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चर्चा में.... | देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा परिवार बेघर !
देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा परिवार बेघर !

देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा परिवार बेघर !

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published Published on Aug 25, 2014   modified Modified on Aug 25, 2014
आजादी के अड़सठ साल बाद भी देश में कम से कम साढ़े चार लाख परिवार बेघर हैं। बेघर परिवारों में से प्रत्येक का औसत तकरीबन चार( 3.9 व्यक्ति) व्यक्तियों का है।

जनगणना के नये आंकड़ों(2011) से पता चलता है बीते एक दशक(2001-2011) के बीच बेघर लोगों की संख्या 8 प्रतिशत घटी है तो भी देश में अभी कुल 17.7 लाख लोग बिल्कुल बेठिकाना हैं। हालांकि देश की कुल आबादी में बेघर लोगों की संख्या महज 0.15 प्रतिशत है तो भी इनकी कुल संख्या(तकरीबन 17 लाख) की अनदेखी नहीं की जा सकती।

नई जनगणना में बेघर परिवार की बड़ी स्पष्ट परिभाषा नियत की गई है। जनगणना में उन परिवारों को बेघर माना जाता है जो किसी इमारत, जनगणना के क्रम में दर्ज मकान में नहीं रहते बल्कि खुले में, सड़क के किनारे, फुटपाथ, फ्लाईओवर या फिर सीढियों के नीचे रहने-सोने को बाध्य होते हैं अथवा जो लोग पूजास्थल, रेलवे प्लेटफार्म अथवा मंडप आदि में रहते हैं।जनगणना में ऐसे लोगों की गिनती 28 फरवरी 2011 को हुई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि बेघर लोगों की संख्या ठीक-ठीक बता पाना मुश्किल है क्योंकि ऐसे लोगों का कोई स्थायी वास-स्थान, पता-ठिकाना नहीं होता और ऐसे में बेघर लोगों को खोज पाना ही अपने आप में बड़ी मुश्किल का काम है। जिन मकानों की हालत अत्यंत जर्जर है, जो घरों बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं या फिर जिन घरों में एक छोटे से छत के नीचे बड़ी तादाद में लोग रहते हैं उन्हें भी बेघर में गिना जाय- ऐसा कई विशेषज्ञों का सुझाव है।

जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2001 से 2011 के बीच शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों की संख्या 20.5 प्रतिशत बढ़ी है जबकि ग्रामीण इलाकों में 28.4 प्रतिशत घटी है। बेघर आबादी में बच्चों की संख्या साल 2001 में 17.8 प्रतिशत थी जो साल 2011 में घटकर 15.3 प्रतिशत हो गई है।


बेघर परिवारों की संख्या के मामले में शीर्ष के पाँच राज्य: उत्तरप्रदेश (3.3 लाख), महाराष्ट्र (2.1 लाख), राजस्थान (1.8 लाख), मध्यप्रदेश (1.46 लाख) और आंध्रप्रदेश (1.45 लाख). हैं। गुजरात (1.4 लाख) का स्थान इस क्रम में छठा है। बहरहाल अगर कुल आबादी में बेघर लोगों के अनुपात के लिहाज से देखें तो शीर्ष के पाँच राज्यों में राजस्थान (0.3%), गुजरात (0.24%), हरियाणा (0.2%),मध्यप्रदेश (0.2%) तथा महाराष्ट्र (0.19%) का नाम आएगा।

जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जिन लोगों के सर को छत नसीब हैं उन लोगों में 5.35% परिवार अत्यंत जर्जर मकानों में रहने को बाध्य हैं। देश के 8.1% अनुसूचित जाति के परिवार तथा 6.3% प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवार अत्यंत जर्जर मकानों में रहते हैं।

देश के केवल 29.04 प्रतिशत परिवार ( अनुसूचित जाति के परिवारों में 21.9% तथा अनुसूचित जनजाति के परिवारों में 10.1%) सीमेंटदार पक्की छत के मकानों में रहते हैं। शेष परिवार ऐसे घरों में रहते हैं जिनकी छत घास-फूस, बांस-बल्ली, हाथ या मशीन से बने खपड़े, ईंट-पत्थर- एस्बेस्टस, पॉलिथीन-प्लास्टिक आदि से बनी हुई है।.


शौचालय विहीन मकानों की संख्या का राष्ट्रीय औसत 53% है। अनुसूचित जाति के बीच शौचालयहीन मकानों की संख्या 66 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जनजाति के बीच शौचालय विहीन मकानों की संख्या 77% है। शौचालय की सुविधा से हीन अनुसूचित जाति के 78% तथा अनुसूचित जनजाति के 88% परिवारों की भार किसी महिला प्रधान के हाथ में है।

शहरी क्षेत्र में आवासों की कमी से संबंधित एक तकनीकी समूह का आकलन है कि देश के शहरी क्षेत्रों में साल 2012 में 1 करोड़ 80 लाख 78 हजार मकानों की कमी थी और इस कमी का 95 प्रतिशत आर्थिक रुप से कमजोर अथवा निम्न आय-वर्ग के लोगों से संबंधित है। राष्ट्रीय आवास बैंक के आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्रों में 4 करोड़ 30 लाख 90 हजार मकानों की कमी बतायी गई है जिसका 90 प्रतिशत आर्थिक रुप से कमजोर और वंचित-वर्ग के लोगों से संबंधित है।

गौरतलब है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कम कीमत में आवास मुहैया कराने के एक महत्वाकांक्षी मिशन की घोषणा की है। इस मिशन का संचालन राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र के गरीब और निम्न आयवर्ग लोगों को आवास मुहैया कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आवास बैंक को 4 हजार करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं ताकि सुविधाजनक शर्तों पर गृह-ऋण दिए जा सकें।

 इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें

HH -2 Houseless Households By Household Size

http://www.censusindia.gov.in/2011census/hh-series/hh02.html

Percentage of Households to Total Households by Amenities and Assets

http://www.censusindia.gov.in/2011census/hlo/Houselisting-
housing-PCA.html

Presentation Census of India 2011, Primary Census Abstract Houseless Population, http://www.censusindia.gov.in/2011-Documents/Houseless%20P
PT%2005-12-2013.pdf

 Housing For Poor Can Spur Economic Growth, http://www.im4change.org/news-alerts/housing-for-poor-can-
spur-economic-growth-23978.html

 Report on Trend and Progress of Housing in India 2013 by National Housing Bank

http://www.nhb.org.in/Publications/Progress-report-2013-EN
GLISH.pdf

 Report on Trend and Progress of Housing in India (previous years),

http://www.nhb.org.in/Publications/trends.php

 Housing Shortages in Rural India-Shamsher Singh, Madhura Swaminathan, and VK Ramachandran, Review of Agrarian Studies, Volume 3, Number 2 (July-December, 2013),

http://www.ras.org.in/housing_shortages_in_rural_india

 Houselisting and Housing Census Data Highlights-2011,

http://www.censusindia.gov.in/2011census/hlo/hlo_highlights.html

 Key Indicators of Urban Slums in India (July 2012 to December 2012), National Sample Survey 69th Round,

http://www.im4change.org/latest-news-updates/key-indicator
s-of-urban-slums-in-india-23741.html

 http://www.im4change.org/siteadmin/http://www.im4change.or
ghttps://im4change.in/siteadmin/tinymce///uploaded/NSS%206
9th%20Round%20Slum%20Survey.pdf

 Report of the Technical Group (11th FYP) on Estimation of Urban Housing Shortage, Ministry of Housing and Urban Poverty Alleviation, http://mhupa.gov.in/ministry/housing/housingshortage-rept.pdf

India's Target For Homeless: 60,000 Houses A Year -Saumya Tewari, June 24, 2014, http://www.indiaspend.com/cover-story/indias-target-for-ho
meless-60000-houses-a-year-29465

 तस्वीर साभार: हिमांशु जोशी

 

 



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