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चर्चा में.... | खेती किसानी की हालत : आखिर कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का सच क्या है ?
खेती किसानी की हालत : आखिर कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का सच क्या है ?

खेती किसानी की हालत : आखिर कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का सच क्या है ?

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published Published on Jan 25, 2018   modified Modified on Jan 25, 2018
दो मंत्रालय और दो तरह के आकलन, क्षेत्र मगर एक, खेती-किसानी का ! आकड़ों के विरोधाभास की ऐसी हालत में कोई वास्तविक स्थिति का किस तरह अनुमान लगाये ?

 

अगर ऊपर लिखी बात आपको किसी पहेली की तरह लग रही हो तो इस तथ्य पर गौर कीजिए-केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नये आंकड़े में अनुमान लगाया गया है कि कृषि-क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन(जीवीए) पिछले साल के मुकाबले कम होगा. लेकिन, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का आकलन है कि खेती-किसानी में जीवीए में गिरावट नहीं आयेगी.(जीवीए कहते हैं जीडीपी और निवल अप्रत्यक्ष करों के आपसी अंतर को)

 

लेकिन सरकार के दो महकमों को एक ही क्षेत्र की एक-दूसरे से अलग तस्वीर क्योंकर दिख रही है. आखिर, गणना की उनकी पद्धति में क्या अन्तर है जो दोनों महकमे नतीजे एक-दूसरे से एकदम उलट सुना रहे हैं? इस सवाल के जवाब के लिए पहले तथ्यों पर गौर करें--

 

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय(सीएसओ) ने हाल में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के अग्रिम अनुमान जारी किए हैं. इस अनुमान के मुताबिक कृषि, बागवानी और मछली पालन में जीवीए की वृद्धि दर 2016-17 के 4.9 से घटकर 2017-18 में 2.1 प्रतिशत होने के आसार हैं.

 

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय(सीएसओ) ने साल 2017-18 की मुख्य खरीफ फसलों के उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान तथा रबी की बुवाई के लक्ष्य को आधार बनाकर अपना आकलन पेश किया है- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की प्रेस-विज्ञप्ति से यह बात स्पष्ट हो जाती है.

 

विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि सीएसओ ने फसलों से संबंधित आकलन के लिए कृषि-मंत्रालय के एग्रीकल्चर एंड को-ऑपरेशन विभाग से हासिल सूचनाओं का इस्तेमाल किया. विभाग की सूचनाओं से खरीफ के मौसम के दौरान उत्पादन के कम रहने के संकेत मिलते हैं. साल 2016-17 में खरीफ फसलों का उत्पादन 138-52 मिलियन टन रहा था जबकि इस कृषि-वर्ष(2017-18) में खरीफ के मौसम में फसलों का उत्पादन घटकर 134.67 मिलियन टन हो सकता है.

 

प्रेस विज्ञप्ति से यह भी जाहिर है कि सीएसओ ने पशुधन से संबंधित उत्पादन के आकलन के लिए दूध, अंडा, मांस तथा ऊन से संबंधित कृषि-विभाग के पशपालन महकमे के आंकड़ों का इस्तेमाल किया.

 

गौरतलब है कि 'कृषि, बागवानी और मछली पालन ' नाम से सरकारी दस्तावेजों में दर्ज की जाने वाली आर्थिक गतिविधि में फसल, पशुधन, वानिकी, मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि(एक्वाकल्चर) को शामिल किया जाता है और जीवीए में फसलों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत, पशुधन की 20 प्रतिशत, वानिकी की 8.5 फीसद तथा मछली पालन और एक्वाकल्चर 5.5 प्रतिशत की है.

 

बताते चलें कि खाद्यान्न के उत्पादन से संबंधित प्रथम अग्रिम अनुमान(2017-18) 22 सितंबर 2017 को जारी हुए थे जबकि बागवानी से संबंधित उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान 2 जनवरी 2018 को जारी हुए.और, इसी तथ्य के आधार पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सीएसओ की आकलन से एकदम उलट तस्वीर पेश की है.

 

मंत्रालय के 7 जनवरी 2018 की प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि सीएसओ के अग्रिम अनुमान डीईएस(डायरेक्टोरेट ऑफ इकॉनॉमिक्स एंड स्टैटिक्स) की सूचनाओं पर आधारित हैं. डीईएस ने "खाद्यान्न, तिलहन और वाणिज्यिक फसलों के संबंध में खरीफ 2017-18 के दौरान बुवाई क्षेत्र और उत्पादन से संबंधित आंकड़ों को साझा किया जो अगस्त, 2017 तक इस बारे में किये गए संकलन पर आधारित है. साथ में यह भी कहा गया है कि डीईएस के ये अनुमान मुख्‍यत: राज्य सरकारों द्वारा व्‍यक्‍त किए गए अनुमानों पर आधारित हैं."

 

तो क्या डीईएस ने सीएसओ से जिन सूचनाओं का साझा किया वे विश्वसनीय नहीं है ? कृषि एवं किसान मंत्रालय की प्रेस-विज्ञप्ति कुछ ऐसा ही संकेत करती है.

 

विज्ञप्ति के मुताबिक मानसून के शुरू होने में देरी की वजह से अगस्त 2017 तक फसलों की रोपाई-बुवाई का जो क्षेत्र दर्ज किया गया वह कम था लेकिन दिसंबर 2017 तक यह स्थिति बदली और फसलों का कवरेज एरिया बढ़ गया.

 

कृषि-मंत्रालय का तर्क है कि "देश के कुछ हिस्सों में मानसून की शुरुआत में देरी के कारण अगस्त 2017 तक खरीफ में विभिन्न फसलों के क्षेत्र में कवरेज पिछले वर्ष से कम था. हालांकि, इसके बाद अच्छी बारिश से मंत्रालय को खरीफ के लक्ष्य के अनुसार क्षेत्र की कवरेज बढ़ाने में मदद मिली. मानसून की शुरुआत में देरी और पिछले वर्ष की तुलना में अपेक्षाकृत कम बारिश के बावजूद खरीफ के तहत एरिया कवरेज अंततः 106.55 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया है जबकि पांच वर्षों का औसत 105.86 मिलियन हेक्टेयर है."

 

मॉनसून की बाद के वक्त में सुधरी हुई स्थिति और फसलों के बढ़े हुए कवरेज एरिया के आधार पर कृषि मंत्रालय ने सीएसओ के जीवीए संबंधी अनुमान को नकार तो दिया है लेकिन एक सवाल बचा रह जाता है : अगर डीईएस यानि अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय(यह डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एंड को-ऑपरेशन के अंतर्गत है जो कृषि मंत्रालय का हिस्सा है) को परंपरा के हिसाब से 2019 की फरवरी में प्रमुख फसलों के उत्पादन का अंतिम अनुमान प्रकाशित करना ही है तो फिर कृषि-मंत्रालय को ऐसी क्या जरुरत आन पड़ी जो उसने कृषि-क्षेत्र के जीवीए की अपेक्षित बढ़वार के बारे में अपनी तरफ से बजट पेश होने के तुरंत पहले स्पष्टीकरण जारी करना जरुरी समझा ? 

 
इस कथा के विस्तार के लिए देखं निम्नलिखित लिंक्स--
 

 

Press release: Strategy for High Agricultural Growth Rate, 2017-18 -Ministry of Agriculture & Farmers Welfare, Press Information Bureau, dated 7 January, 2018, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=175456  

 

Press Note on First Advance Estimates of National Income 2017-18, released on 5 January, 2018, Central Statistics Office (CSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access

 

Press release: First Advance Estimate 2017-18 and Final estimate 2016-17 for area and production of Horticulture Crops, released on 2 January, 2018, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture & Farmers Welfare,

http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=175158 

 

Area and Production of Horticulture Crops - All India 2016-17 (Final) and 2017-18 (First Advance Estimates), please click here to access 


First Advance Estimates of Production of Foodgrains for 2017-18, released on 22 September, 2017, Ministry of Agriculture & Farmers Welfare, please click here to access 

 

2017 Southwest Monsoon End of Season Report, IMD, please click here to access  

 

2016 Southwest Monsoon end of season report, IMD, please click here to access 

 

Poor south west monsoon rainfall sours hope for good foodgrain output, News alert from Inclusive Media for Change, dated 10 November, 2017, please click here to access  


Cropping seasons of India- Kharif & Rabi, Arthapedia, please click here to read more  


Agriculture ministry expects upward revision of farm growth rates -Sayantan Bera, Livemint.com, 9 January, 2018, please click here to access  


Some red flags in the economy numbers: Agriculture is the most alarming -RN Bhaskar, MoneyControl.com, 7 January, 2018, please click hereto access 


Bullish Agri Ministry expects higher GVA growth in 2017-18, The Hindu Business Line, 7 January, 2018, please click here to access  

 

  

 



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