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चर्चा में.... | तेरह राज्यों के 75 फीसद परिवारों ने कहा - 'भ्रष्टाचार बढ़ा है' !
तेरह राज्यों के 75 फीसद परिवारों ने कहा - 'भ्रष्टाचार बढ़ा है' !

तेरह राज्यों के 75 फीसद परिवारों ने कहा - 'भ्रष्टाचार बढ़ा है' !

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published Published on May 24, 2018   modified Modified on May 24, 2018

अगर जानना चाहते हों कि ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' का वादा किस मुकाम तक पहुंचा है तो फिर सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की एक नई रिपोर्ट आपके बड़े काम की साबित हो सकती है. भ्रष्टाचार-मुक्त पारदर्शी शासन देने के वादे से बनी मोदी सरकार अपने शासन के चार साल पूरे कर रही है और सीएमएस की रिपोर्ट के तथ्य उसके लिए बुरी खबर लेकर आये हैं.

 

रिपोर्ट के मुताबिक देश के तीन चौथाई परिवारों का मानना है कि बीते 12 महीनों में सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में या तो पहले की तुलना में भ्रष्टाचार बढ़ा है या फिर हालात बदस्तूर पहले के ही जैसे कायम हैं.

 

सार्वजनिक सेवाओं में मौजूद भ्रष्टाचार के लिहाज से तेलंगाना की हालत खास संगीन नजर आती है. सीएमएस की रिपोर्ट का आकलन है कि तेलंगाना में 73 फीसद परिवारों से बिजली, पानी, स्कूली शिक्षा, पुलिस, अदालत जैसी सार्वजनिक सेवा मुहैया कराने के नाम पर रिश्वत मांगी गई या फिर ऐसी सेवाएं हासिल करने के लिए उन्हें बिचौलिए का सहारा लेना पड़ा. तमिलनाडु में ऐसे परिवारों की तादाद 38%, कर्नाटक में, 36%, बिहार में, 35%, दिल्ली में 29%, मध्यप्रदेश में 23 प्रतिशत, पंजाब में 22 फीसद और राजस्थान में 20 फीसद रही.

 

यों अगर तेरह साल पहले(2005) की स्थिति से तुलना करें तो भ्रष्टाचार के मोर्चे पर हालात कुछ सुधरे दिखते हैं. सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस), स्वास्थ्य सेवा, स्कूली शिक्षा, बिजली, पानी की आपूर्ति, जमीन से संबंधित दस्तावेज, पुलिस, बैकिंग सेवा तथा न्यायपालिका जैसी नौ सेवाओं सुपुर्दगी कदरन पारदर्शी हुई है.

 

साल 2005 में देश के 52 फीसद परिवारों ने कहा था कि इन सेवाओं को हासिल करने में उन्हें कम से कम एक दफे रिश्वतखोरी का सामना करना पड़ा. सीएमएस की रिपोर्ट के मुताबिक का सामना करना पड़ा था लेकिन अब ऐसे परिवारों की तादाद घटकर 27 फीसद यानि लगभग आधी हो गई है. गौरतलब है कि सीएमएस की इंडिया करप्शन रिपोर्ट 13 राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर आधारित है.

 

गौर करें कि साल 2005 से 2018 के बीच किन कारणों से लोगों को सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में रिश्वत देने पर मजबूर होना पड़ा:

 

* पीडीएस : राशन कार्ड में नाम लिखवाने या हटाने के लिए

* स्वास्थ्य सेवा : डाक्टर की लिखी पर्ची के मुताबिक डिस्पेंसरी से दवा लेने में 

* अस्पताल: ओपीडी कार्ड बनवाने के लिए

* स्कूली शिक्षा: स्कूल से पोशाक और किताब लेने के एवज में या फिर दाखिला करवाने के लिए 

* स्कूली शिक्षा : उपस्थिति कम होने पर बच्चे को कहीं उसी कक्षा में रोक ना लिया जाय, इस एवज में

* स्कूली शिक्षा: छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र हासिल करने के एवज में  

* बिजली : खराब मीटर को बनवाने या बढ़ा-चढ़ाकर रकम दिखाने वाले बिल को दुरुस्त करवाने के एवज में

* बिजली : लोड बढ़ाने के एवज में 

* जमीन के दस्तावेज : स्टाम्प पेपर की खरीद तथा संपदा से जुड़े दस्तावेज हासिल करने में 

* पुलिस : पासपोर्ट के सत्यापन/नौकरी के एवज में 

* पुलिस : आरोपित या गवाह के रुप में दर्ज नाम को हटाने के एवज में 

* पुलिस : यातायात के नियमों के उल्लंघन की स्थिति में चालान से बचने के लिए 

* जलापूर्ति : पानी की पाइप-लाईन लगाने और उसके रख-रखाव के एवज में 

* बैंकिंग : खाता खुलवाने तथा किसी दस्तावेज को आगे बढ़ाने के लिए 

* न्यायपालिका : फैसले की सत्यापित कॉपी लेने के एवज में 

* न्यायपालिका : सुनवाई की पसंदीदा तारीख हासिल करने के एवज में

 

सीएमएस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में सबसे ज्यादा परिवारों(21 फीसद) को भ्रष्टाचार महसूस हुआ. इसके बाद पुलिस-सेवा(20 प्रतिशत परिवार) तथा जमीन से संबंधित दस्तावेज फराहम करने की सेवा में मौजूद भ्रष्टाचार( 16 फीसद परिवार) का स्थान रहा.

 

हालांकि बैकिंग सेवा को हासिल करने के मामले में भ्रष्टाचार का अनुभव करने वाले परिवारों की तादाद बहुत कम(1 प्रतिशत) है लेकिन बैकिंग सेवा को हासिल करने में ही रिश्वत की सबसे ज्यादा रकम चुकानी पड़ी. बैंकिंग सेवा में भ्रष्टाचार का अनुभव करने वाले परिवारों ने कर्ज लेने के नाम पर सालाना औसतन 5250 रुपये की रकम रिश्वत के तौर पर दी. ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने या फिर ड्राइविंग लाइसेंस के नवीकरण के लिए एक औसत परिवार को साल में 518 रुपये की रकम रिश्वत के रुप मे देनी पड़ी.

 

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में 1.9 प्रतिशत परिवारों(शहरी और ग्रामीण सम्मिलित रुप से) को रिश्वत ना चुका पाने के कारण या बिचौलिए की मदद ना लेने के कारण पुलिस या पीडीएस जैसी सेवा हासिल करने से वंचित होना पड़ा. इन्हीं कारणों से ग्रामीण इलाके के 1.4 फीसद परिवार मनरेगा के लाभों से भी वंचित रहे. 

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें--

 

 75% households feel corruption went up, 27% say paid bribe: Study, The Economic Times, 19 May, 2018, please click here to access

 

Telangana 2nd, AP 4th most corrupt states: Survey -U Sudhakar Reddy, The Times of India, 19 May, 2018, please click here to access  

 

Telangana second worst performer in graft fight -Coreena Suares, Deccan Chronicle, 19 May, 2018, please click here to access  



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