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चर्चा में.... | प्रमुख फसलों से आमदनी में गिरावट आयी है-- दलवई समिति की रिपोर्ट
प्रमुख फसलों से आमदनी में गिरावट आयी है-- दलवई समिति की रिपोर्ट

प्रमुख फसलों से आमदनी में गिरावट आयी है-- दलवई समिति की रिपोर्ट

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published Published on Oct 9, 2017   modified Modified on Oct 9, 2017

अगर आप जानना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में किसानों का आक्रोश सड़कों पर क्यों उबल रहा है तो किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सवाल पर तैयार की गई एक रिपोर्ट आपके बड़े काम की हो सकती है.

 

2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सवाल पर गठित एक समिति की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को कुछ प्रमुख फसलों से होने वाली शुद्ध आमदनी में कमी आयी है. यह समिति केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अशोक दलवई की अगुवाई में पिछले साल अप्रैल महीने में गठित की गई थी.

 

समिति की रिपोर्ट 23 फसलों की लागत और लाभ के रुझानों पर केंद्रित है और ये रुझान भारत के अलग-अलग सूबों के लिए मिले-जुले परिणाम दिखाते हैं. लागत और लाभ से संबंधित तथ्य रिपोर्ट के दूसरे खंड में दिए गये हैं.( दूसरे खंड के अध्याय 5 को देखने के लिए यहां क्लिक करें)

 

रिपोर्ट के मुताबिक धान की फसल के मामले में किसानों को होने वाली शुद्ध आमदनी(प्रति हैक्टेयर रुपये में) में 2004-05 से 2008-09 के बीच तथा 2009-10 से 2013-14 के बीच गिरावट आयी. धान की फसल के मामले में आमदनी में गिरावट वाले राज्यों में आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, ओड़िशा, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के नाम शामिल हैं.


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, असम और बिहार धान के उत्पादन के मामले में देश के दस बड़े राज्यों में शुमार हैं.(देखें लिंक)


बतायी गई अवधि में धान की खेती में शुद्ध आमदनी गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश में ज्यादा रही.


असम, झारखंड, महाराष्ट्र, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में ऊपर बतायी गई दोनों अवधि में शुद्ध आमदनी नकारात्मक रही.


इसी तरह गेहूं के मामले में ऊपर बतायी गई दोनों अवधियों में छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में शुद्ध आमदनी में कमी आई है.


गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश देश के शीर्ष के दस गेहूं उत्पादक राज्यों में शुमार किए जाते हैं.(देखें लिंक)


रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश तथा उत्तराखंड में उपर्युक्त अवधि में गेहूं की उपज के मामले में शुद्ध आमदनी कुछ बढ़ी है. झारखंड और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य रहे जहां ऊपर बतायी गई दोनों अवधि में गेहूं की उपज के लिहाज से शुद्ध आमदनी नकारात्मक रही.

 

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सवाल पर गठित दलवई समिति की रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि टर्म्स ऑफ ट्रेड इंडेक्स 1990 के दशक से 2000 के दशक के शुरुआती सालों के बीच कृषि के अनुकूल साबित नहीं हुआ.


टर्म्स ऑफ ट्रेड इंडेक्स के जरिए पता चलता है कि कृषि क्षेत्र से खरीद और बिक्री का अनुपात क्या रहा. रिपोर्ट के मुताबिक खेती-बाड़ी के मामले में 1981-82 से 2009-10 तक टर्म्स ऑफ ट्रेड इंडेक्स 100 से नीचे रहा है और 2010-11 के बाद ही यह 100 के अंकमान से ऊपर गया.


गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय कृषि-क्षेत्र से होने वाले निर्यात और गैर कृषि-क्षेत्र से होने वाले आयात के मूल्यों की तुलना करने के लिए टर्म्स ऑफ ट्रेड इंडेक्स का इस्तेमाल करता है. इसके सहारे मापा जा सकता है कि किसानों को अपना सामान बेचने पर जो कीमत हासिल हुई उसकी तुलना में उपभोग के लिए वस्तुओं की खरीद पर कितना कम या ज्यादा खर्च करना पड़ा. 100 से ऊपर के अंकमान को खेती-बाड़ी के पक्ष में माना जाता है और इससे कम के अंकमान के खेती-बाड़ी के विपरीत.(देखें यह लिंक)

 

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के दूसरे खंड के तथ्य संकेत करते हैं कि खेतिहर मजदूरों से बावस्ता उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआईएएल-कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर एग्रीकल्चरल लेबरर) की वृद्धि-दर 1981-82 से कृषि के सकल मूल्य संवर्धन(जीवीए-ग्रास वैल्यू एडेड) से ज्यादा रही है.(इससे संबंधित सारणी देखने के लिए यहां क्लिक करें)


अगर सीपीआईएल खेती के ग्रास वैल्यू एडेड की तुलना में ज्यादा बढ़े तो माना जाता है कि कृषि-क्षेत्र की कमतर बढ़वार के बावजूद श्रमिक खेतिहर मजदूरी बढ़ाने की मांग करेंगे ताकि वे बढ़ती हुई मुद्रास्फीति की तुलना में अपनी वास्तविक आमदनी स्थिर रख सकें.


गौरतलब है कि सीपीआईएल के सहारे खेतिहर मजदूरों के उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में आये बदलाव को मापा जाता है जबकि ग्रास वैल्यू एडेड(जीवीए) सकल घरेलू उत्पाद और निवल अप्रत्यक्ष कर के अन्तर को कहते हैं.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक्स-

 "Strategy for Doubling Farmers' Income by 2022”, prepared by the Committee headed by Ashok Dalwai, please click here to access


Volume I: “March of Agriculture since Independence and Growth Trends”: Historical Analysis and Examination of Agricultural Production and Farmers’ Income, Report of Committee on Doubling Farmers’ Income, 12 August, 2017, please click here to access

 

Volume II: “Status of Farmers’ Income: Strategies for Accelerated Growth”: Inter-linkages between Input Costs, Diversification, Capital Formation and Income, Report of Committee on Doubling Farmers’ Income, 12 August, 2017, please click here to access


Volume III: “Post-production Agri-logistics: maximising gains for farmers”: Agricultural Logistics is the Backbone of Agri-Business Agricultural Marketing is the Brains behind Value Realisation, Report of Committee on Doubling Farmers’ Income, 12 August, 2017, please click here to access

 

Volume IV: “Post-production interventions: Agricultural Marketing”: Capturing Value from every Grain, every Ounce, every Drop of agricultural produce, Report of Committee on Doubling Farmers’ Income, 12 August,  2017, please click here to access



Doubling Farmers' Income: Rationale, Strategy, Prospects and Action Plan -Ramesh Chand, NITI Policy Paper No. 1/2017, National Institution for Transforming India, March, 2017, please click here to access

 

Centre to come out with draft model law on contract farming -Vishwa Mohan, The Times of India, 11 September, 2017, please click here to access

 

'Input prices have pulled down farm income' -TV Jayan, The Hindu Business Line, 23 August, 2017, please click here to access

 

What is the cost of doubling farmers' income by 2022? -Richard Mahapatra, Down to Earth, 22 August, 2017, please click here to access 

 

Additional Rs 6,39,900 crore investment needed to double farmers' income, The Economic Times, 14 August, 2017, please click here to access

 

A new movement is born -Yogendra Yadav, The Tribune, 19 July, 2017, please click here to access 


Government planning 'one nation, one market' in agriculture sector -Sayantan Bera, Livemint.com, 2 May, 2017, please click here to access

 

Panel on doubling farmers' income mulls major reforms, Livemint.com, 12 February, 2017, please click here to access


Govt sets up panel to lay out plan for doubling farm incomes -Sayantan Bera, Livemint.com, 22 April, 2016, please click here to access  



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