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चर्चा में.... | किस तेजी से बदला मौसम का मिजाज, क्या हुआ अर्थव्यवस्था पर असर, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में..
किस तेजी से बदला मौसम का मिजाज, क्या हुआ अर्थव्यवस्था पर असर, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में..

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published Published on Oct 31, 2019   modified Modified on Oct 31, 2019
बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हाल-फिलहाल सुर्खियां लगती रही हैं और आगे की पंक्तियों में आप पढ़ने जा रहे हैं कि बीते दो दशकों में तुलनात्मक रुप से मौसम का मिजाज किस भयावहता से बदला है. इस साल अप्रैल माह में जारी एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक मौसम के मिजाज में आये तेज बदलाव के कारण जो सूखा-बाढ़ या आंधी-तूफान और बारिश सरीखी अप्रत्याशित घटनाएं पेश आयी हैं उनका माल-मवेशी और लोगों के जिन्दगी पर बहुत नुकसानदेह असर हुआ है, निजी संपदा और फसलों का भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

एन्वाय स्टैट्स इंडिया 2019 शीर्षक रिपोर्ट में प्राकृतिक आपदाओं और मौसम के मिजाज में हो रहे तेज बदलाव पर केंद्रित अध्याय में दिये गये आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2001-02 से 2018-19 के बीच प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत में हर साल 2100 लोगों की मौत हुई है. इन सालों में लगभग 14.8 लाख मवेशी प्राकृतिक आपदाओं के कारण काल के गाल में समाये हैं और 2.3 करोड़ घर प्राकृतिक प्रकोप के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं. बीते 18 सालों में हर साल औसतन 37 लाख हेक्टेयर जमीन में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है.(इससे संबंधित तालिका-1 के लिए यहां क्लिक करें)
 

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण साल 2010 में 25,066, साल 2011 में 23,690, 2012 में 22,960 , 2013 में 22,759 , 2014 में 20,201 तथा 2015 में 10,510 लोगों को जान गंवानी पड़ी. नवीनतम आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि साल 2015 में प्राकृतिक आपदाओं से जान गंवाने वाले लोगों में लगभग एक चौथाई (2641) की तादाद तड़ितपात(ठनका गिरना) के शिकार लोगों की थी जबकि ऐसे लोगों में 29.6 प्रतिशत तादाद अन्य प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाने वालों की रही. बाढ़, ठंढ़, लू के कारण साल 2015 में क्रमशः 8.0 प्रतिशत, 10.9 प्रतिशत तथा 18.2 प्रतिशत लोगों ने जान गंवायी.

 

रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक देश में मौसम के मिजाज में आये तेज बदलाव के कारण लू चलने की घटनाओं में भारी बढोत्तरी हुई है. साल 1970-79 के बीच लू चलने की कुल 44 घटनाएं प्रकाश में आयी थीं जबकि 2000-09 के बीच इनकी तादाद बढ़कर 226 हो गई है. इसी तरह शीतलहर का भी प्रकोप बढ़ा है- साल 1970 से 1979 के बीच शीतलहर की 62 घटनाएं प्रकाश में आयी थीं जबकि साल 2000-2009 के बीच शीतलहर की कुल 153 घटनाएं प्रकाश में आयीं. साल 2010 से 2018 के बीच लू चलने की सबसे ज्यादा घटनाएं 2017 में हुईं, इस साल लू चलने की कुल 524 घटनाएं हुईं. उक्त अवधि में शीतलहर की सर्वाधिक घटनाएं भी 2017 में प्रकाश में आयीं, साल 2017 में शीतलहर की 276 घटनाएं हुईं.

 

साल 2000 से 2018 के बीच लू चलने के कारण सबसे ज्यादा मौतें 2015 (कुल 2081) में देखने में आयीं. लू चलने के कारण साल 2003 में 1539 तथा 2013 में 1433 लोगों की जान गई. उक्त अवधि में शीतलहर की चपेट में जान गंवाने वालों की सबसे ज्यादा तादाद 2003 में रही. साल 2003 में शीतलहर के कारण 1156 लोगों की जान गई. साल 2011 में शीतलहर के कारण 722 तथा 2001 में शीतलहर के कारण 490 लोगों की जान गई. (इससे संबंधित तालिका के लिए यहां क्लिक करें)

 

गौरतलब है कि 8 जनवरी 2019 को लोकसभा में एक प्रश्न (अतारांकित प्रश्न-2248) का जवाब देते हुए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा था कि 1 जून 2018 से 30 सितंबर 2018 के बीच दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की अवधि में देश के 252 जिलों में बारिश की मात्रा अपेक्षा से कम रही. बारिश की कमी के कारण महाराष्ट्र की सरकार ने 26 जिलों को तथा कर्नाटक की सरकार ने 24 जिलों को 2018 के खरीफ के मौसम में सूखाग्रस्त घोषित किया. इसी तरह 2018 के खरीफ के मौसम में आंध्रप्रदेश में 9 जिलों को, गुजरात में 11 जिलों को, राजस्थान में 9 जिलों तथा ओड़िशा में भी 9 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा. (इससे संबंधित तालिका के लिए यहां क्लिक करें)

 

नये आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि साल 1981-90 के बीच उत्तरी हिन्द महासागर से उठने वाले चक्रवाती तुफानों की तादाद 25 रही जो साल 2011-18 के बीच घटकर 18 हो गई. साल 2011-18 की अवधि में सबसे ज्यादा चक्रवाती तुफान 2018 में देखने में आये. इस साल चक्रवाती तुफानों की तादाद 7 रही.

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया देखें निम्नलिखित लिंक:

Chapter: Extreme Events and Disasters, EnviStats India 2019, Vol.I: Environment Statistics, Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), released in April, 2019, please click here to access 

 

EnviStats India 2019, Vol.I: Environment Statistics, Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), released in April, 2019, please click here to access

 

Annual Report 2018-19, Ministry of Home Affairs, please click here to access


Annual Report 2017-18, Ministry of Home Affairs, please click here to access 

 

Annual Report 2016-17, Ministry of Home Affairs, please click here to access 


Annual Report 2013-14, Ministry of Home Affairs, please click here to access 

 

Reply to Unstarred Question no. 4428 to be answered on 8th January, 2019 in Lok Sabha, please click here to access 

 

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