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चर्चा में.... | देश के हाईकोर्ट में इंसाफ की कछुआ चाल !
देश के हाईकोर्ट में इंसाफ की कछुआ चाल !

देश के हाईकोर्ट में इंसाफ की कछुआ चाल !

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published Published on Apr 22, 2016   modified Modified on Apr 22, 2016

क्या कभी आपने दिल में यह ख्याल आया कि आजाद हिन्दुस्तान के  किसी हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा दिनों से चल रहा मुकदमा कौन सा है ?

 

अगर आप सोचते हैं कि 2014 में अपनी सुनवाई के 20 साल पूरा करने वाला अपहरण और हत्या से संबंधित मुकदमा जिसमें पंजाब के पूर्व डीजीपी एस एस सैनी समेत तीन अन्य पुलिस अधिकारी अभियुक्त हैं आजाद भारत का सबसे लंबा चला मुकदमा हैं तो एक बार फिर से सोचिए !

 

विधिक मामलों पर सक्रिय नागरिक संगठन दक्ष के एक आकलन के मुताबिक देश के एक हाईकोर्ट(झारखंड) में एक मुकदमा 1 जनवरी 1958 से लंबित है.

 

साल भर पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश ने खुद कहा था कि कोई भी मुकदमा पांच साल से ज्यादा ना चले इसके लिए विशेष उपाय किए जायेंगे लेकिन दक्ष का हाईकोर्ट में लंबित चले आ रहे मुकदमों से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण मुख्य न्यायाधीश की उम्मीद से अलग कहानी बयान करता है.

 

विश्लेषण के मुताबिक देश के 21 उच्च न्यायालयों में फैसले की बाट जोह रहे मुकदमे अपनी सुनवाई के दिन से 11 अप्रैल 2016 तक औसतन 1141 दिन यानी 3 साल से ज्यादा की अवधि पूरी कर चुके हैं.

 

दक्ष ने अपनी परियोजना द रुल ऑव लॉ के तहत किए जा रहे अध्ययन में बताया है कि सबसे ज्यादा दिनों( औसतन 1349 दिन) से लंबित चले आ रहे मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट के हैं. गुजरात हाईकोर्ट इस मामले में दूसरे नंबर जहां मुकदमे औसतन 1221 दिनों से लंबित हैं. पटना हाईकोर्ट में दर्ज मुकदमे औसतन 1065 दिनों से लंबित हैं.

 

सबसे कम दिनों से लंबित मुकदमे सिक्किम हाईकोर्ट से संबंधित हैं. सिक्किम हाईकोर्ट में दर्ज मुकदमे सुनवाई के क्रम में औसतन 346 दिनों से लंबित हैं.

 

दक्ष के आंकड़ों के मुताबिक देश के 21 उच्च न्यायालयों में फिलहाल 19.39 लाख मुकदमे चल रहे हैं और चालू वर्ष के 11 अप्रैल तक तकरीबन 95 लाख सुनवाइयां हुई थीं. मुकदमे की सुनवाई के बीच का औसत अंतराल दिल्ली हाईकोर्ट के लिए सबसे ज्यादा दिनों ( औसतन 82 दिन) का है जबकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के लिए सबसे कम दिनों(औसतन 78 दिन) का.

 

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी(दिल्ली) के सेंटर फॉर कांस्टीट्यूशनल लॉ, पॉलिसी एंड गवर्नेंस के साथ साझे में चल रही परियोजना द रुल ऑव लॉ के लिए तैयार दक्ष के डेटा पोर्टल से यह भी पता चलता है कि किस हाईकोर्ट में कितने मुकदमे कितने साल से लंबित चल रहे हैं. मिसाल के लिए गुजरात हाईकोर्ट में 12 अप्रैल 2016 तक 15 साल या इससे ज्यादा दिनों से लंबित चले आ रहे मुकदमों की संख्या 4685 थी जबकि 10 से 15 साल की अवधि से लंबित चले आ रहे मुकदमों की संख्या 85240. गुजरात हाईकोर्ट में 11274 मुकदमे 5-10 साल की अवधि से लंबित है और 6940 मुकदमे पांच साल से कम अवधि से.

 

डेटा पोर्टल यह जानने में भी मददगार है कि उच्च न्यायालयों ने कितने मुकदमों के निस्तारण में कितने साल लगाये. मिसाल के लिए ओड़ीशा हाईकोर्ट ने 524 मुकदमों का निस्तारण पांच साल से कम अवधि में किया, 709 मुकदमों के निस्तारण में उसे 5-10 साल का समय लगा जबकि 380 मुकदमों पर फैसला देने में ओड़ीशा हाईकोर्ट को 15 साल से भी ज्यादा का वक्त लगा.

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें--

 

DAKSH data portal, 
http://zynata.com/base/src/index.html#/access/signin?porta
l=dakshlegal.in
 

High Court judges get just 5-6 minutes to decide cases, says study -Pradeep Thakur, The Times of India, 7 April, 2016, please click here to access 

Judges do work hard, but pendency of cases is still very high, says Daksh study -Janaki Murali, FirstPost.com, 23 March, 2016, please click here to access 

HCs taking 3 years on average to decide cases: Study -Pradeep Thakur, The Times of India, 22 March, 2016, please click here to access  

DAKSH Launches ‘Rule of Law Project’ to Help Evaluate Court Data, The New Indian Express, 19 December, 2015, please click here to access

 

‘District courts will take 10 years to clear cases’ -Rukmini S, The Hindu, 27 September, 2015, please click here to access  

 

Justice denied: Two charts show the enormity of the crisis of India's justice delayed system -Mayank Jain, Scroll.in, 21 September, 2015, pleaseclick here to access

SC launches portal on pendency of cases, The Hindu, 20 September, 2015, please click here to access 

 

New database of High Courts unearths a 57-year-old case -Rukmini S, The Hindu, 4 May, 2015, please click here to access  

 

पोस्ट में इस्तेमाल तस्वीर साभार- नया इंडिया- http://www.nayaindia.com/todays-article/supreme-court-stands-on-sanjeev-bhatt-plea-480893.html 



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