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चर्चा में.... | पाताल के पानी का भरपूर दोहन कर रहे हैं हरियाणा, पंजाब और राजस्थान
पाताल के पानी का भरपूर दोहन कर रहे हैं हरियाणा, पंजाब और राजस्थान

पाताल के पानी का भरपूर दोहन कर रहे हैं हरियाणा, पंजाब और राजस्थान

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published Published on Nov 30, 2022   modified Modified on Jul 26, 2023

भारत में बारिश के साथ आने वाली खरीफ की सीजन खत्म हो गई है। सर्द हवाओं ने रबी की सीजन का इस्तक़बाल कर दिया है। किसानों ने मोटर–पंपों के माध्यम से पानी को पाताल से खींचना शुरू कर दिया है। नलकूपों में चल रही मशीनों के लिए बिजली सरकार ने भेजी है। यानी राजा और प्रजा दोनों की इच्छा है कि पाताल से पानी खींच कर खेतों में छोड़ा जाए।

इसी दौरान कुछ लोग संकट के बादलों की ओर इशारा करने लगते हैं। संकट किस बात का ? संकट इस बात का है कि जो पाताल में पानी है वो सीमित है! क्या वाकई भूमिगत जल के भंडार में गिरावट आ रही है? अगर गिरावट आ रही है तो इसका प्रारूप किस तरह का है?

आज के इस लेख में भूमिगत जल भंडारण की यथास्थिति को समझेंगे। तो सीधा मुद्दे पर आते हैं।

 

भारत में भूमिगत जल की वस्तुस्थिति क्या है?

नेशनल कॉमपिलेशन ऑन डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया, 2022; रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में भूजल भंडारण में जल संचयन, 437.60 अरब घन मीटर (bcm) हुआ है। वहीं वर्ष 2022 में पाताल से निकाले गए पानी का माप 239.16 अरब घन मीटर है।

वर्ष 2022 में 398.08 अरब घन मीटर पानी को भूमि से निकाल सकते थे। यानी भारत ने निकासी के लिए उपलब्ध जल का 60 फीसदी हिस्सा ही निकाला है जोकि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2 फीसदी कम है। यह अच्छा संकेत है। कृपया नीचे दी गई सारणी-1 को देखिये, यहाँ भूमिगत जल भण्डारण पर किए गए विभिन्न अनुमानों के आंकडें दी गए हैं।

सारणी-1 : Ground water Resources assessment 2004 to 2022

स्रोत- नेशनल कॉमपिलेशन ऑन डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया, 2022 अक्टूबर 2022 में जारी

वर्ष 2022 में, वर्ष 2004 के बाद सबसे कम दोहन किया गया है

आपको जितना गुलाबी नजारा दिख रहा है, सब जगह उतना है नहीं। क्योंकि निकासी का प्रारूप अलग–अलग इकाइयों में भिन्न–भिन्न प्रकार का है। किसी इकाई क्षेत्र में भूमिगत जल की आवक अधिक है, तो कहीं पर कम। इसी तरह निकासी की मात्रा ने भी विषमता धारण की हुई है। कहीं पर पाताल से अधिक जल निकाला जा रहा है तो कहीं पर कम। भारत देश में भूमिगत जल के मापन के लिए 7089 इकाइयां स्थापित की हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 1006 इकाइयां आवक की तुलना में अधिक जल की निकासी करती है। इन्हें अतिदोहन की श्रेणी में रखा गया है। नीचे दी गई सारणी को देखिए! 

 

सारणी-2:- : Categorization of assessment units in 2022

स्रोत- नेशनल कॉमपिलेशन ऑन डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया, 2022 अक्टूबर 2022 में जारी

  • ऊपर दी गई सारणी में वर्ष 2022 के आंकड़े दर्ज है। सारणी के अनुसार 32 फीसदी इकाइयां सुरक्षित श्रेणी में नहीं आती है। यह 32 फीसदी इकाइयां भूमिगत जल के संग्रहण क्षेत्र का 34 फीसदी हिस्सा निर्मित करती है।

कुल इकाइयों में से 885 इकाइयां अर्ध नाजुक, 260 नाजुक और 1006 इकाइयां जल का अधिक दोहन कर रही हैं। और 158 इकाइयों के पानी में खारापन है। 

इकाइयां- अलग–अलग राज्यों में प्रशासनिक क्षेत्रों को अलग–अलग नामों से जानते हैं। जैसे ब्लॉक, तालुका, मंडल इत्यादि। जब भूमिगत जल भंडारण का मापन किया जाता है तब आसानी के लिए इन सबको इकाई का दर्जा दे दिया जाता है। भारत में वर्ष 2022 के दौरान 7089 इकाइयां थी।

 

राजस्थान, हरियाणा और पंजाब की स्थिति खराब

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----एक नलकूप (ट्यूबवेल) की तस्वीर। तस्वीर–अशोक कुमार


लेख की शुरुआत में हमने बताया कि अलग–अलग राज्यों में भूमिगत जल का दोहन अलग–अलग मात्रा में होता है। कहीं पर अति दोहन होता है यानी जितना पानी रिस कर पाताल में नहीं जाता उससे अधिक पाताल से खींच कर बाहर ला दिया जाता है। और कहीं पर भूमिगत जल भंडार सुरक्षित है।
जब रिपोर्ट में राज्यवार आंकड़े देखें तो राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में पाताल के पानी पर लाल बत्ती दिखी। इन तीनों राज्यों में कुल 598 इकाइयां हैं। जिन में से लगभग 15 प्रतिशत ही सुरक्षित श्रेणी में आती है। यानी बची हुई 85 फीसदी इकाइयां असुरक्षित है। इन तीन राज्यों की 85 प्रतिशत इकाइयां (जो कि असुरक्षित हैं) पूरे देश की 25 फीसद असुरक्षित श्रेणियों का निर्माण करती है।
यहां राज्यवार ब्यौरा साझा किया है;


हरियाणा– में कुल 143 इकाइयां हैं। 36 सुरक्षित श्रेणी में आती हैं, 9 अर्ध नाजुक, 10 नाजुक और 88 इकाइयां अति दोहन की शिकार।
पंजाब में कुल 143 इकाइयां हैं। 17 इकाइयां सुरक्षित श्रेणी में। 15 इकाइयां अर्ध नाजुक, 4 इकाइयां नाजुक और 117 इकाइयां अतिदोहन की श्रेणी में आती हैं।
दो हरित क्रांति वाले सूबों की बात की। अब आते है मरुधर देश यानी राजस्थान में।


राजस्थान में कुल 302 इकाइयां हैं। 38 इकाइयां सुरक्षित श्रेणी में, 20 अर्ध नाजुक श्रेणी में, 22 नाजुक और 219 इकाइयां अति दोहन से ग्रसित हैं।

तय सीमा से अधिक भूमिगत जल का प्रयोग करने वाले राज्य–

सारणी- 3, विभिन्न राज्यों में पाताल के पानी की वस्तुस्थिति  

कृपया इस सारणी को मोबाइल में देखने के लिए इस पर भार दीजिए और ओपन इमेज पर क्लिक कीजिये:)

स्रोत- नेशनल कॉमपिलेशन ऑन डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज ऑफ इंडिया, 2022 अक्टूबर 2022 में जारी

हर समय पाताल में पानी का पुनर्भरण होता है। बारिश के सीजन में पुनर्भरण तेजी से होता है। यह एक चक्र है। जब पानी रिस कर पाताल में चला जाता है, भूजल का स्तर ऊपर उठ जाता है। तभी एक वर्ष में, जल की एक निश्चित मात्रा की निकासी की जा सकती है। जिसे वार्षिक निकासी योग्य भूजल संसाधन की संज्ञा दी जाती है।

लेकिन कई राज्य, एक वर्ष विशेष में निकासी के लिए उपलब्ध जल की तुलना में अधिक पानी खींचते हैं। इससे भूमिगत जल संसाधनों में लगातार कमी आती है, लाल बत्ती चमकने लगती है। राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में लाल बत्ती बड़ी तेजी से चमक रही है।

तो शुरू करते हैं राजस्थान से- वर्ष 2022 में निकासी के लिए उपलब्ध जल 10.96 बीसीएम था। लेकिन निकासी 16.56 बीसीएम जल की की गई।

यानी निकासी के लिए उपलब्ध जल की तुलना में 51.07 फीसदी अधिक जल निकाला गया।

राजस्थान में, वर्ष 2020 में निकासी के लिए उपलब्ध जल 11.07 बीसीएम था। लेकिन निकाला गया 16.63 बीसीएम। जोकि तय सीमा से 50.22 प्रतिशत अधिक था।

 

पंजाब में यह आंकड़ा और भी डरावना है। वर्ष 2022 में निकासी के लिए उपलब्ध जल की मात्रा 17.07 बीसीएम थी लेकिन निकाला 28.02 बीसीएम गया। यानी तय मात्रा की तुलना में 65.99 प्रतिशत अधिक जल पाताल से खींचा गया।

हरियाणा में भी यही हाल हैं। वर्ष 2022 में निकासी के लिए उपलब्ध जल की मात्रा 8.61 बीसीएम थी जबकि निकाला 11.54 बीसीएम गया है। जोकि तय सीमा से 34 फीसदी अधिक है।

वर्ष 2020 में निकासी के लिए उपलब्ध जल की मात्रा 8.63 बीसीएम थी लेकिन निकाला गया 11.61 बीसीएम।

इन बड़े राज्यों से इतर दमन और दीव जैसे केंद्रशासित प्रदेश में भी भूजल निकासी की सीमा को दरकिनार किया जा रहा है। तय सीमा की तुलना में 57 फीसदी अधिक जल का प्रयोग किया गया (2022 में )।

गौर करने वाली बात यह है कि लगभग 97 फीसदी भूजल का इस्तेमाल औद्योगिक कामों में किया जा रहा है।

 

भूमिगत जल खर्च कहां हो रहा है?
खर्च का हिसाब–किताब अपव्यय पर ध्यान खींचता है। जमीन से निकाले जा रहे पानी का इस्तेमाल कहां होता है?
भारत में वर्ष 2022 में 239.16 अरब घन मीटर पानी की निकासी हुई। इसमें से 3.64 बीसीएम पानी औद्योगिक कामों में, 27.05 बीसीएम घरेलू कामों में और सबसे अधिक (208.49 बीसीएम) खेती बाड़ी के कामों में इस्तेमाल किया जाता है।
प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 1.5 फीसदी औद्योगिक कामों में, 11.3 फीसदी घरेलू कामों में और 87.2 प्रतिशत किसानी में इस्तेमाल किया जाता है।


आनुपातिक रूप में सबसे अधिक कृषि कामों में जल का प्रयोग करने वाले राज्य- भारत में, पाताल से निकाले जा रहे पानी का 87.17 फीसदी हिस्सा खेती बाड़ी के कामों में इस्तेमाल किया जाता है।
हरियाणा में यह अनुपात बढ़ कर लगभग 90 प्रतिशत हो जाता है। और पंजाब में 95 फीसद।तमिल नाडु में, कुल पाताल के पानी का 94 फीसदी हिस्सा कृषि कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में यह अनुपात 90 फीसदी के आसपास जाता है।


ऐसे राज्य जहां अनुपातिक रूप से औद्योगिक कामों में अधिक भूजल का प्रयोग किया जाता है– देश में निकाले जा रहे कुल भूजल का 1.5 प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक कामों में इस्तेमाल किया जाता है। हरियाणा में यह अनुपात 5 फीसदी है। झारखंड में यह अनुपात 11 फीसदी पहुंच जाता है।

कई लेखकों ने अपने लेखों में हरित क्रांति से सामने आई कृषि प्रणाली के नकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है। उनमें से एक पहलू अधिक भूजल की निकासी भी है। इसलिए अब जरूरत है हरित क्रांति से उपजी कृषि प्रणाली, से इतर किसी अन्य कृषि प्रणाली को अपनाने की, अन्यथा पाताल में भी पानी का अकाल पड़ जाएगा।


भूजल में आ रही गिरावट से केवल संसाधनों में ही कमी नहीं आ रही है। इस गिरावट से भूजल की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ रहा है। राजस्थान में, पाताल के पानी में फ्लोराइड की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह कहीं आर्सेनिक की मात्रा बढ़ी हुई है तो कही नाइट्रेट और क्लोराइड की।

भूजल की बिगड़ती गुणवत्ता का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ेगा।

 

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सन्दर्भ-
National Compilation on DYNAMIC GROUND WATER RESOURCES OF INDIA, 2022 Please click here.

DYNAMIC GROUND WATER RESOURCES OF INDIA, 2020 Please click here.

Adverse impact of green revolution on groundwater, land and soil in Haryana, India S.K. Lunkad & A. Sharma Please click here.
Parched Punjabby, by down to erth Please click here.

Central Ground Water Board (CGWB) Please click here.

 


IMAGE CREDIT:- ASHOK KUMAR/ IM4Change
 

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