Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
कर्ज - आत्महत्या | किसान और आत्महत्या
किसान और आत्महत्या

किसान और आत्महत्या

Share this article Share this article

What's Inside

खास बात

राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 1996 में 15.6% , साल 2002 में 16.3%  साल 2006 में 14.4% , साल 2009 में 13.7%  तथा साल 2010 में 11.9% तथा साल 2011 में 10.3% रहा है। #

• राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 2014 में 9.4%,साल 2015 में 9.43%, साल 2016 में 8.7%, साल 2017 में 8.2%, साल 2018 में 7.69% रहा है।

• 2018 में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे अधिक रिपोर्टें महाराष्ट्र (2239 किसानों द्वारा की गई आत्महत्या का लगभग 38.85 प्रतिशत) हैं, उसके बाद कर्नाटक (1,365), तेलंगाना (900), मध्य प्रदेश (303) और आंध्र प्रदेश (365) में दर्ज की गईं।

• 2017 में महाराष्ट्र में सबसे अधिक कृषि आत्महत्याएं (किसानों के साथ-साथ कृषि मजदूरों की कुल आत्महत्याएं) दर्ज की गईं (3,701, जो कुल कृषि आत्महत्याओं का लगभग 34.73 प्रतिशत है.), इसके बाद कर्नाटक (2,160), मध्य प्रदेश (955), तेलंगाना (851) और आंध्र प्रदेश (816) में दर्ज किया गया।

•2016 में सबसे अधिक कृषि आत्महत्याएं (किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्या) महाराष्ट्र (3,661), कर्नाटक (2,079), मध्य प्रदेश (1,321), आंध्र प्रदेश (804) और छत्तीसगढ़ (682) में दर्ज की गईं।

• साल 2015 में पुरुष किसानों की आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह रही कर्जदारी. कर्जदारी के कारण 2978 पुरुष किसानों ने आत्महत्या की. पुरुष किसानों की आत्महत्या की दूसरी बड़ी वजह रही खेती-बाड़ी से जुड़े मामले. खेती-बाड़ी से जुड़ी परेशानियों के कारण 1494 किसानों ने आत्महत्या की।

• साल 2014 में आत्महत्या करने वाले किसानों में पुरुषों की संख्या 5,178 और स्त्रियों की संख्या 472 है। प्रतिशत पैमाने पर यह साल 2014 में हुई कुल किसान आत्महत्याओं का क्रमश 91.6% तथा 8.4% प्रतिशत है।

साल 2011 में जितने लोगों ने भारत में आत्महत्या की उसमें, 18.1 फीसद तादाद गृहणियों की थी। किसानों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में  10.3 फीसदी थी जबकि सरकारी नौकरी करने वालों की तादाद आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में 1.2 फीसदी, प्राईवेट नौकरी करने वालों की 8.2 फीसदी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वालों की 2.0 फीसदी, छात्रों की 5.7 फीसदी, ब्रेरोजगार लोगों की 7.7 फीसदी तथा वणिज-व्यवसाय के क्षेत्र में स्व-रोजगार में लगे लोगों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल लोगों की तादाद में 5.3 फीसदी थी तो स्वरोजगार में लगे पेशेवर लोगों की संख्या 3.1 फीसदी जबकि इससे भिन्न किसी अन्य तरह के काम को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने वाले लोगों की तादाद 19.5 फीसदी। #

साल 2011 में स्वरोजगार में लगे कुल 51901 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें किसानों की संख्या 14027 यानी 27.03  फीसदी है।#

•  साल 1997 - 2006  यानी दस सालों की अवधि में भारत में 1,66,304  किसानों ने आत्महत्या की।*  

 साल 1997 - 2006  के बीच किसानों की आत्महत्या में सालाना 2.5  फीसद चक्रवृद्धि दर से बढ़त हुई।*

आत्महत्या करने वाले किसानों में ज्यादातर नकदी फसल की खेती करने वाले थे, मिसाल के लिए कपास(महाराष्ट्र), सूरजमुखी,मूंगफली और गन्ना(खासकर कर्नाटक में)।**

• सबसे बड़ी वजह सेहत की खराब दशा, संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद, घरेलू कलह और बेटी को ब्याहने की गहन सामाजिक जिम्मेदारी सहित शराब की लत ने किसानों को कर्ज ना चुकता कर पाने की स्थिति में आत्महत्या की तरफ ढकेला।**

जिन स्रोतों से किसानों ने कर्ज लिया उनमें महाजन एक प्रमुख स्रोत रहे। २९ फीसदी कर्जदार किसानों ने महाजनों से कर्ज हासिल किया। ***.

 

# National Crime Records Bureau, http://ncrb.nic.in/

http://ncrb.nic.in/CD-ADSI2011/table-2.11.pdf

http://ncrb.nic.in/ADSI2010/table-2.11.pdf

http://ncrb.nic.in/CD-ADSI2009/table-2.11.pdf

http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI2006/Table-2.11.pdf

http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI2002/atable%202.11.pdf

http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI1996/table-5s.pdf
 


** डाक्टर रिताम्बरा हेब्बार(२००७): ह्यूमन सिक्यूरिटी एंड द केस ऑव फार्मस् स्यूसाइड इन इंडिया-ऐन एक्सपोलोरेशन http://humansecurityconf.polsci.chula.ac.th/Documents/Pres
entations/Ritambhara.pdf


*** सीपी चंद्रशेखर, जयति घोष (2005):द बर्डेन ऑव फार्मर्स डेट, माइक्रोस्केन




Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close