर रहे थे। लेकिन फरवरी 2020 में, बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए, उन्होंने अपने परिवार के पास लौटने का फैसला किया। लॉकडाउन लगने से पहले, मार्च में वह जमशेदपुर अपने घर आ गए। इस तरह नौकरी छोड़ने के बाद, उनकी आजीविका का साधन खत्म हो गया। लॉकडाउन के दौरान, दूसरी नौकरी मिलना भी बहुत मुश्किल था। तब उन्होंने सोचा कि खाली बैठने की बजाय कुछ ऐसा काम किया जाए, जिसे वह घर में रहते हुए भी कर सके। इसलिए, उन्होंने मशरूम की खेती करने का फैसला लिया। 

राजेश ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं मशरूम के बारे में काफी पहले से जानता हूँ। मैंने पहली बार मशरूम सिलीगुड़ी में देखा था और इससे बने कुछ पकवान खाये थे। पिछले कुछ सालों में, मशरूम खाने से स्वास्थ्य में होनेवाले फायदों को लेकर, लोगों की जागरूकता बढ़ी है। इसलिए, मैंने सोचा कि क्यों न मशरूम की ही खेती की जाए! मशरूम की खेती में लागत कम लगती है और सफलता के ज्यादा मौके रहते हैं।”

घर में ही शेड बनाकर किया काम 

सबसे पहले, राजेश ने मशरूम की खेती के बारे में इंटरनेट से जानकारियां जुटाईं। उन्होंने इससे जुड़े लेख पढ़े और साथ ही, यूट्यूब पर इससे जुड़े कई वीडियोज़ भी देखे। इसके बाद, उन्होंने पता किया कि उन्हें जमशेदपुर में कहाँ मशरूम की ट्रेनिंग मिल सकती है। 

उन्होंने कहा, “मुझे ‘टेक्नोलॉजी रिसोर्स क
्युनिकेशन ऐंड सर्विस
सेंटर
‘ (TRCSC) के बारे में पता चला। मैंने इस सेंटर पर, गणेश दास जी से बात की। उन दिनों, सेंटर पर ट्रेनिंग बंद थी, लेकिन मेरी सीखने की चाह को देखकर, उन्होंने खासतौर पर अकेले मुझे ट्रेनिंग दी। उनसे ट्रेनिंग लेकर ही, मैंने अपने घर में अपना काम शुरू किया।” 

सबसे पहले, राजेश ने तीन अलग-अलग जगहों पर मशरूम लगाने के लिए शेड तैयार किए और ऑयस्टर मशरूम उगाना शुरू किया। वह बताते हैं, “शेड लगाने और मशरूम के बैग तैयार करने का शुरुआती खर्च, लगभग 25 हजार रुपये आया था, जिसमें शेड का खर्च ज्यादा था, लेकिन यह एक ही बार की लागत थी। पहली बार, जब मैंने मशरूम लगाए, तो मुझे नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और दोबारा कोशिश की। दूसरी बार में मुझे थोड़ी सफलता मिली और मेरा हौसला बढ़ा।” 

हालांकि, अलग-अलग मौसम में मशरूम उगाने पर उन्हें कई बार असफलता का सामना भी करना पड़ा। जैसे- सर्दियों की शुरुआत में भी उन्हें काफी नुकसान हुआ, क्योंकि इस मौसम में तापमान कम रहता है। इसलिए, किसानों को इन बातों का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। साथ ही, मशरूम की सभी किस्में हर एक मौसम में नहीं उगायी जाती हैं, लेकिन राजेश ने अपनी असफलताओं से, काफी कुछ सीखा है और अब वह हर एक मौसम में सफलतापूर्वक मशरूम का उत्पादन ले रहे हैं। अब उन्हें पता है कि किस मौसम में, कौन से मशरूम अच्छा उत्पादन देंगे और इनकी देखभाल कैसे करनी है। राजेश ने बताया कि उन्होंने मशरूम फार्म सेटअप करने में जो लागत लगायी थी, वह उन्होंने तीन महीने में ही वापस कमा ली। 

अब वह जो भी कमा रहे हैं, उसमें सिर्फ मशरूम बैग लगाने का खर्च आता है। एक मशरूम बैग को तैयार करने में, उन्हें रु. 42 खर्च आता है। मशरूम तैयार होने के बाद, एक बैग से वह 140 से 200 रुपये तक की कमाई कर पाते हैं। राजेश कहते हैं, “मशरूम का काम शुरू करने के तीन-चार महीने के अंदर ही, किसान भाई अपनी लागत से दोगुना या तीन गुना कमा सकते हैं।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


निशा डागर, https://hindi.thebetterindia.com/72458/mushroom-farming-in-lockdown-mba-graduate-earning-good-income-jamshedpur-jharkhand-india/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close