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चर्चा में.... | मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!
मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

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published Published on Aug 18, 2022   modified Modified on Aug 19, 2022

कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है.
बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर सताने लगा है. लेकिन इस मुद्दे पर विशेषज्ञों के मत अलग-अलग है. नोमुरा ग्लोबल इकोनॉमिक्स और सीइआईसी का अनुमान कहता कि भले ही दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य से कमजोर हो या सामान्य से मजबूत फूड के रिटेल इनफ्लेशन में वृद्धि नहीं होगी. वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ कमजोर मानसून को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. 

मानसून का चावल वाले राज्यों में कमजोर रूप से आना, भविष्य में अनाजों के दामों में उछाल को न्योता दे सकता है.

अनाजों की महंगाई दर क्या  है ? कैसे की जाती है इसकी गणना?

भारत में महंगाई की गणना दो सूचकांक से की जाती है. पहले सूचकांक में वस्तुओं के थोक मूल्यों (wholesale price) को शामिल किया जाता है वहीं दूसरे सूचकांक में उपभोक्ता द्वारा चुकाएं गए मूल्य (consumer price सभी कर जोड़ने के बाद किस कीमत पर वस्तु ग्राहक को मिल रही है). 
अनाजों के दामों में महंगाई की गणना को दोनों सूचकांकों के माध्यम से समझ सकते हैं.

सबसे पहले किसान के खेत से बाजार में उसे क्या मूल्य मिल रहा है. बाजार में बेचे जाने के बाद वो थोक व्यापारियों के पास जाएगा. थोक व्यापारी जिस दर पर बेचेंगे उसका अगर सूचकांक बनाये तो वो थोक मूल्य सूचकांक कहलाएगा.
थोक स्तर पर बिका हुआ सामान रिटेल में बेचा जाएगा. यानी कीमत का एक निश्चित गैप बना रहेगा, रिटेल और थोक कीमतों के बीच. अगर थोक मूल्यों में बढ़ोतरी होती है तो रिटेल मूल्यों में भी बढ़ोतरी होगी.

महंगाई के स्तर को मापने के लिए वर्तमान माह की तुलना पिछले वर्ष के उसी महीने से की जाती है. यानी आपको जुलाई 2022 में महंगाई को मापना है तो आप 2021 के जुलाई माह से तुलना करेंगे.

हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने रिटेल महंगाई पार आंकड़े जारी किये है. जिसमें रिटेल महंगाई में कमी आई है. पर अनाजों के रिटेल मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ो की भाषा में कहें तो अनाज और उत्पादों की महंगाई दर जून (2022) में 5.66% थी जो बढ़कर जुलाई माह (2022) में 6.90% हो गई.

दिख रहे है खतरे के काले बादल
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने जुलाई, 2022 के लिए थोक मूल्य सूचकांक को जारी किया गया है. सूचकांक के अनुसार अनाज और उत्पादों के मूल्यों (थोक) में भारी उछाल आया है. इस उछाल का प्रभाव खाद्य सामानों के रिटेल मूल्यों पर भी देखा जा सकता है.


थोक मूल्यों के प्रभाव को रिटेल स्तर पर कम करने के लिए सरकार अपने भण्डारण में से "ओपन मार्किट सेल स्कीम" (OMSS) के तहत बाजार में अनाज जारी करती है. 


वहीं सरकार के 15 जुलाई तक के आंकड़े यह कह रहे हैं कि चावल बोये गए रकबे में भी कमी आयी है. इस वर्ष बोये गए चावल  का इलाका 128.5 लाख हेक्टे. है. जोकि पिछले वर्ष की तुलना में कम है ( 155.53 लाख हेक्टे.)

 राहत की बूंदे!
चावल और गेहूं से इतर मोटे अनाजों की बुवाई का रकबा बढ़ा है. सरकारी के आंकड़ों के अनुसार 28 जुलाई, 2022 तक बोया गया इलाका 142.21 लाख हेक्टेयर था. जोकि पिछले वर्ष के इसी समय (28 जुलाई, 2021) की तुलना में (135.30 लाख हेक्टेयर) अधिक है.
ऐसी ही उम्मीद की किरण दालों से भी मिली है. 27 जुलाई,2022 तक बोई गई दलहनी फसलों का रकबा 106.18 लाख हेक्टेयर था. जोकि पिछले वर्ष के इसी समय (27 जुलाई, 2021) की तुलना में अधिक है. (103.23लाख हेक्टे.)

भण्डारण की क्या स्थिति है?
भण्डारण के पीछे सरकार के दो उद्देश्य होते हैं. पहला, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन. दूसरा, अगर बाजार में खाने के सामानों के मूल्यों में बढ़ोतरी हुई हो तो आपूर्ति करके कीमतों में कमी लाना.
सरकार आपूर्ति करने के लिए "ओपन मार्केट सेल स्कीम" का प्रयोग करती है. अब दिक्कत यह है कि सरकार के पास में भी "ओपन मार्केट सेल स्कीम" के लिए जरूरी गेहूं का भंडारण नहीं है. 1 जलाई,2022 के आंकड़ों के अनुसार केन्द्रीय भंडारगृह में गेहूं का कुल भंडारण 285.10 लाख टन था जोकि पिछले वर्ष के उसी समयकाल से बहुत कम है(603.56 लाख टन)


इसके पीछे का एक कारण (संयुक्त राष्ट्र के कृषि विभाग के अनुसार) खरीफ सीजन में तापमान का बढ़ना है (मार्च,2022) जिससे पैदावर में 10-15% की कमी आयी.
दूसरा कारण यह है कि किसान व्यावसायिक फसलों के उत्पादन को वरीयता दे रहे है. 27 जनवरी 2022 के आंकड़े कह रहे हैं कि रबी में गेहूं का रकबा कम हुआ है. 27 जनवरी 2022 को 342.37 लाख हेक्टेयर था वहीं पिछले वर्ष के इसी समय काल में 345.86 लाख हेक्टेयर.

व्यवसायिक फसलों के रकबे में हुए बढ़ोतरी का एक कारण सरकार द्वारा msp में बढ़ोतरी करना भी है. रबी सीजन 2021-22 के लिए सरसों की msp में भारी वृदि की गई थी. परिणामस्वरूप रकबे में इजाफा हुआ. 27 जनवरी,2022 को बोये गए सरसों का रकबा 91.44 लाख हेक्टे. था जोकि पिछले वर्ष के रबी सीजन (73.12 लाख हेक्टे.)की तुलना में अधिक है.


यूक्रेन और रूस का युद्ध शुरू होता है. यह भ्रम फैल जाता है कि गेहूं की कमी होने वाली है, भारत में निजी बाजार किसानों से ऊँचे दामों पर खरीददारी शुरू कर देते हैं. फलस्वरूप सरकारी संस्थाओं के पास किसान msp पर फसल बेचने नहीं आते हैं. नीचे दी गई टेबल में देखिये पंजाब, हरियाणा, राजस्थान,मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में भण्डारण कम हुआ है.

 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 81 करोड़ व्यक्तियों को प्रति माह पांच किलोग्राम अनाज (चावल/गेहूं) फ्री दिया जाता है. गेहूं की कमी के कारण गुजरात और उत्तरप्रदेश की सरकारों ने पहले 2 किलोग्राम चावल और 3 किलोग्राम गेहूं देना शुरू किया फिर 3 किलो चावल और 2 किलो गेहूं.
विषय से इतर कई विशेषज्ञों का कहना है कि हाल ही में खाने की कई खाने वस्तुओं पर लगाया गया GST, खाने के सामानों की रिटेल दर में बढ़ोतरी कर सकता है.

References

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Press release: Consumer Price Index on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of June 2022, released on July 12, 2022, Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access

Minutes of the Crop Weather Watch Group (CWWG) Meeting held on July 1, 2022, please click here to read more 

Minutes of the CWWG Meeting held on July 2, 2021, please click here to read more 

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Progress of area coverage under kharif crops as on 29 July, 2022, please click here to access   

Progress of area coverage under kharif crops as on 15 July, 2022, please click here to access   

Progress of area coverage under rabi crops as on 28 January, 2022, please click here to access   

Press release: FAQs on GST applicability on ‘pre-packaged and labelled’ goods, Ministry of Finance, Press Information Bureau, released on July 18, 2022, please click here to access 

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Lower kharif plantings due to uneven rains a growing concern, says report -Suchet Vir Singh, ThePrint.in, August 7, 2022, please click here to access 

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First wheat, now rice — hit by bad weather, output could fall by ‘10 mn tonnes’ this season -Sayantan Bera, ThePrint.in, 27 July, 2022, please click here to access  

Windfall tax on corporations goes as 5% GST on food items kicks in -Prasanna Mohanty, July 21, 2022, Cenfa.org, please click here to access

Does India have enough rice for welfare schemes and ethanol? What the govt is missing -Siraj Hussain, ThePrint.in, July 14, 2022, please click here to access 

UP & Gujarat demand more wheat under PDS -Sandip Das, The Financial Express, July 6, 2022, please click here to access

'Betting on Hunger': Market Speculation Is Contributing to Global Food Insecurity -Kabir Agarwal, Thin Lei Win and Margot Gibbs, TheWire.in, 6 May, 2022, please click here to access

Heatwave: Crop losses to be large; wheat and vegetables hit the most -Nayan Dave and Sandip Das, Financial Express, May 2, 2022, please click here to access  
 

Image Courtesy: Himanshu Joshi 

 

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