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चर्चा में.... | आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय
आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय

आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय

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published Published on Jan 31, 2018   modified Modified on Jan 31, 2018
किसान की आमदनी साल 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के वादे की राह में बड़ी बाधा जलवायु-परिवर्तन बन सकता है. नये आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य बताते हैं कि अगले कुछ सालों में जलवायु-परिवर्तन की वजह से खेतिहर आमदनी में 25 फीसद तक की कमी आ सकती है.
 
आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल जलवायु-केंद्रित अध्याय के मुताबिक किसी साल औसत तापमान के 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने पर सिंचाई की सुविधा से वंचित इलाकों में खरीफ के मौसम में किसान की आमदनी में 6.2 प्रतिशत की और रबी के मौसम में 6 प्रतिशत की कमी आ सकती है.

 
इसी तरह सर्वेक्षण का आकलन है कि बारिश का स्तर किसी साल औसत से 100 मिमी. नीचे रहे तो खरीफ के मौसम के दौरान किसान की आमदनी में 15 प्रतिशत और रबी की फसल के समय 7 फीसद की गिरावट आयेगी.


केंद्रीय बजट के तुरंत पहले देश की अर्थव्यवस्था की समग्र तस्वीर के रुप में पेश किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण के इस साल के दस्तावेज में ध्यान दिलाया गया है कि 1970 के दशक से लेकर अबतक पूरे देश में औसत तापमान खरीफ के मौसम में 0.45 डिग्री सेल्सियस तथा रबी के मौसम में 0.63 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. सर्वेक्षण के मुताबिक 1970 से 2010 के बीच खरीफ के मौसम में होने वाली बारिश में 26 मिमी. तथा रबी के मौसम में होने वाली बारिश में 33 मिमी. की कमी आई है.


सर्वेक्षण के ये तथ्य बहुत अहम हैं क्योंकि देश की कुल कृषित भूमि का 70 फीसद हिस्सा फसल की अच्छी उपज के लिए मॉनसून पर निर्भर है, किसानों को इंतजार करना होता है कि मॉनसून पर आये और पर्याप्त बारिश हो. बढ़ते तापमान और कम होती बारिश के बीच खेती की उत्पादकता में कमी आती है- यह बात हाल के कई वैज्ञानिक अध्ययनों में कही गई है.


अध्ययनों में तापमान की बढ़ोत्तरी, बारिश में होने वाली आकस्मिक कमी-बेशी, सूखा, बाढ़, तूफान और ओलावृष्टि जैसी स्थितियों के कारण भारत में खाद्यान्न की ऊपज में कमी की आशंका जतायी गई है साथ ही यह भी कहा गया है कि खाद्यान्न में मौजूद पोषक-तत्वों में भी कमी आ सकती है. भारत में मौजूद भुखमरी और कुपोषण के मद्देनजर इसे एक चेतावनी के तौर पर लिया जा सकता है.


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में कहा था कि सरकार ने 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया है. हाल में वित्तमंत्री ने कहा कि खेती सरकार की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है और बजट-सत्र की शुरुआत के तुंरत पहले राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए किए गए सरकारी प्रयासों का जिक्र किया.


लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो किसान की आमदनी 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य पूरा करना किसी चमत्कार से कम नहीं क्योंकि इसके लिए सालाना कृषि की बढ़वार 12 फीसद की दर से होनी चाहिए. सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण क आधार पर इंडियास्पेन्ड वेबसाइट का आकलन है कि साल 2003-13 के बीच किसान की आमदनी सालाना 5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है.

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार ज्योग्राफी एंड यू से ) 



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