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चर्चा में.... | एनएसएसओ का सर्वे: केवल 49.8 % परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं
एनएसएसओ का  सर्वे:  केवल 49.8 % परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं

एनएसएसओ का सर्वे: केवल 49.8 % परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं

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published Published on May 8, 2023   modified Modified on May 9, 2023

ग्रामीण भारत के केवल 49.8 प्रतिशत परिवार ही खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग कर पा रहे हैं। 46.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवार खाना पकाने के लिए लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों के 6.5% परिवारों में खाना पकाने के लिए लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। अगर बात करें पीने के पानी की तो केवल 39.1 प्रतिशत परिवारों के पास ही आवास के भीतर पीने के पानी की सुविधा मौजूद थी। ग्रामीण घरों के सन्दर्भ में ये आँकड़ा और भी कम हो जाता है; ग्रामीण इलाकों के केवल 29 % परिवारों के पास ही आवास के भीतर पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध थी।

 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने, सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए एक राष्ट्रीय सूचक ढाँचा तैयार किया है। लेकिन, विभिन्न मंत्रालयों के पास समुचित आंकड़ों का अभाव है। इसी बात को मध्यनज़र रखते हुए राष्ट्रीय प्रतिदर्शी सर्वेक्षण कार्यालय ने 78 वें दौर में अपनी तरह का पहला बहु संकेतक (मल्टी इंडिकेटर) सर्वेक्षण करवाया। जिसका संश्लिष्ट रूप 'भारत में बहु संकेतक सर्वेक्षण' रिपोर्ट के रूप में सामने आया।

आज का लेख इस रिपोर्ट को आधार बनाकर लिखा गया है।

 

घरों की संख्या

 

सर्वे में संपूर्ण भारत से सीमित लोगों को शामिल किया गया था, उससे ज्ञात निष्कर्ष निम्नलिखित है—

देश की 70.8 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। वहीं 29.2 % आबादी शहरी इलाकों में। घरों की संख्या के हिसाब से देखें तो 68 फीसदी घर ग्रामीण इलाकों के अंतर्गत आते हैं और 32 प्रतिशत घर शहरी क्षेत्रों में बसे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्र के एक घर में औसतन 4.5 व्यक्ति रहते हैं और शहरी के एक घर में 3.9 व्यक्ति निवास करते हैं। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखें!

सन्दर्भ- NSS Report No. 589: Multiple Indicator Survey in India

सामाजिक समूहों के आधार पर लोगों का प्रतिशत वितरण— सर्वे के अनुसार

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 12.2 प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति के थे। 23.3 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के। और सबसे अधिक आबादी पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोगों की थी; 44.6 प्रतिशत लोग पिछड़े वर्ग की पहचान रखते हैं। 19.9 % लोग अन्य समूहों से जुड़ाव रखते हैं।

शहरी क्षेत्रों के अंदर 3.1% लोग अनुसूचित जनजाति की पहचान धारण करते हैं। 16 फीसद अनुसूचित जाति की और 46.1 प्रतिशत पिछड़े वर्ग की।

समग्र रूप में देखें तो हिंदुस्तान के 9.5 प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं, 21.2 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति वर्ग से, 45.1 फीसद लोग पिछड़े वर्ग की पहचान धारण करते हैं। वहीं बचे हुए 24.2 प्रतिशत लोग अन्य वर्गों की पहचान धारण करते हैं।

कृपया नीचे दिए गए ग्राफ को देखें।

 

भारत में अलग–अलग मजहबी पहचान धारण करने वाले लोग रहते हैं। सर्वे में पाया कि धर्म के आधार पर वितरण देखें तो ग्रामीण क्षेत्र की 84.4 आबादी हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की है। 10.6 प्रतिशत लोग इस्लामिक पहचान धारण करते हैं। 2.4 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म को मानते हैं। 1.7 प्रतिशत सिख धर्म के अनुयायी। 0.9 फीसद आबादी अन्य धर्मों की पहचान धारण करती है।

वहीं शहरी क्षेत्र के संदर्भ में देखें तो शहरों में सबसे अधिक लोग ( 79.7%) हिंदू धर्म को मानने वाले रहते हैं। 14.7 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानने वाले। और 2.7 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्म को स्वीकार करती है।

सर्वे के मुताबिक सम्पूर्ण भारत में समग्र रूप से देखें तो 83 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म के अनुयाई थे। 11.8 प्रतिशत इस्लाम को मानने वाले। 2.5 प्रतिशत ईसाइयत को स्वीकार करने वाले। 1.6 प्रतिशत सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और 1.3 प्रतिशत आबादी अन्य धर्मों को मानती है। कृपया नीचे दी गई टेबल को देखें।

 

पानी तक पहुँच

 

सर्वे के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को पीने के पानी हेतु काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था। 60.5 प्रतिशत शहरी परिवारों और 29 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के लिए आवास के भीतर पीने का पानी उपलब्ध है। अगर अखिल भारतीय स्तर पर देखें तो यह आँकड़ा 39.1 प्रतिशत बैठता है।

कई घर ऐसे भी थे जहाँ पीने के पानी का प्राथमिक स्रोत घर में उपलब्ध नहीं है लेकिन आवासीय परिसर में मौजूद है। ऐसे घरों की संख्या ग्रामीण इलाकों में 30 प्रतिशत थी और शहरी इलाकों में 21.2 प्रतिशत।

आवासीय परिसर से दूर— ग्रामीण इलाकों के 41.1 फीसदी परिवारों के लिए पीने के पानी का प्राथमिक स्रोत आवासीय परिसर से दूर मौजूद था। समग्र भारत के स्तर पर यह आंकड़ा 33.7 प्रतिशत ठहरता है। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखें।

 

शौचालय तक पहुँच

 

गंवई इलाकों के 68.8 प्रतिशत घरों में सदस्यों के इस्तेमाल हेतु शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी। शहरी क्षेत्रों के मामले में यह आँकड़ा 80.8 प्रतिशत हो जाता है। अखिल भारतीय स्तर पर देखें तो 72.6 प्रतिशत परिवारों के पास इस्तेमाल हेतु शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी।

ग्रामीण क्षेत्र के 21.3 प्रतिशत परिवारों की शौचालय तक पहुँच नहीं थी। हालांकि शहरी क्षेत्र में यह आँकड़ा कम हो कर 2.9 प्रतिशत हो जाता है।

कृपया नीचे दी गई टेबल को देखें।

 

खाना पकाने के लिए ज़रूरी ईंधन का प्राथमिक स्रोत क्या है? 


ग्रामीण इलाकों के 49.4 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं। 46.7 प्रतिशत परिवार लकड़ी और फसल के अवशेष से खाना पकाते हैं। 3.7 प्रतिशत परिवार किसी अन्य विकल्पों का प्रयोग करते हैं। 0.2 प्रतिशत परिवारों के पास खाना पकाने की कोई भी व्यवस्था नहीं थी।
शहरी क्षेत्र के परिवारों के संदर्भ में-  एलपीजी से खाना पकाने वाले परिवारों की संख्या बढ़ जाती है। 89 फीसद परिवार एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे थे। 6.5 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए लकड़ी का प्रयोग कर रहे थे। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखें।

 

पलायन 

 

सर्वेक्षण के अनुसार पुरुषों में प्रवास (पलायन) का मुख्य कारण रोजगार की तलाश था। ग्रामीण भारत के 38.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के 56.1 फीसदी पुरुष ने रोजगार के लिए पलायन को मजबूर थे।

महिलाओं में पलायन का सबसे बड़ा कारण विवाह था। शहरी क्षेत्र की 71.5 प्रतिशत महिलाओं को विवाह के कारण पलायन करना पड़ रहा था। वहीं ग्रामीण भारत के संदर्भ में यह आंकड़ा बढ़कर 93.4 फीसद हो जाता है।

ग्रामीण क्षेत्र की 26.8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र की 34.6 प्रतिशत आबादी का वर्तमान निवास स्थान, अंतिम सामान्य निवास स्थान से भिन्न था।

 

डिजिटल युग की असमानता

 

सर्वे में ज्ञात हुआ कि सक्रिय सिम कार्ड के उपयोगकर्ताओं के मामले में पुरुषों का अनुपात महिलाओं की तुलना में अधिक है।

ग्रामीण इलाकों में 15 वर्ष या उससे अधिक के 80.2 प्रतिशत पुरुष सक्रिय सिम कार्ड रखते हैं। महिलाओं के संदर्भ में यह आँकड़ा गिरकर 49.9 प्रतिशत हो जाता है।

15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले 65.3 प्रतिशत लोग सक्रिय सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे।

शहरी इलाकों में भी यह असमानता की दीवार बना हुई है। 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाली 74.2% महिलाएँ सक्रिय सिम कार्ड रखती हैं। पुरुषों के मामले में यह आँकड़ा बढ़कर 92.8 प्रतिशत पहुँच जाता है। कृपया नीचे दिए गए ग्राफ का प्रयोग करें.

 

 

 

 

 

 

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सन्दर्भ- NSS Report No. 589: Multiple Indicator Survey in India (78th round), Ministry of Statistics and Programme Implementation, March 2023 Please click here.

 

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