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चर्चा में.... | जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी को धीमा करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना होगा
जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी को धीमा करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना होगा

जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी को धीमा करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना होगा

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published Published on Sep 12, 2022   modified Modified on Sep 14, 2022

विश्व जनसंख्या दिवस पर UNDESA की रिपोर्ट आती है. रिपोर्ट वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के बारे में अनुमान लगती है. 15 नवंबर, 2022 तक विश्व की जनसंख्या बढ़ कर 8 बिलियन हो जाएगी साथ ही वर्ष 2023 में भारत चीन को पछाड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा. 
रिपोर्ट आने के साथ ही जनसंख्या वृद्धि का मुद्दा फिर से आमजन की बातचीत का विषय बन गया. इसी रिपोर्ट की आड़ लेकर एक खास धड़ा जनसंख्या में वृद्धि के लिए मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराने लगता है. खास धड़े में खास दलों से जुड़े नेता भी आते हैं. नेता अपने भाषणों में मुसलमानों को भारत के विश्व गुरु बनने के रास्ते में बाधा बताते हैं. (यहां क्लिक) 
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से इतर सच्चाई कुछ और है. आज के न्यूज़ अलर्ट समाचार में जनसंख्या वृद्धि के बारे में विस्तार से विश्लेषण करेंगे.

शुरुआत उत्तर प्रदेश राज्य से करते हैं. यहां की राजनीतिक बयानबाजियों में जनसंख्या शब्द आता रहता है. साल 2021 में, उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए बिल आता है. बिल कहता है कि दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी, प्रमोशन, सब्सिडी और चुनाव लड़ने के अधिकार पर रोक लगाई जा सकती है.
राजनीतिक कदमों से प्रेरित इस बिल से इतर देखें तो यूपी की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में निरंतर गिरावट आ रही है. एनएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार 2015–16 से 2021–22 तक  उत्तर प्रदेश में टीएफआर 2.7 से गिरकर 2.4 पर आ पहुंचा है.
फिर भी अगर सरकार तेजी से नियंत्रण करना चाहती हैं तो एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर दें, जनसंख्या वृद्धि अपने आप कम हो जायेगी. (यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के एक संस्थान के अनुसार)


हिंदू और मुस्लिम में जनसंख्या वृद्धि किस प्रकार से हो रही है?


व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी सहित पूरे सोशल मीडिया में मुसलमानों को जनसंख्या वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कई तरह के घटिया जोक्स और मीम अफवाह फैलाते रहते हैं. लेकिन सत्य और मिथक के बीच का फासला देखने के लिए नीचे दी गई टेबल को देखिए.

टेबल 1:– हिंदू और मुस्लिम में जनसंख्या वृद्धि


स्त्रोत– रिलीजन कंपोजिशन ऑफ इंडिया बाय स्टेफनी क्रेमर, 21 सितंबर, 2021. Pew Research Centre यहां क्लिक कीजिए.

एक खास राजनीतिक दल के नेता जनता को चेतावनी देते हैं कि वर्ष 1951 की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की भागीदारी 84.10% थी जोकि घटकर वर्ष 2011 की जनगणना में 78.35% हो गई है. वहीं मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वर्ष 1951 की जनगणना में कुल जनसंख्या का 9.80% थी जोकि बढ़कर 2011 में 14.20% हो गई है. यानी मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ रही है और हिंदुओं की घट रही है, यह सही बात है लेकिन यह नेता दोनों समुदायों में प्रत्येक जनगणना के बाद जनसंख्या की वृद्धि दर में आ रही गिरावट को नहीं बताते हैं.

विभिन्न धार्मिक समुदायों में प्रजनन दर का रुझान–


कुल प्रजनन दर से तात्पर्य एक महिला द्वारा अपने प्रजनन काल (15–49 वर्ष तक या 15–44 वर्ष) में जन्म दिए गए कुल बच्चों की संख्या से है.

 

टेबल–2.. एनएफएचएस सर्वे से तीन वर्ष पहले के आंकड़ों के आधार पर. कुल प्रजनन दर, सर्वेक्षण के समय 15 से 49 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं का प्रतिशत और 40–49 आयु वर्ग की महिलाओं से जन्म लेने वाले बच्चों का औसत.

स्त्रोत- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–5 (2019–21) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. कृपया रपट के लिए यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–4 (2015–16) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–3 (2005–06) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–2 (1998–99) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–1 (1992–93) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए

2019–21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में सबसे अधिक टीएफआर मुस्लिम महिलाओं में (2.36). फिर, हिंदू महिलाओं में (1.94), ईसाई महिलाओं में (1.88) सिख महिलाओं में (1.61), जैन महिलाओं में (1.60), बुद्धिस्ट महिलाओं में (1.39) है.
एनएफएचएस के 2015–16 के सर्वे की तुलना में 2019–21 के सर्वे में, टीएफआर में गिरावट मुस्लिम महिलाओं में अधिक हुई है. मुस्लिम महिलाओं के टीएफआर में 0.51 प्वाइंट की कमी आयी थी. वहीं हिंदू महिलाओं के टीएफआर में गिरावट 0.34 प्वाइंट की थी
अगर एनएफएसएस के सर्वे नंबर एक से पांच तक देखें तो हिंदू महिलाओं के टीएफआर में गिरावट 1.36 प्वाइंट की है वहीं मुस्लिम महिलाओं के टीएफआर में गिरावट 2.05 प्वाइंट की है. देखिये ग्राफ नंबर 1 को.

स्त्रोत- वही जो टेबल 2 के लिए हैं.

ग्राफ 1 स्पष्ट दर्शा रहा है कि मुस्लिम महिलाओं के टीएफआर में अधिक गिरावट हो रही है.


जनसंख्या विस्फोट और कुल प्रजनन दर

 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 1992– 93 से कुल प्रजनन दर में निरंतर गिरावट आ रही है. 2019–21 में कुल प्रजनन दर गिरकर 1.90 पर पहुंच गई. यह आंकड़ा (1.90) प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से कम है. 
प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से तात्पर्य वर्तमान पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ी द्वारा प्रतिस्थापित होने के लिए आवश्यक कुल प्रजनन क्षमता से है.
(संयुक्त राष्ट्र के अनुसार) प्रति महिला 2.1 बच्चों के टीएफआर को प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता के रूप निर्धारित किया गया है. अगर किसी क्षेत्र का कुल टीएफआर लंबे समय से प्रतिस्थापन स्तर पर बना हुआ है तो वर्तमान पीढ़ी को भविष्य की पीढ़ी प्रतिस्थापित कर देगी. यदि टीएफआर प्रतिस्थापन स्तर से अधिक है (यानी 2.1 से अधिक है) तो जनसंख्या में वृद्धि देखने को मिलेगी. वहीं 2.1 से कम हुआ तो जनसंख्या में धीरे-धीरे गिरावट आना शुरू हो जाएगा. (जरूरी है इस समय प्रवसन नहीं हो रहा हो) 
जनसंख्या में गिरावट आने पर भविष्य की पीढ़ी पर निर्भर होने वाले वृद्ध लोगों का अनुपात बढ़ जाएगा.
 

टीएफआर को कम करने में गर्भ निरोधक उपायों का योगदान– 


वर्ष 1992–93 में निरोधक उपायों का प्रयोग करने वाले लोग 36.3 फीसदी थे जो 2019– 21 में बढ़कर 56.4 फीसदी हो गए हैं.(गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं का अनुपात अन्य समुदाय की महिलाओं की तुलना में कम है)
देखिए ग्राफ नंबर 2

 

स्त्रोत- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–5 (2019–21) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. कृपया रपट के लिए यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–4 (2015–16) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–3 (2005–06) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए. 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–2 (1998–99) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–1 (1992–93) जनसंख्या विज्ञान के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय. यहां क्लिक कीजिए

 

मुस्लिम समुदाय की महिलाएं कम गर्भ निरोधक उपायों को अपनाती है परिणामस्वरूप अन्य समुदाय की महिलाओं की तुलना में प्रजनन दर अधिक रहती है.
हिंदू और मुस्लिम विवाहित महिलाओं में गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने को लेकर निर्मित अंतराल कम हो रहा है. 1992–93 में 15.6 प्रतिशत प्वाइंट का अंतराल था जो घटकर 2019–21 में 10.60 प्रतिशत प्वाइंट हो गया है.


शिक्षा और प्रजनन दर


आंकड़े बताते हैं कि जैसे–जैसे महिलाओं में शिक्षा का स्तर बढ़ता है प्रजनन दर में कमी आती है. UNDESA की रपट भी यही बात कहती है.
नीचे दी गई टेबल को देखिए. यह एनएफएसएच के आंकड़ों पर बनी है( 5 से 7 वर्ष की स्कूलिंग को अपवाद रखिए). टीएफआर में शिक्षा के साथ–साथ गिरावट आ रही है.
40 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं में भी यही नजारा दिख रहा है. शिक्षा में बढ़ोतरी के साथ पैदा होने वाले बच्चों की कुल संख्या में गिरावट आ रही है. टेबल तीन;)

स्त्रोत- वही जो टेबल 2 के लिए हैं.


संपत्ति और प्रजनन दर


परिवार की संपत्ति और प्रजनन दर को देखें तो संपत्ति में बढ़ोतरी के साथ टीएफआर में गिरावट आती है. यानी कम संपत्ति वाले परिवारों से संबंध रखने वाली महिलाओं में टीएफआर अधिक है वहीं अधिक सपत्ति वाले परिवार से ताल्लुकात रखने वाली महिलाओं में टीएफआर कम है. एनएफएचएस के तीन सर्वेक्षणों के आंकड़ों पर बनी टेबल देखिए.

ऐसा ही नजारा 40 से 49 आयु वर्ग में गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में देखा गया. जिनका ताल्लुकात अमीर घर से है उन महिलाओं में टीएफआर कम है और जिनका ताल्लुकात कम संपत्ति वाले परिवारों से है उनमें टीएफआर अधिक है. (NFHS–3,4,5 के अनुसार)
एनएफएचएस के सर्वेक्षण के समय ‘गर्भ को धारण’ महिलाओं की संख्या में परिवार की संपत्ति बढ़ने के साथ–साथ गिरावट आती है.


एनएफएचएस से लिए आंकड़ों के आधार पर बने इस ग्राफ (ग्राफ–3) को देखिए. शादीशुदा महिलाओं द्वारा गर्भ निरोधक उपायों को अपनाने में संपत्ति प्रमुख पैरामीटर है. उच्च संपत्ति वाले परिवारों से संबंध रखने वाली महिलाओं में गर्भ निरोधक उपायों को अधिक अपनाया जाता है वहीं कम संपत्ति वाले परिवारों से ताल्लुकात रखने वाली महिलाएं तुलनात्मक रूप से कम गर्भ निरोधक उपाय अपनाती हैं.

स्त्रोत- वही जो ग्राफ 2 के लिए हैं.



References

National Family Health Survey-5 (2019-21), India Report, released in March 2022, International Institute for Population Sciences (IIPS), Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), please click here to access

National Family Health Survey-4 (2015-16), India Report, released in December, 2017, International Institute for Population Sciences (IIPS), Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), please click here to access

National Family Health Survey-3 (2005-06), India Report, International Institute for Population Sciences (IIPS), Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), please click here to access

National Family Health Survey-2 (1998-99), India Report, International Institute for Population Sciences (IIPS), Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), please click here to access

National Family Health Survey-1 (1992-93), India Report, International Institute for Population Sciences (IIPS), Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), please click here to access

Combined Factsheet Compendium (States/UTs from Phase-II), Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access

India Fact Sheet NFHS-5, IIPS, MoHFW, please click here to access

Handbook on Social Welfare Statistics 2016, Ministry of Social Justice and Empowerment, please click here to access 

A Note on Total Fertility Rate, United Nations, please click here to access

A Note on Contraceptive Prevalence Rate, United Nations, please click here to access

World Population Prospects 2022, published by United Nations Department of Economic and Social Affairs, Population Division, released on July 11, 2022, please click here to access

Religious Composition of India by Stephanie Kramer, September 21, 2021, Pew Research Center, please click here to access

Proposed Draft Bill: Uttar Pradesh Population (Control, Stabilization and Welfare) Bill, 2021, Livelaw.in, 19 July, 2021 please click here to access

Stop targeting & excluding hijab wearing muslim women students because it affects their RTE, states NCEE, Press statement by the National Coalition on the Education Emergency (NCEE) dated February 21, 2022, kindly click here and here (English version)here (Hindi version) to access the press statement by the National Coalition on the Education Emergency on the targeting and exclusion of hijab wearing Muslim women students

News alert: Kerala and Tamil Nadu bucked the trend of falling Total Fertility Rate, indicates the latest NFHS data, Inclusive Media for Change, December 11, 2021, please click here to access

News alert: Official data on determinants of fertility has lessons for the misguided electorate, Inclusive Media for Change, November 24, 2021, please click here to access

India Will Have Largest Population But Data Show The Growth Is Slowing -Govindraj Ethiraj, 19 July, 2022, IndiaSpend.com, please click here to access

BJP warns of ‘asuntalan’ in population control, Opp says see beyond politics, The Indian Express, July 12, 2022, please click here to access

India to beat China as most populous nation by ’23: UN, Pioneer News Service, 12 July, 2022, please click here to read more

‘Like mouth of Sursa’: Giriraj Singh seeks tough population control law, draws comparison with China - Kanishka Singharia, Hindustan Times, July 11, 2022, please click here to read more  

NFHS-5: Why birth control remains a woman’s burden in India -Geeta Pandey, BBC, 27 June, 2022, please click here to access

UP Population Bill: Fighting Imaginary Demons -Subodh Varma, Newsclick.in, 15 July, 2021, please click here to access

India Needs Employment Generation, Not Population Control -Deepankar Basu, TheWire.in, 14 July, 2021, please click here to access  

 

Image Courtesy: UNDP India



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