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चर्चा में.... | महामारी के काल में 'महिला कर्मी' और उनका 'मेहनताना'
महामारी के काल में 'महिला कर्मी' और उनका 'मेहनताना'

महामारी के काल में 'महिला कर्मी' और उनका 'मेहनताना'

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published Published on Nov 3, 2022   modified Modified on Nov 7, 2022

किसी भी शख्स को रोटी, कपड़ा और मकान सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। अधिकतर लोग पैसे कमाने के लिए रोजी करते हैं। लेकिन क्या आप ऐसी नौकरी करेंगे जहां आपको मजदूरी ही ना मिले? हमने पिछले न्यूज अलर्ट में ऐसे लोगों की पड़ताल की थी, जिन्हें किसी भी प्रकार का वेतन नहीं मिलता था। इस न्यूज़ अलर्ट में, महामारी के समय में, महिला कर्मियों को मिले पारिश्रमिक पर बात करेंगे।

क्या महामारी के काल में अवैतनिक–निम्न गुणवत्ता वाले रोजगारों के संदर्भ में लैंगिक और ग्रामीण–शहरी विभाजन मौजूद था?


इसी प्रश्न की पड़ताल करने के लिए सरकारी रिपोर्ट पीएलएफएस को आधार बनाया है। पीएलएफएस की प्रत्येक रिपोर्ट के टेबल–15 को आधार बनाकर हमने यहां दो टेबल (1 और 2)  बनाई हैं। 
पीएलएफएस की पिछली चार रिपोर्टों के लिए यहां, यहां, यहां और यहां क्लिक कीजिए।

इन रिपोर्टों में कामगारों को अलग–अलग श्रेणियों में बांटा है।


स्वनियोजित

*कोड 11:– खुद के बल पर घरेलू उद्यम चलाने वाले और किसी के साथ साझेदारी में उद्यम चलाने वाले।

*कोड 12:– स्वनियोजित आदमी जो अपने घरेलू उद्यम पर अन्य कर्मचारियों को भी काम पर रखता है–नियोक्ता।

*कोड 21:– किसी घरेलू उद्यम में सहायक के तरह काम करने वाले।

नियमित वेतन या मजदूरी वाले कर्मचारी

*कोड 31:– कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे कर्मचारी जिन्हें नियमित रूप से वेतन या मजदूरी मिलती है।

अनौपचारिक श्रमिक

कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे मजदूर जिन्हें मजदूरी ठेकेदार के साथ हुए अनुबंध के आधार पर मिलती है।

*कोड 41:– ऐसे अनौपचारिक मजदूर जो सार्वजनिक काम से जुड़े हैं (मनरेगा के अलावा)

*कोड 51:– अन्य प्रकार के कामों से जुड़े अनौपचारिक मजदूर।

काम नहीं कर रहें हैं पर काम की तलाश में हैं– बेरोजगार

  • *कोड 81:– रोजगार की तलाश में, काम के लिए उपलब्ध (सामान्य स्थिति पैमाने पर)

कहीं काम भी नहीं कर रहे हैं और कहीं करना भी नहीं चाहते हैं

  • *कोड 97:– श्रम बल का हिस्सा नहीं (भिखारी, वेश्यावृत्ति)

 

  • ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार गणना की सामान्य स्थिति (यूजुअल स्टेटस) दृष्टिकोण को मध्यनजर रखते हुए पुरुष कर्मियों को देखें तो पुरुषों में स्वनियोजित कर्मियों का अनुपात बढ़ रहा है।
  • पीएलएफएस के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार 2017–18 में, ग्रामीण क्षेत्र में स्वनियोजित पुरुषों (कोड 11 & 12) का अनुपात 34.7 फीसदी था जो बढ़कर 2020–21 में 36.6 फीसदी हो गया।

वहीं शहरी क्षेत्र के मामले में देखें तो अनुपात वर्ष 2019–20 से 2020–21 के बीच थोड़ा बढ़ा है।

कृपया आप टेबल 1 को देखें। टेबल को सही से देखने के लिए टेबल पर भार दीजिये फिर ओपन इमेज पर क्लिक कीजिये

 

टेबल 1:– सामान्य स्थिति दृष्टिकोण के मार्फत पुरुष कर्मियों का अलग–अलग श्रेणियों में अनुपात– शहरी और ग्रामीण।

स्त्रोत
चौथी, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिये!
तीसरी, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिये!
दूसरी, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिये!
पहली, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिये!

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श्रम बल गणना के सामान्य स्थिति दृष्टिकोण से देखें तो महिलाओं में स्वनियोजित महिलाओं का अनुपात निरंतर बढ़ रहा है। पीएलएफएस की 2017–18 रिपोर्ट में स्वनियोजित महिलाएं 4.5 फीसदी थी जो बढ़कर 2020–21 की रिपोर्ट में 7.9 फीसदी हो जाती है(ग्रामीण क्षेत्र में)। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में यह वृद्धि धीमी थी। देखिए टेबल 2 को।

टेबल–2 :– सामान्य स्थिति दृष्टिकोण से रोजगार की विभिन्न श्रेणियों में काम कर रही महिलाओं का अनुपात (शहरी और ग्रामीण)

स्त्रोत- वही जो टेबल 1 के लिए .

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अब टेबल 1 को वापस समझते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में, घरेलू उद्यमों में काम करने वाले अवैतनिक पुरुष सहायकों का अनुपात 2017–18 से 2018–19 के बीच में घट रहा था। महामारी के दौर में अवैतनिक पुरुषों सहायकों  का अनुपात फिर से बढ़ने लगता है। और बढ़कर 2020–21 में 8.2 फीसदी हो जाता है।
इसी तरह शहरी क्षेत्र में भी घट रहा था, 2018–19 में 2.8 फीसदी था जोकि बढ़कर 2020–21 में 3.1 प्रतिशत हो जाता है।


टेबल 2, जो आंकड़े दिखा रही है। वो और भी डरावने हैं। ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू उद्यमों में काम करने वाली अवैतनिक महिला कर्मियों का अनुपात महामारी काल में तेजी से बढ़ा है। पीएलएफएस की 2017–18 रिपोर्ट में अवैतनिक महिला कर्मियों का अनुपात 9.1 फीसदी था। जोकि बढ़कर 2018–19 में 9.6 फीसदी हो जाता है। और 2019–20 व 2020–21 में तेजी से बढ़ते हुए क्रमश: 13.6 फीसदी और 15.3 फीसदी हो जाता है।


महामारी के काल में, अवैतनिक कर्मियों का अनुपात बढ़ा है( पुरुष और महिला दोनों में)। लेकिन पुरुष कर्मियों की तुलना में महिला अवैतनिक कर्मियों का अनुपात अधिक बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्र में, 2018–19 से 2020–21 के बीच अवैतनिक महिला कर्मियों की वृद्धि 6.7 प्रतिशत प्वाइंट हुई है। वहीं पुरुष कर्मियों में यह वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत प्वाइंट रही।

अगर महिला और पुरुष कर्मियों के बीच का अंतर देखें, तो यह 2017–18 से 2020–21 के बीच 2.1 प्रतिशत प्वाइंट से 7.1 प्रतिशत प्वाइंट रहा।


सामान्य स्थिति पैमाने पर अगर शहरी क्षेत्र के घरेलु उद्यमों में काम करने वाली अवैतनिक महिला कर्मियों को देखें, तो उनका अनुपात भी बढ़ रहा है। पीएलएफएस की वार्षिक रिपोर्ट 2018–19 में यह अनुपात 1.8 फीसदी था जो बढ़कर 2020–21 में 2.6 फीसदी हो जाता है।


                        ग्रामीण क्षेत्र में नियमित वेतन या मजदूरी वाले पुरुष कर्मियों का अनुपात लगभग नियत है ( यूजुअल स्टेटस पर )। हालांकि, शहरी क्षेत्र में काम कर रहे नियमित वेतन या मजदूरी भोगी कर्मियों का अनुपात 2017–18 की तुलना में 2020–21 में घटा है, 33.0 फीसदी से घटकर 31.7 फीसदी हो गया। (कृपया देखें टेबल–1)


                  सामान्य स्थिति दृष्टिकोण पर, ग्रामीण क्षेत्र में नियमित वेतन या मजदूरी पर काम करने वाली महिला कर्मियों का अनुपात बढ़ा है। पीएलएफएस 2017–18 में 2.5 फीसदी था। जो बढ़कर 2020–21 में 3.3 फीसदी हो जाता है।शहरी क्षेत्र में देखें, तो नियमित वेतन या मजदूरी वाली महिला कर्मियों का अनुपात 2017–18 के 9.5 फीसदी से बढ़कर 2019–20 में 11.5 फीसदी हो जाता है। लेकिन 2020–21 में घटकर फिर 10.6 फीसदी हो जाता है।


ग्रामीण क्षेत्र में, रोजगार आंकलन के सामान्य स्थिति दृष्टिकोण पर, अनौपचारिक महिला कर्मियों के अनुपात में बढ़ोतरी हुई है। पीएलएफएस 2018–19 से 2020–21 में अनुपात 6.6 फीसदी से बढ़कर 8.3 फीसदी हो जाता है|

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संदर्भ-

Fourth Periodic Labour Force Survey Annual Report (July 2020-June 2021), released in June 2022, National Statistical Office (NSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), click here to access  

Third Periodic Labour Force Survey Annual Report (July 2019-June 2020), released in July 2021, National Statistical Office (NSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access  

Second Periodic Labour Force Survey Annual Report (July 2018-June 2019), released in June 2020, National Statistical Office (NSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access  

First Periodic Labour Force Survey Annual Report (July 2017-June 2018), released in May 2019, National Statistical Office (NSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access   

News alert: Quality of work matters, and not just job creation, Inclusive Media for Change, Published on: Sep 26, 2022, please click here to access

What’s behind the ‘improvement’ in employment situation in labour force survey report -PC Mohanan, ThePrint, 21 August, 2021, please click here to access 

 

 

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