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चर्चा में.... | दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!
दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!

दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!

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published Published on Aug 7, 2022   modified Modified on Aug 19, 2022

जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें.
7 मार्च, 2022  को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि केंद्र की सफलता को रेखांकित करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना काल में गरीब और मध्यम वर्ग से ताल्लुकात रखने वाले परिवारों की 13,000 करोड़ रूपए की बचत हुई है. और कारण बताया जन औषधि केंद्र.


ब्यूरो ऑफ़ फार्मा पीएसयू ऑफ़ इंडिया (BPPI)ने ब्यौरा दिया है. महामारी के काल में 15 लाख के करीब मास्क, 80 लाख के करीब हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट्स और 100 करोड़ के करीब पेरासिटामोल टेबलेट्स बेचीं गयी. जन औषधि केंद्र से बेची गयी इन सामग्रियों से जनता को 1,260 करोड़ की बचत हुई. इसी बात की पुष्टि संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में भी की गई.


हाल ही में फार्मास्यूटिकल्स विभाग से सम्बंधित संसद की स्थाई समिति ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट कहती है, कोरोना काल में सरकारी पीएसयू के पास देश की जरुरत के अनुसार दवाइयां और चिकित्सकीय उपकरण नहीं थे. साथ ही रेमडेसिवीर दवा बनाने के लिए भी अस्थायी लाइसेंस नहीं प्रदान किया गया.

जेनेरिक या सामान्य दवाइयां– दवाई बनाते वक्त कंपनियां अपना पेटेंट करवा देती है, सूत्र का पेटेंट. दाम भी कंपनी के अनुसार रहते हैं, अधिक रहते हैं जो आमजन के जेब की पहुंच से बाहर रहते हैं. आम इंसान को ध्यान में रख कर सरकार उसी अनुपात में दवाई का निर्माण करती है ताकि पैसों के कारण इलाज से वंचित ना हो.

केंद्र सरकार ने सितम्बर 2015 में जन औषधि केंद्र का नाम बदल दिया. नया नाम रखा प्रधानमंत्री जन औषधि योजना(PMJAY). फिर एक नया नाम दिया प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना(PMBJP). नाम के बाद यह जानना जरूरी है कि केंद्र सरकार ने कितना बजट इसके लिए आवंटित किया था.


टेबल 1, संघीय बजट में जन औषधि योजना पर व्यय.

 

Source:

Notes on Demands for Grants, 2014-15, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2015-16, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2017-18, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2018-19, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2019-20, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2020-21, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
Notes on Demands for Grants, 2021-22, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Notes on Demands for Grants, 2022-2023, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access


फार्मास्यूटिकल्स विभाग की हाल ही में आई वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 से 2024-25 के समयकाल में PMBJP के लिए 490 करोड़ का बजट जारी किया है. जिसके माध्यम से 10,500 नए केंद्र खोले जाने हैं. हालांकि,राज्य विशेष के संदर्भ में कोई मानदंड तय नहीं किये हैं.


क्या PMBJP की शुरुआत भाजपा सरकार ने की थी?
नहीं. इसकी शुरुआत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA-1) के दौरान की गई थी.
आप नीचे दी गई तस्वीर को ध्यान से देखिये. तस्वीर बताती है कि कैसे इस योजना को नए-नए नामों के आभूषण पहनाए गए.


PMBJP पोर्टल के अनुसार केंद्र पर 1,616 दवाइयां और 250 सर्जिकल सामग्रियां मिलते हैं.

पीएमबीजेपी को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है–

सबसे बड़ी चुनौती वित्त की है. इसका जिक्र 17 मार्च 2021 को सदन के पटल पर रखी गई स्थाई समिति की रिपोर्ट में किया गया है. 

समिति की अध्यक्षा श्री कनिमोझी करुणानिधि कहती है कि देश भर में कई अस्पताल जैसे रेलवे के अस्पताल, आर्मी के अस्पताल, राज्य सरकारों के अस्पताल सहित कई अन्य अस्पताल काम करते हैं जिनके पास भारी बजट की सुविधा होती है. इसलिए यह जन औषधि केंद्र से दवाइयां नहीं खरीदते हैं. देशभर में डेढ़ लाख करोड़ की दवाइयों की बिक्री होती है. पर उसमें पीएम बीजेपी का हिस्सा केवल 433.60 करोड रुपए ही है.(वर्ष 2019–20 के दौरान)

औषधि केंद्रों की संख्याए भी नाकाफी है. स्थाई समिति ने यह अनुशंसा की है कि जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर पांच लाख पर एक केंद्र निर्मित किया जाए. वहीं 10 लाख पर दो, 20 लाख पर 3 और 50 लाख पर कम से कम पांच प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र होने चाहिए.

आपूर्ति श्रृंखला में आ रही रुकावट भी एक बड़ी चुनौती है. समिति अनुशंसा करती है कि आपूर्ति श्रंखला को बनाए रखने के लिए वेयरहाउसेस (भंडारगृहों) का निर्माण किया जाए.

समिति कहती है कि विशेषज्ञों की एक सलाहकार समिति का गठन किया जाए जो ग्राउंड लेवल पर अध्ययन कर यह बताएं कि कौन सी दवाइयां या सर्जिकल किट शामिल करने हैं. यह समिति अपने निर्णय का 3 महीने के बाद समीक्षा भी करती रहे.

 

--एक ऑनलाइन मैगजीन में छपे लेख ने भी इसी कमी को उजागर किया है कि कमजोर भंडारण, कम गुणवत्ता की दवाइयां और किसी व्यापार मॉडल के बिना बाजार में इन केंद्रों की उपस्थिति इस योजना की सफलता को कम करती है. औषधि केंद्र से होने वाले लाभ की मात्रा बहुत कम होती है. वर्ष 2018 में 169 केंद्रों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार 84.62 % केंद्रों का लाभ 5,000 रुपए से भी कम था.

पीएमबीआई औषधि केंद्रों को जेनेरिक दवाइयां भेजता है. कहीं अन्य जगह से जन औषधि केंद्र नहीं ले सकते हैं. जिसके कारण प्रतिस्पर्धा शून्य है

फार्मास्यूटिकल विभाग की उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार 26 फरवरी 2020 को ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया यानी बीपीपीआई का नाम बदलकर फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो ऑफ इंडिया – पीएमबीआई कर दिया गया.

--यह पाया गया कि कई जेनेरिक दवाइयां (जो जन औषधि केंद्रों के लिए भेजी जाती हैं) ‘अच्छी उत्पादन कार्यप्रणाली’ से निर्मित नहीं होती है.(जो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तय किए हुए हैं)
जेनेरिक दवाइयां जिनकी मरीज को आवश्यकता होती है केंद्रों पर उपलब्ध नहीं होती है. परिणाम ग्राहकों की कमी के रूप में आता है. 

पीएमबीआई पर आर्थिक भार भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि 2015-16 से 2019 के बीच मेडिकल वालों ने उधारियां नहीं चुकाई है.

सुधारों की श्रृंखला में पीएमबीआई ने एडवांस में पेमेंट लेना शुरू किया ताकि समय पर दवाइयों की आपूर्ति की जा सके लेकिन इसके कारण कई जन औषधि केंद्र बंद हो गए. जहां एक ओर सरकार वर्ष 2025 तक 10,500 केंद्रों का गठन करना चाहती है तब ऐसे में बंद हो रही केंद्र चिंता बढ़ा देते हैं.

बेरोजगार फार्मासिस्ट, महिला उद्यमी और योग्य पिछड़े तबके के लोगों द्वारा खोले गए केंद्रों की संख्या मात्र 3% थी.

(केंद्र खोलने के लिए सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता को 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है.)

70% के करीब जेनेरिक दवाइयां केवल पांच राज्यों में बिकी है. वहीं केवल 155 केंद्रों ने एक महीने में दो लाख की बिक्री की है. यह आंकड़ा नीति आयोग ने दिया है.

 

र्तमान में किस दशा में है पीएमबीजेपी?
–इंक्लूसिव मीडिया की टीम का पीएमबीजेपी पर तथ्यात्मक विश्लेषण.

टेबल 2 : पीएमबीजेपी स्कीम की उड़ान!


 

Source: Annual Report 2020-21, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals & Fertilizers, please click here to access  

* Starred Question no 332, Answered in the Lok Sabha on March 25, 2022, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
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2014–15 में पीएम बीजेपी केंद्रों की संख्या केवल 86 थी जो 2020-21 में बैठकर 7,018 हो गई. 
जन औषधि केंद्रों से होने वाली कुल बिक्री 2014–15 में 7.29 करोड़ थी जो 2020-21 में बढ़ कर 473.7 करोड़ हो गई. (रिटेल मूल्य पर)

28 फरवरी, 2022 तक भारत के सभी जिलों में 8,689 के करीब केंद्र खुल चुके हैं. इसमें से 1,064 के अंदर सरकार की तरफ से खोले गए वहीं बच्चे 7,625 केंद्र निजी उद्यमियों, NGOs, सिविल सोसाइटी द्वारा खोले गए हैं.
ध्यातव्य है केंद्र सरकार द्वारा ने मार्च 2025 तक 10,500 पीएमबीजेपी केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है.

 

Note: *Medicines are directly supplied to the administration of Union Territory of Lakshwadeep

Source: Unstarred Question no. 3283, Answered on March 16th, 2021, Lok Sabha, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
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  • 433 के करीब पीएमबीजेपी केंद्र मार्च 2021 तक आते-आते बंद हो चुके हैं. सबसे अधिक बंद होने वाले केंद्र गुजरात राज्य (105) से थे. (देखिए चार्ट–1)

विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत पीएमबीजेपी केंद्रों की सूची देखने के लिए यहां क्लिक कीजिए.

Source: Unstarred Question 3668, Answered in the Lok Sabha on August 10, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access
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4 अगस्त, 2021 तक लगभग 11.74 लाख उपयोगकर्ता जन औषधि सुगम एप से जुड़ चुके थे. उपयोगकर्ता ऐप के माध्यम से दवाई के नाम और उनके मूल्यों को तुलनात्मक रूप से देख सकते हैं.

(एप के उपभोकर्ताओं का राज्यवार बंटवार देखिए चार्ट –2)

References:

Union Budget (various years), Ministry of Finance, please click here to access

31st report: Availability of Medicines and Medical Devices for COVID Management, Standing Committee on Chemicals and Fertilizers (2021-22), Department of Pharmaceuticals, Presented to Lok Sabha on March 21, 2022/ Laid in Rajya Sabha on March 21, 2022, please click here to access

English rendering of PM’s address at the interaction with beneficiaries of Jan Aushadhi Yojana, Press Information Bureau, Prime Minister's Office, March 7, 2022, please click here and here to access  

Action Taken by the Government on the Observations/ Recommendations of the Committee contained in their Seventeenth Report (Seventeenth Lok Sabha) on ‘Review of Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana (PMBJP)', 29th Report of Standing Committee on Chemicals and Fertilizers (2021-22), Department of Pharmaceuticals, Presented to Lok Sabha on 02 December, 2021/ Laid in Rajya Sabha on 02 December, 2021, please click here to access  

Review of Pradhan Mantri Bharatiya Janaushadhi Pariyojana (PMBJP), 17th Report of Standing Committee on Chemicals and Fertilizers (2020-21), Department of Pharmaceuticals, Presented to Lok Sabha on 17th March, 2021/ Laid in Rajya Sabha on 17th March, 2021, please click here to access 

Annual Report 2020-21, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here and here to access 

Unstarred Question no 3801, Answered in the Lok Sabha on March 25, 2022, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Starred Question no 332, Answered in the Lok Sabha on March 25, 2022, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access 

Unstarred Question no 1622, Answered in the Lok Sabha on February 11, 2022, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Unstarred Question 3444, Answered in the Lok Sabha on December 17, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Unstarred Question 3372, Answered in the Lok Sabha on December 17, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access 

Unstarred Question 3293, Answered in the Lok Sabha on December 17, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Unstarred Question 3668, Answered in the Lok Sabha on August 10, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Unstarred Question no. 3283, Answered in the Lok Sabha on March 16th, 2021, Department of Pharmaceuticals, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access

Poor, Middle Class Benefitted From The 'Jan Aushadhi Kendras': PM Modi, PTI/ NDTV.com, 7 March, 2022, please click here to access  

Jan Aushadhi Yojana came as a silent revolution in India: Mansukh Mandaviya, PTI/ The Hindu, 7 March, 2022, please click here to access  

Booster shot elusive -Chandrakant Lahariya, The Tribune, 3 February, 2022, please click here to access  

Jan Aushadhi pharmacies’ supply-quality headache that no generic can fix -Maitri Porecha, the-ken.com, November 25, 2021, please click here to access

Now, sanitary pads for Rs 1 at Jan Aushadhis -Sushmi Dey, The Times of India, 28 August, 2019, please click here to access  

Modi govt’s flagship drugs scheme has worked well only in five states -Himani Chandna, ThePrint.in, July 25, 2019, please click here to access

Milked: Even medicines -GS Mudur, The Telegraph, 7 August, 2018, please click here to access  

Jan Aushadhi: Not yet a generic choice -PT Jyothi Datta, The Hindu Business Line, 23 October, 2017, please click here to access  

State to provide cheaper generic drugs -Sharad Vyas, The Hindu, 17 May, 2016, please click here to access  

There is a cure -Pragya Singh, Outlook Magazine, 27 July, 2009, please click here to access  
 

Image Courtesy: Press Information Bureau, Ministry of Chemicals and Fertilizers, please click here to access  

  

 

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