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चर्चा में.... | क्या है भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का भविष्य ?
क्या है  भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का भविष्य ?

क्या है भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का भविष्य ?

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published Published on Sep 6, 2022   modified Modified on Sep 7, 2022


आज भारत की आबादी 1.4 बिलियन है जो कि निरंतर बढ़ रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या और राष्ट्र में आर्थिक वृद्धि के लिए वाहनों की मांग रहती है. अब तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल 29.11 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं. 
आर्थिक वृद्धि से इतर वाहनों ने पर्यावरण को प्रदूषण के रूप में तोहफा भी दिया है. तो जवाब में पर्यावरण ने जलवायु परिवर्तन के रूप में वापसी उपहार दिया है.
विश्व समुदाय ने 15 वर्षों (2015–30) के लिए साझा लक्ष्य घोषित किए हैं. उनमें दो लक्ष्य– किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्यवाही की बात करते हैं.
इन्हें हासिल करने, जीव समुदाय के वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए के लिए वाहनों में प्रयोग किए जा रहे ईंधन पर ध्यान देना जरूरी है. क्योंकि वाहनों में प्रयोग किया जा रहा ‘जैव ईंधन’ इको फ्रेंडली नहीं होता है.
अब इको फ्रेंडली ईंधन की ओर जाना होगा! इको फ्रेंडली विकल्पों में एक इलेक्ट्रिक व्हीकल भी है.आज के न्यूज़ अलर्ट समाचार में इलेक्ट्रिक व्हीकल के वर्तमान, भविष्य, चुनौतियां और समाधान पर बात करेंगे.


इलेक्ट्रिक व्हीकल्स किसे कहते हैं?
ऐसे वाहन जो आंतरिक दहन इंजन की बजाए मोटर से चलते हो और इनमें ईंधन टंकी की जगह बैटरी लगी हुई होती है.


वर्तमान स्थिति क्या है?

पिछले वर्ष 2021 में वाहनों के पंजीकरण में 2.61% वृद्धि रही हुई थी. जनसंख्या और आर्थिक संपन्नता में हो रही वृद्धि भविष्य में वाहनों के बढ़ते रहने की भी संभावना को दर्शाता है.

हालांकि अगस्त 2022 तक के आंकड़े कहते हैं कि कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी केवल 0.004% ही थी. सुखद बात यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है.वर्ष 2021 की बात करें तो कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर 1.8% हो गई है. नीचे दिए गए ग्राफ की हरे रंग वाली रेखा देखें.

  • इस ग्राफ में दो आंकड़े दिए हुए हैं. लाल रेखा दर्शाती है कि कुल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में दो पहिए वाले वाहनों की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है. वर्ष 2016 में बिकने वाले कुल इलेक्ट्रिक वाहनों में दोपहिया वाहन की हिस्सेदारी 0.2% थी जो वर्ष 2022 के अगस्त आते–आते 60% हो जाती है.
  • कुल इलेक्ट्रिक वाहनों में दोपहिये वाले इलेक्ट्रिक वाहन की बढती संख्या के पीछे का कारण महामारी के काल में होम डिलीवरी की बढ़ती मांग और गीग इकोनॉमी में आया उछाल माना जा रहा है. उदाहरण के लिए महामारी के काल में पंजीकृत होने वाले सभी वाहनों में गिरावट आयी थी परन्तु  दोपहिये वाहन के व्यवसायिक प्रयोग हेतु पंजीकरण में बढ़ोतरी हुए थी.  हाल ही में  विश्व की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण (दो/ तीन पहिया) यूनिट ओला कम्पनी द्वारा भारत में स्थापित की है.
  • इस ग्राफ की हरी रेखा भारत में पंजीकृत हो रहे कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को दर्शा रही है. जोकि निरंतर बढ़ रही है. परन्तु केंचुए की गति से बढ़ रही है जिसे तेजी से बढ़ाना जरूरी है.

भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहन के लिए किए जा रहें प्रयास–

यह छवि नीतिआयोग से साभार ली गई है click here


भारत सरकार ने पिछले कई वर्षों से देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं.
इन्हीं प्रयासों में एक है – FAME (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ {हाइब्रिड एंड} इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना.

FAME योजना भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को जल्दी अपनाने और देश में ही उसके निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल,2015 को इस योजना का शुभारंभ किया गया.यह दो वर्ष के लिए यानी 2017 तक थी. फिर उसका समय काल दो वर्ष और बढ़ा दिया गया.1 अप्रैल,19 में इस योजना का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ. जोकि तीन वर्ष के लिए था. सरकार द्वारा दूसरे चरण को दो वर्ष के लिए यानी 31 मार्च,2024 तक फिर से बढ़ा दिया गया है.

 क्या केवल बजट की घोषणा ही काफी है?
भारत के सुदूर क्षेत्रों तक जैव ईंधन के लिए आवश्यक अवसंरचना मौजूद है. ग्राहक अपनी बचत और उपलब्धता के आधार पर जैव ईंधन का प्रयोग करते हैं.
सरकार का दायित्व है कि वो इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहन दे, आवश्यक अवसंरचना का निर्माण करवाएं.
इसी को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने फेम योजना की शुरुआत की थी. परंतु योजना की घोषणा करने भर से काम पूरा नहीं हो जाता है. नीचे दी गई टेबल को देखिये.

(सन्दर्भ के लिए यहाँ यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिए.)

#2021-22 के लिए Actual भाग में रखे आंकड़े असल में बजट के संसोधित अनुमान हैं क्योंकि Actual आंकड़े आने अभी बाकी हैं.

फेम के दुसरे चरण के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ की घोषणा की थी. लेकिन दुसरे चरण के तीन वर्ष (2019 से 22) पूरे होने तक सरकार केवल 1,618 करोड़ ही खर्च पायी.


वित्तीय वर्ष 2020–21 में सरकार ने 693 करोड़ रुपए इस योजना के लिए आवंटित किए थे लेकिन 318 करोड़ ही खर्च कर पाई. और उसी वर्ष देश का ऑटो सेक्टर आर्थिक मंदी के अंधेरे में था.

वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना के लिए 2908 करोड़ रूपए की अनुमानित राशि आवंटित की है.

चुनौतियां
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. ईवी कॉन्क्लेव इंडिया 2022 में जारी सफेद पत्र के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत को 46,000 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन बनाने होंगे. 
तभी भारत विश्व मापदंड पर पहुंच सकता है.वर्तमान में 2000 से भी कम चार्जिंग स्टेशन कार्यरत हैं. भारत में 135 इवी एक चार्जिंग स्टेशन पर निर्भर हैं वहीं चीन में एक स्टेशन पर 6 इलेक्ट्रिक वाहन निर्भर हैं.

वाहनों की बैटरी बनाने के लिए लिथियम आयन सेल की जरूरत रहती है. भारत के पास इसका भंडारण कम है, जो उपलब्ध है उसके निजी उत्खनन के लिए संसद में बिल रखा गया है.
उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार भारत ने वर्ष 2021 के लिए 1 बिलियन कीमत का लिथियम आयात किया. आयात की यह कीमत व्यापार संतुलन को प्रभावित करती है.


भविष्य-


भारत सरकार द्वारा वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा है. नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने में इलेक्ट्रिक वाहन प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलते हैं.

भारत ने “EV30@30” का समर्थन करता है यानी वर्ष 2030 तक भारत के कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी कम से कम 30% बनाना है. (हालाँकि 2021 तक 1.8% ही है.)
जहां एक ओर पेट्रोल और डीजल की कीमतें उछाल भर रही है तो वहीं दूसरी ओर इलेक्ट्रिक वाहन किफायती दिखते हैं,रखरखाव का खर्च भी कम आता है.

भारत सरकार व कई राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों के बिक्री को प्रोत्साहन दे रहीं हैं. प्रोत्साहन में पंजीकरण शुल्क में कमी, ब्याज माफी, सड़क कर में कमी, खरीदते समय छूट इत्यादि. 
केंद्र सरकार के द्वारा दिए जा रहें प्रोत्साहन को देखने के लिए यहां क्लिक कीजिए, राज्यों के लिए यहां.

वाहनों के कारण शहरों में ध्वनि प्रदूषण भी खूब फैलता है, इलेक्ट्रिक वाहन इसका एक विकल्प हो सकते हैं.
इन सब पहलुओ को मध्यनजर रखें तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का भारत में भविष्य सुनहरा हैं लेकिन सरकार और जनता दोनों इसे कितना भुना पाती है, वक्त ही बताएगा.

 

 सन्दर्भ-

Global EV Outlook 2022: Securing supplies for an electric future, produced by International Energy Agency click here

MOBILITY AND DEVELOPMENT: INNOVATIONS, POLICIES AND PRACTICES by world bank group click here

Data | How many electric vehicles and charging stations are there in India? by Vignesh Radhakrishnan for the hindu on 26 july -click here

Exploration, imports, private firms: India's search for lithium spreads out by Ishita Ayan Dutt Shally Seth Mohile Shine Jacob for Business Standerd click here

Electric vehicle charging infrastructure: A new roadmap from Times of India - click here

Vehicles are the main source of noise pollution’ FROM THE HINDU- click here

Image courtesy- TAXILA BUSINESS SCHOOL click here

Image courtesy-  NITI AAYOG  click here

 

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