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चर्चा में.... | चक्रवात के शेष प्रश्न
चक्रवात के शेष प्रश्न

चक्रवात के शेष प्रश्न

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published Published on Oct 19, 2013   modified Modified on Oct 19, 2013

बेशक ओडिशा और आंध्रप्रदेश के तटीय इलाके में “ राहत और बचाव कार्य के मामले में एक चमत्कार हुआ है ” लेकिन आपदा-प्रभावितों के पुनर्वास की चुनौती भी समान रुप से महत्वपूर्ण है। क्या निकट भविष्य में, ओडिशा, झारखंड और बिहार के लिए चक्रवात से हुए नुकसान की भरपाई कर पाना संभव होगा?( इन राज्यों में हुए नुकसान के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)


तथ्यों का संकेत है कि- ‘नहीं’। और, इस ‘नहीं’ का संबंध  आपदा-प्रबंधन से जुड़ी राष्ट्रीय नीतियों से हैं, जो प्राकृतिक आपदा में राहत और पुनर्वास के मामले में राज्यों को केंद्र सरकार के आगे मजबूर बनाती हैं। मिसाल के लिए गौर करें इन तथ्यों पर-

स्पष्ट नीति का अभाव


-          प्राकृतिक आपदा से निबटने के मामले में मुख्य भूमिका केंद्र की है या राज्य की- इस बारे में भारतीय संविधान में विशेष रुप से कुछ नहीं कहा गया।( देखें नीचे दी गई लिंक-संख्या 1)। आपदा-प्रबंधन, राहत और पुनर्वास जैसे शब्द ना तो संविधान की संघ सूची में दर्ज हैं ना ही राज्य सूची या फिर समवर्ती सूची में। संघ सूची की एक प्रविष्टी(97) में कहा गया है कि जो विषय किसी सूची में दर्ज नहीं वह सामान्य तौर पर केंद्र सरकार के जिम्मे आयेगा। परंपरा रही है कि प्राकृतिक आपदा में राहत और पुनर्वास का मुख्य जिम्मा राज्य संभालें और केंद्र उसमें वित्तीय और प्रौद्योगिकी के स्तर पर मददगार की भूमिका निभाये।
 
वित्तीय मदद के मामले में प्राथमिकता का बदलाव


आजादी के बाद के समय से ही आपदा-राहत के मामले में केंद्र की वित्तीय जिम्मेदारी के बारे में स्पष्टता का अभाव रहा है। दूसरे वित्त आयोग (1955-60) ने प्राकृतिक-आपदा से निबटने के लिए अलग से राहत-कोष बनाने का विधान किया। नौंवें वित्त-आयोग का विधान था कि आपदा राहत-कोष बनाया जाएगा जिसमें केंद्र और राज्य का योगदान 75:25 के अनुपात में होगा। राज्यों को इस कोष से राशि इस आधार पर प्राप्त होती है कि बीते एक दशक में आपदा-राहत के नाम पर उनके खर्च कितना रहा है। दसवें(1995-2000) ग्यारहवें(2000-2005) और बारहवें(2005-2010) वित्त-आयोग ने आपदा-राहत कोष की यह व्यवस्था कायम रखी। हालांकि, आपदा राहत-कोष के मद में धन का आबंटन 4020(सन्  1990-95) करोड़ से बढ़कर  21333.33 करोड़ रुपये (सन् 2005-10) हो गया लेकिन कोष के बंटवारे के मामले में प्राथमिकता बदली है। राजस्थान को आपदा-राहत कोष से सर्वाधिक हिस्सा(11.4 प्रतिशत) प्राप्त हुआ है, राहत-कोष से राशि पाने के मामले में आंध्रप्रदेश (9.3%) दूसरे नंबर पर और उत्तरप्रदेश तीसरे नंबर पर है। ओडिशा(6.1प्रतिशत) पश्चिम बंगाल (5.1 %) और बिहार (4.3%) को आपदा राहत-कोष से आबंटन के मामले में कम प्राथमिकता हासिल हुई है।

चक्रवात “फैलिन’ से ओडिशा, झारखंड और बिहार में भारी नुकसान के संकेत हैं और ऊपर दिए गए तथ्यों की रोशनी में देखें तो इन राज्यों के लिए इस आपदा से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास का काम कर पाना वित्तीय अभाव में मुश्किल साबित होगा।
 
कुछ और तथ्य-

भारत का पूर्वी और पश्चिम समुद्रतट और इससे जुड़े जलप्रांतर से 13 राज्य और संघशासित प्रदेश संबद्ध हैं। इन प्रदेशों के तकरीबन 20 करोड़ लोगों के सामने चक्रवात जनिक आपदा की चपेट में आने की आशंका होती है।

आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के लोगों के लिए चक्रवात जनित आपदा का खतरा ज्यादा है क्योंकि 58 फीसदी चक्रवात अक्तूबर-नवबंर के महीने में बंगाल की खाड़ी में जन्म लेते हैं। मॉनसून बाद के समय के चक्रवात वेग और वर्षा के मामले में मॉनसून से पहले उठने वाले चक्रवातों की तुलना में कहीं ज्यादा भयानक साबित होते हैं।

अरब सागर में उत्पन्न होने वाले मात्र 25 फीसदी चक्रवात ही पश्चिमी तट को अपनी चपेटट में लेते हैं।

वल्नरबेलिटी एटलस 2006 में भारत के 593 जिलों में से 348 को बहुमुख आपदाविद्ध माना गया है। इन जिलों में तकरीबन 52 करोड़ लोग रहते हैं। बहुमुख प्राकृतिक आपदा वाले सर्वाधिक जिले उत्तरप्रदेश(61) में हैं। इसके बाद बिहार(32), असम(23) और गुजरात(22) में।

प्राकृतिक आपदा-जनित मृत्यु की सर्वाधिक घटनायें विकासशील(39 फीसदी) और अत्यल्प विकसित(51.1 फीसदी) में होती हैं। इससे साबित होता है कि आपदाजनित मृत्यु की संख्या को कम करने के मामले में विकास एक महत्वपूर्ण कारक है।

विश्वबैंक के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत को साल 1996-2000 के बीच प्राकृतिक आपदा के कारण अपने राजस्व का 12.15 फीसदी और जीडीपी का 2.25 फीसदी नुकसान उठाना पडा।

भारत में प्राकृतिक आपदा-संबंधी तथ्यों और आपदा राहत संबंधी वित्तीय व्यवस्था की जानकारी के लिए देखें निम्नलिखित लिंक-

http://fincomindia.nic.in/writereaddata%5Chtml_en_files%5C
oldcommission_html/fincom13/discussion/report23.pdf

http://www.slideshare.net/IFMRCIRM/financing-disaster-mana
gement-in-india-possible-innovations

फैलिन तूफान से हुए नुकसान की प्राथमिक जानकारी के लिए देखें निम्नलिखित लिंक-

http://in.reuters.com/article/2013/10/19/india-cyclone-survivours-aid-idINDEE99H0BQ20131019

http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-10-17/india/43143663_1_odisha-school-and-mass-education-kitchens

http://www.indianexpress.com/news/cyclone-phailin-toll-rises-to-38--focus-on-relief-restoration/1183835/

http://www.ndtv.com/article/india/cyclone-phailin-odisha-to-complete-relief-operations-by-october-22-433944

http://www.ndtv.com/article/cheat-sheet/cyclone-phailin-aftermath-over-two-lakh-marooned-due-to-floods-in-odisha-situation-critical-432304

 

 

  



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