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चर्चा में.... | एनडीए के तीन साल- सबसे बड़ी चुनौती रोजगार बढ़ाने की..
एनडीए के तीन साल- सबसे बड़ी चुनौती रोजगार बढ़ाने की..

एनडीए के तीन साल- सबसे बड़ी चुनौती रोजगार बढ़ाने की..

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published Published on Apr 17, 2017   modified Modified on Apr 17, 2017
अगले महीने शासन के तीन साल पूरा करने जा रही एनडीए सरकार के लिए रोजगार सृजन के मोर्चे से बुरी खबर है ! देश के तकरीबन लगभग 50 फीसद राज्यों में बीते सालों में रोजगार के अवसरों में कमी आई है.

 

बीते छह फरवरी को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 2013-14 की तुलना में 2015-16 में बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ है और कुछ ऐसी ही तस्वीर रोजगार की स्थिति से संबंधित सालाना सर्वेक्षण रिपोर्टों के तथ्यों से झांकती है.

 

अर्थव्यवस्था के संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों को मिलाकर देखें तो 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों की बेरोजगारी दर 2013-14 में 3.4 प्रतिशत थी जो 2014-15 में बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो गई है. (केंद्रीय मंत्री के लिखित उत्तर की प्रति हासिल करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें)

 

केंद्रीय मंत्री के लिखित उत्तर से पता चलता है कि देश में 2013-14 में संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगार प्राप्त लोगों की संख्या 48.04 करोड़ थी जो साल 2014-15 में घटकर 46.62 करोड़ हो गई. इस अवधि में देश के 29 में से 14 राज्यों में बेरोजगारी दर बढ़ी है. इन राज्यों के नाम हैं आंध्रप्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश.

 

साल 2015-16 में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर वाले राज्यों में केरल (10.6 प्रतिशत) शीर्ष पर है. इसके बाद हिमाचलच प्रदेश का स्थान है जहां 2015-16 में बेरोजगारी दर 10.2 फीसद रही. उच्च बेरोजगारी दर वाले अन्य राज्यों में त्रिपुरा (10.0 प्रतिशत), गोवा(9.0 प्रतिशत) और सिक्किम(8.9 प्रतिशत) शामिल हैं.

 

केंद्रीय मंत्री के लिखित उत्तर के मुताबिक 2015-16 में गुजरात सबसे कम बेरोजगारी दर वाला राज्य रहा. गुजरात में बेरोजगारी दर 2015-16 में 0.6 फीसद थी. कम बेरोजगारी दर वाले अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़( 1.2 प्रतिशत), कर्नाटक(1.4 प्रतिशत), मिजोरम और महाराष्ट्र( दोनों 1.5 प्रतिशत) तथा झारखंड(2.2 फीसद) शामिल हैं.

 

रोजगार और बेरोजगारी की दशा बताने वाले चौथे एवं पांचवें एनुअल एम्पलायमेंट-अनएम्पलॉयमेंट सर्वे के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2013-14 से 2015-16 के बीच बेरोजगारी दर 4.9 फीसद से बढ़कर 5 फीसद पर पहुंच गई है.

 

सर्वेक्षण के तथ्यों की आपसी तुलना के आधार पर कहा जा सकता है कि 2015-16 में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर त्रिपुरा(19.7 प्रतिशत) में रही.सिक्किम(18.1 प्रतिशत), केरल(12.5 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश(10.6 प्रतिशत) और गोवा(9.6 प्रतिशत) उच्च बेरोजगारी दर वाले अन्य राज्य हैं.

 

सर्वेक्षण के तथ्यों के मुताबिक 2015-16 में गुजरात(0.9 प्रतिशत), कर्नाटक(1.5 प्रतिशत), छत्तीसगढ़(1.9 प्रतिशत), महाराष्ट्र(2उत्तरप्रदेश..1 प्रतिशत) तथा तेलंगाना(2.8 प्रतिशत) में सबसे कम बेरोजगारी दर रही.

 

गौरतलब है कि हाल में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में 2017 और 2018 में बेरोजगारी दर में इजाफा होगा. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बेरोजगार लोगों की संख्या 17.7 मिलियन से बढ़कर 2017 में 17.8 मिलियन हो जायेगी और 2018 में यह तादाद 18 मिलियन तक पहुंच सकती है.

 

भारत की 65 फीसद आबादी 35 साल या इससे कम उम्र की है और अगले तीन दशकों से भारत में काम करने योग्य उम्र के लोगों की तादाद भारत में शेष आबादी की तुलना में ज्यादा रहेगी. काम करने योग्य उम्र की इसी तादाद को नीति पत्रों में डेमोग्राफिक डेवीडेंट का नाम दिया जाता है और इसी आबादी को लक्ष्य करके केंद्र की मौजूदा एनडीए सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में रोजगार सृजन का बड़ा वादा किया था.



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