Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
चर्चा में.... | 'डिजिटल सर्विलांस' के मसले पर हिंदुस्तानी मीडिया का रुख क्या है?
'डिजिटल सर्विलांस' के मसले पर हिंदुस्तानी मीडिया का रुख क्या है?

'डिजिटल सर्विलांस' के मसले पर हिंदुस्तानी मीडिया का रुख क्या है?

Share this article Share this article
published Published on Apr 24, 2023   modified Modified on Apr 26, 2023

टाइम्स ऑफ इंडिया और दैनिक जागरण की खबरों में दिखा सर्विलांस के प्रति समर्थन!

 

पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है। लेकिन, आए दिन ये खबरें आती रहती हैं कि आज सरकार की ओर से या सरकार की किसी ‘खास एजेंसी’ की ओर से राष्ट्रहित में या व्यापक जनहित में फ़लाँ व्यक्ति पर या किसी संस्था पर सर्विलांस किया गया!

मीडिया में, ‘निजता’ और ‘सर्विलांस’ के सवालों को किस तरह से देखा जाता है? क्या मीडिया में सरकार के पक्ष को न्यायोचित ठहराया जाता है? या फिर निगरानी की घटनाओं को निजता के पैमाइश पर परखा जाता है?

कई गैर–सरकारी संस्थाओं या व्यक्तियों के द्वारा भी सर्विलांस का इस्तेमाल किया जाता है। मीडिया में ‘नॉन स्टेट’ सर्विलांस को किस तरह से देखा गया है?

इसका जवाब हाल ही में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट में मिला है। "स्टेट्स ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट, (SPIR) 2023: निगरानी और निजता का सवाल" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को दिल्ली स्थित कॉमन कॉज़ और सीएसडीएस नामक संस्थाओं ने तैयार किया है।

इस अध्ययन के लिए तीन हिंदी के और तीन अंग्रेजी की मीडिया संस्थानों की खबरों का विश्लेषण किया है। नीचे दी गई टेबल (4.1) को देखिए! हिंदी मीडिया संस्थानों में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और द वायर की खबरों को समावेशित किया है; और अंग्रेजी के लिए टाइम्स ऑफ़ इंडिया इंडियन एक्सप्रेस और दिप्रिंट की खबरों को शामिल किया है।

इस अध्ययन के लिए 1113 खबरों का विश्लेषण किया है।

 

सर्विलांस को लेकर मीडिया का रुख

 

खबरों में सर्विलांस का समर्थन

आए दिन मीडिया के सामने सर्विलांस से जुड़ी घटनाएँ आती रहती हैं; कुछ नई तो कुछ पुरानी। मीडिया उन पर खबरें प्रकाशित करता है। सर्विलांस के प्रति मीडिया का मत ‘जनमत’ को प्रभावित करता है। ये अध्ययन बताता है कि मीडिया ने 26 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस का समर्थन किया है। और 20 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस का विरोध। हालाँकि, ऐसी खबरों का भी ठीक–ठाक अनुपात है जिनमें किसी भी प्रकार का झुकाव दृष्टिगोचर नहीं हुआ है; अध्ययन की मानें तो 54 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस के मुद्दे पर कोई स्पष्ट झुकाव नहीं दिखा।

लेकिन सवाल यह उठता है कि सर्विलांस पर की गई खबरों में सरकार को किस नज़र से देखा गया है। क्या मीडिया ने सर्विलांस के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा किया? अध्ययन की मानें तो केवल 12 प्रतिशत खबरों में सरकार की आलोचना की गई है। वहीं सर्विलांस से जुडी 8 प्रतिशत खबरों में सरकार की तरफ झुकाव दिखा।

लेकिन इसी अध्ययन का एक आंकड़ा चिंताजनक स्थिति की ओर ध्यान खींचता है। सर्विलांस पर की गई खबरों में मीडिया ने राजनीतिक पक्ष को यथा सरकार को नजरंदाज किया। क्या मीडिया की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो सर्विलांस से जुडी खबरों में सरकार या सरकार की किसी एजेंसी से सवाल पूछे ? 10 में से 8 खबरें ऐसी थी जिसमें किसी भी तरह के राजनीतिक एंगल को नहीं दिखाया गया। कृपया आप नीचे दी गई टेबल (4.9) को देखिए।

 

गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों द्वारा सर्विलांस पर की गई खबरों में सरकार के प्रति अख्तियार किया गया रवैया संस्थानों पर निर्भर करता है। यानी कोई मीडिया संस्थान अपनी खबरों में सर्विलांस के मसले पर सरकार का समर्थन कर रहा होता है तो कोई विरोध। आप नीचे दी गई टेबल (4.10) को देखिए!

तस्वीर साभार- कॉमन कॉज

द वायर के द्वारा सर्विलांस के मसले पर की गई एक भी खबर ऐसी नहीं थी जिसमें सरकार की तरफ झुकाव दिख रहा हो। हालाँकि, वायर के अलावा बाकी बचे सारे मीडिया समूहों की खबरों में सरकार के प्रति झुकाव दिखा(देखें टेबल 4.10)। तुलनात्मक रूप से देखें तो यह झुकाव— टाइम्स ऑफ इंडिया, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर की खबरों में अधिक दिखा।टाइम्स ऑफ इंडिया और दैनिक जागरण द्वारा सर्विलांस के मसले पर प्रकाशित 13 प्रतिशत खबरें ऐसी थी जिसमें सरकार के प्रति झुकाव दिख रहा था।

सर्विलांस पर प्रकाशित खबरों में सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना वायर की खबरों (57 प्रतिशत) में दिखी। इसी तरह दिप्रिंट की 14 प्रतिशत खबरों में सरकार के प्रति आलोचनात्मक रुख दिखा।

अगर बात करें हिंदी पट्टी के दो सबसे बड़े अख़बारों (दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर) की तो यहाँ पर आलोचना की गति धीमी हो जाती है। केवल 0.5 प्रतिशत खबरें ऐसी थी जिसमें सरकार की आलोचना की गई है।

 

सर्विलांस का समर्थन करने वालों में 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' पहले नम्बर पर

 

सर्विलांस के प्रति हरेक मीडिया संस्थान नज़रिया एक जैसा नहीं है। कुछेक संस्थाओं को सर्विलांस से ज्यादा दिक्कत नहीं है। इनमें टाइम्स ऑफ इंडिया का नाम पहले नंबर पर आता है। सर्विलांस पर प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की 51 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस के प्रति झुकाव दिखा। इसी तरह दैनिक जागरण की 27 प्रतिशत, दैनिक भास्कर की 25 प्रतिशत और इंडियन एक्सप्रेस की 22 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस के प्रति झुकाव दिखा।

वहीं दूसरी ओर द वायर की खबरों में सर्विलांस के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखती है। वायर की केवल 0.8 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस की तरफ झुकाव दिखा।

आलोचना करने की कमान संभाली द वायर ने। सर्विलांस पर की गई 76 फीसदी खबरों में सर्विलांस को आलोचनात्मक निगाहों से देखा गया। वहीं दैनिक जागरण की केवल 4 प्रतिशत खबरों में सर्विलांस के प्रति आलोचनात्मक रुझान दिखा।

 

ना पक्ष में ना विपक्ष में

सर्विलांस पर प्रकाशित कई खबरें ऐसी थी जिसमें किसी भी तरह का झुकाव नहीं दिखा; ना पक्ष में ना विपक्ष में। सर्विलांस पर की गई दैनिक भास्कर की 73 प्रतिशत खबरें ऐसी ही थी। दैनिक जागरण की 69 प्रतिशत और इंडियन एक्सप्रेस की 61 प्रतिशत खबरों में किसी भी तरह के पक्ष–विपक्ष का दृष्टिकोण नहीं दिखा। कृपया नीचे दी गई टेबल (4.11) को देखें।

 

सैन्य बल और सर्विलांस

सर्विलांस को दायरे के आधार पर विभाजन करें तो दो प्रकार सामने आते हैं पहला, व्यापक तौर पर की जाने वाली निगरानी (मास सर्विलांस) और दूसरा टार्गेटेड सर्विलांस। टार्गेटेड सर्विलांस के लिए अवैध फोन टैपिंग, मोबाइल फोन या किसी निजी उपकरण या वेबसाइट को हैक करना, पेगासस और मैलवेयर जैसी तरकीबों का इस्तेमाल किया जाता है।

राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा भी सर्विलांस का सहारा लिया जाता है। टार्गेटेड सर्विलांस पर मीडिया द्वारा प्रकाशित खबरों में सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा किए गए ‘टार्गेटेड सर्विलांस’ को कितनी जगह मिली है?

अध्ययन में पाया कि मीडिया द्वारा प्रकाशित चार में से दो खबरें सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए गए टार्गेटेड सर्विलांस से जुड़ी हुई थी।

अवैध रूप से फोन टैपिंग पर मीडिया द्वारा प्रकाशित की गई खबरों में 35 प्रतिशत खबरें सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा किए फोन टैपिंग से जुड़ी हुई थी।

मीडिया विश्लेषण में पाया कि पेगासस से जुड़ी 42 प्रतिशत खबरों में सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा इसके इस्तेमाल की बात की है।

मोबाइल फोन, अन्य निजी उपकरण सहित वेबसाइट को हैक करने की घटना पर जितनी खबरें मीडिया ने की, उनमें से 39 फीसद खबरों में सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों का जिक्र है। यही हाल स्पाइवेयर, मैलवेयर जैसे टूल्स के मामले में है। आप नीचे दी गई टेबल (4.20) को देखिए।

यह सुखद है कि मीडिया टार्गेटेड सर्विलांस की खबरों में सैन्य बलों या सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े पहलुओं पर भी बात कर रहा है लेकिन जवाबदेही ठहराने में नाकाम साबित हो रहा है।

 

सर्विलांस से जुडी खबरों में निजता की चर्चा कितनी?

 

पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है। जिसका सीधा-सा मतलब है उल्लंघन होने पर संविधान के तहत सुरक्षा मिलेगी है। लेकिन, देश में न तो निजता की को स्पष्ट परिभाषा है और न ही डाटा संरक्षण कानून। ऐसे में धड़ल्ले से निजता उल्लंघन कर दिया जाता है। कई बार सर्विलांस भी उसी का एक बेहतरीन उदाहरण बन जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब मीडिया सर्विलांस की घटनाओं पर खबर लिखता है तब निजता को कितनी जगह दे पाता है?

सर्विलांस करने के लिए कई बार पेगासस जैसे अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। जाहिर है इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। लेकिन, मीडिया जब इस मसले पर ख़बरें प्रकाशित करता है तब केवल 52 प्रतिशत खबरों में निजता के विमर्श को शामिल कर पाता है।

मीडिया ने सीसीटीवी से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करते समय केवल 3 प्रतिशत खबरों में निजता के पहलू को छुआ है।

ड्रोन और आधार से जुड़ी एक भी ख़बर ऐसी नहीं थी जिसमें निजता के बारे में बात की गई हो। कृपया निचे दी गई टेबल (4.21) को देखें!

 

सन्दर्भ--

Status of Policing in India Report 2023: Surveillance and the Question of Privacy Please click here.

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close