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चर्चा में.... | जापानी इंसेफ्लाइटिस के ज्यादा मामले बिहार में या असम में, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में
जापानी इंसेफ्लाइटिस के ज्यादा मामले बिहार में या असम में, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

जापानी इंसेफ्लाइटिस के ज्यादा मामले बिहार में या असम में, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

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published Published on Sep 23, 2019   modified Modified on Sep 23, 2019

बिहार का मुजफ्फरपुर जिला इस साल जून माह में इन्सेफ्लाइटिस से होने वाली मौतों के कारण सुर्खियों में रहा. जमीनी रिपोर्टिंग के आधार पर मीडिया में आने वाली खबरों में मुजफ्फरपुर तथा आसपास के जिलों पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी तथा सीतामढ़ी में इस रोग से काल-कवलित होने वाले बच्चों की तादाद के बारे में अलग-अलग दावे किये गये.

 

ऐसे में ये देखना जरुरी हो जाता है कि जापानी इन्सेफ्लाइटिस(जेई) और एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम से मरने वाले बच्चों की तादाद के बारे में आधिकारिक आंकड़े क्या कहते हैं और इन आंकड़ों के आईने में बिहार की छवि अन्य राज्यों के बरक्स कैसी जान पड़ती है.

बीते अगस्त माह के पहले हफ्ते तक जापानी इन्सेफ्लाइटिस तथा एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम से होने वाली मौतों की तादाद के अद्यतन (जून 2019 आंकड़े नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) की वेबसाइट पर मौजूद नहीं थे. लेकिन अब एनवीबीडीसीपी की वेबसाइट पर जून 2019 तक जेई/एईएस से होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़े अपलोड कर दिये गये हैं.

 

इन आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2013 से 2019 (30 जून तक) तक जिन पांच राज्यों मे जेई/एईएस के सबसे ज्यादा मामले प्रकाश में आये बिहार उनमें शामिल नहीं है. (इससे संबंधित तालिका-1 हमारी वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण में दी गई है) साल 2013 से 2019 के बीच जेई/एईएस के देश में कुल 68,622 मामले प्रकाश में आये हैं और इनमें केवल 3,222 मामले (4.70 प्रतिशत) बिहार से हैं. इस अवधि में देश में जेई/एईएस से 7,415 मौतें हुईं जिनमें बिहार में होने वाली मौतों की तादाद 893 ( 12.04 प्रतिशत) है.

 

तालिका से यह भी पता चलता है कि साल 2013 से 2019 (30 जून) के बीच देश में जापानी इन्सेफ्लाइटिस के कुल 10,333 मामले प्रकाश में आये. इनमें बिहार से प्रकाश में होने वाले मामलों की तादाद 364 (3.52 फीसद) रही. उक्त अवधि में जापानी इन्सेफ्लाइटिस से देश में 1,535 बच्चों की मृत्यु हुई जबकि बिहार में इस बीमारी से होने वाली मौतों की तादाद 62(4.04 फीसद) रही.

 

इस साल जून माह के आखिर तक देश में एईएस के कुल 3,365 मामले प्रकाश में आये. इनमें सबसे ज्यादा मामले ओड़िशा(611) से हैं. इसके बाद बिहार (525), उत्तरप्रदेश (482), तमिलनाडु (329) तथा झारखंड (305) का नंबर है. राज्यवार स्थिति के लिए देखें इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज के अंग्रेजी संस्करण में उपलब्ध तालिका-2)

 

गौरतलब है कि सार्वजनिक जनपद में मौजूद पुराने डेटासेट के मुताबिक साल 2019 की जनवरी से अप्रैल माह के बीच बिहार से एईएस से मृत्यु का एक भी मामला सामने नहीं आया. सो, एनवीबीडीसीपी के पहले के आंकड़े से एनवीबीडीसीपी के नवीनतम आंकड़ों की तुलना करें तो नजर आता है कि बिहार में एईएस के 525 मामले तथा एईएस जनित मृत्यु के 116 मामले 2019 के मई-जून में घटित हुए. यहां ध्यान देने की एक बात यह भी है कि एईएस से होने वाली मौतों के जो आंकड़े मीडिया में प्रकाशित हुए उसकी तुलना में आधिकारिक आंकड़ों में दर्ज मौतों की तादाद कम ठहरती है. ज्यादातर समाचारों में बिहार में एईएस से होने वाली मौतों की संख्या 150 बतायी गई.

 

बहरहाल, एनवीबीडीसीपी की वेबसाइट पर दिये गये आंकड़े में ये नहीं बताया गया कि एईएस के कारण हुई मौतों के आंकड़े सिर्फ सरकारी अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्र से लिये गये हैं या इस आंकड़े में निजी अस्पताल और डिस्पेंसरियों में एईएस के कारण होने वाली मौतों की संख्या को भी दर्ज किया गया है.

 

लोकसभा में 12 जुलाई को अतारांकित प्रश्नसंख्या 3358 के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया था कि बिहार में 8 जुलाई तक एईएस के कुल 872 मामले प्रकाश में आये हैं और इस अवधि में उक्त बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 176 है. लेकिन 9 जुलाई को राज्यसंभा में अतारांकित प्रश्न 1845 के जवाब में अश्विनी कुमार चौबे ने ही कहा था कि इस साल 1 जून से 2 जुलाई के बीच बिहार के 25 जिलों से एईएस से जुड़े 813 मामले प्रकाश में आये हैं और उक्त अवधि में इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या 162 है जबकि सूबे में 2016 से 2018 के बीच एईएस से होने वाली मौतों की संख्या 189 रही.

 

एनवीबीडीसीपी के नये आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के 30 जून तक एईएस के कारण होने वाली मौतों की दर राष्ट्रीय स्तर पर 5.32 रही जबकि ओड़िशा, बिहार, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु तथा झारखंड के लिए ये आंकड़ा क्रमशः 0.16 फीसद , 22.10 फीसद , 3.53 फीसद , शून्य प्रतिशत तथा 0.66 प्रतिशत का है.

 

जहां तक जापानी इन्सेफ्लाइटिस के मामले और इस बीमारी से होने वाली मौतों की तादाद का सवाल है, नये आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल 30 जून तक जापानी इंसेफ्लाइटिस के कुल 321 मामले सामने आये. इनमें सर्वाधिक मामले असम (69) से थे. इसके बाद तमिलनाडु (65) तथा ओड़िशा (55) का नंबर है.

 

जापानी इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौतों की दर राष्ट्रीय स्तर पर 9.35 है जबकि असम, तमिलनाडु तथा ओड़िशा में ये दर क्रमशः 30.43 प्रतिशत, शून्य प्रतिशत तथा 1.82 प्रतिशत है. जाहिर है, जापानी इंसेफ्लाइटिस से सर्वाधिक पीड़ित शीर्ष के तीन राज्यों में असम 2019 में अव्वल रहा है, ऐसा नये आंकड़ों के विश्लेषण से झांकता है. ध्यान देने योग्य एक तथ्य यह भी है कि जापानी इंसेफ्लाइटिस के कारण होने वाली मृत्यु की दर झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, तथा बिहार में क्रमशः 18.18 प्रतिशत, 14.29 प्रतिशत, 12.50 प्रतिशत , 11.11 प्रतिशत , 7.41 प्रतिशत तथा 6.25 प्रतिशत रही है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक

Reply to Unstarred Question no. 3358 to be answered on 12th July, 2019 in Lok Sabha, please click here to access


Reply to Unstarred Question no. 1845 to be answered on 9th July, 2019 in Rajya Sabha, please click here to access  

Uttar Pradesh among top 5 encephalitis prone states, suggests official data, News alert by Inclusive Media for Change dated 25 August, 2017, please click here to access
 
Don't blame the litchi -T Jacob John, The Indian Express, 3 July, 2019, please click here to access 

Healthcare's primary problem -Soham D Bhaduri, The Hindu, 3 July, 2019, please click here to access 

Lessons that Delhi journalists can learn from local media at Muzaffarpur -Umesh Kumar Ray, Newslaundry.com, 1 July, 2019, please click here to access 

Medical investigators say Muzaffarpur deaths probably due to malnutrition and delayed care, The Telegraph, 28 June, 2019, please click here to access 

AES in Bihar: Poor anganwadi centres failed to deliver, Down to Earth, 25 June, 2019, please click here to access 

In Muzaffarpur, AES is a grim reaper that stalks poor children -Ayush Tiwari, Newslaundry.com, 25 June, 2019, please click here to read more 

Bihar AES deaths: A hundred deaths, and no answers -Jacob Koshy, The Hindu, 22 June, 2019, please click here to access 

Muzzaffarpur: Anganwadi and Asha workers, who should have conducted awareness drive and monitored food intake of children, were on poll duty - Aanchal Bansal, The Economic Times, 21 June, 2019, please click here to access 

Fix healthcare now, or future shock is certain -Patralekha Chatterjee, Deccan Chronicle, 21 June, 2019, please click here to read more 

Most AES Victims in Bihar Are Dalits, EBCs and Muslims -Mohd. Imran Khan, Newsclick.in, 20 June, 2019, please click here to read more 

Bihar hospital doctors lack training, finds AIIMS team -Sana Shakil and Rajesh K Thakur, The New Indian Express, 20 June, 2019, please click here to read more  

 

 

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