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चर्चा में.... | नोटबंदी के तुरंत बाद दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा गंवाये रोजगार के अवसर-- नई रिपोर्ट
नोटबंदी के तुरंत बाद दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा गंवाये रोजगार के अवसर-- नई रिपोर्ट

नोटबंदी के तुरंत बाद दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा गंवाये रोजगार के अवसर-- नई रिपोर्ट

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published Published on Jan 18, 2018   modified Modified on Jan 18, 2018
नोटबंदी के तुरंत बाद के तीन महीनों में दिहाड़ी मजदूरों के रोजगार के अवसरों में सबसे ज्यादा कमी आई. इस तथ्य का खुलासा लेबर ब्यूरो की हाल की तिमाही रिपोर्ट से होता है. रिपोर्ट में चुनिन्दा क्षेत्रों में रोजगार के हालात का आकलन है.


हालांकि अर्थव्यवस्था के आठ मुख्य क्षेत्रों में 1 जनवरी 2017 से 1 अप्रैल के बीच रोजगार के अवसरों में 1.85 लाख का इजाफा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में नियमित कामगारों के रोजगार के अवसर सबसे ज्यादा(1.97 लाख) बढ़े. अनुबंध के आधार पर काम करने वालों के लिए रोजगार के अवसरों की संख्या(26000) भी बढ़ी है लेकिन इस अवधि में लगभग 53000 दिहाड़ी मजदूरों को अपनी जीविका गंवानी पड़ी.


लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट के मुताबिक ऊपर बतायी गई अवधि में स्वरोजगार में लगे लोगों के लिए जीविका के अवसरों में 15000 की तादाद में इजाफा हुआ.


रिपोर्ट के तथ्यों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1 जनवरी 2017 से 1 अप्रैल 2017 के बीच विनिर्माण क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा तादाद(22 हजार) में जीविका गंवायी.


निर्माण-कार्य के क्षेत्र में 9 हजार दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार के अवसर से वंचित होना पड़ा को व्यापार के क्षेत्र में 3 हजार मजदूरों को. परिवहन क्षेत्र के 5 हजार दिहाड़ी कामगारों ने जीविका गंवायी तो शिक्षा-क्षेत्र में दिहाड़ी पर काम कर रहे 8 हजार दिहाड़ी कामगारों के रोजगार के अवसर खत्म हुए. स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसे 7 हजार कामगारों को जीविका के अवसर से वंचित होना पड़ा.


बतायी गई अवधि में रेस्टोरेन्ट एंड एकोमोडेशन के क्षेत्र में मात्र 1000 दिहाड़ी मजदूरों को रोजागर हासिल हुए जबकि सूचना प्रौद्योगिकी/बीपीओ के क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूरों को नोटबंदी के तुरंत बाद के तीन महीनों में रोजगार का कोई अवसर हासिल ना हुआ.


कुछ ऐसा ही हाल अनुबंध पर काम करने वाले मजदूरों का रहा. निर्माण-कार्य, परिवहन, रेस्टोरेन्ट तथा शिक्षा क्षेत्र में अनुबंध आधारित कामगारों ने क्रमशः 8 हजार, 1 हजार, 3 हजार तथा 37 हजार की तादाद में जीविका के अवसर गंवाये. बतायी गई अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में अनुबंध आधारित 48000 कामगारों को रोजगार मिला.


लेबर ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी 2017 से 1 अप्रैल 2017 के बीच विनिर्माण क्षेत्र में 66000 की तादाद में नियमित आधार के रोजगार के अवसर पैदा हुए जबकि शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी नौकरियों की तादाद 46000 रही.


गौरतलब है कि लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट(क्विक एम्पलायमेंट सर्वे) अर्थव्यवस्था के सिर्फ संगठित क्षेत्र में मौजूद रोजगार के अवसरों की कमी-बेशी की झलक देती है. इस रिपोर्ट के सहारे अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में आये रोजगार के अवसरों की तब्दीली का अनुमान नहीं लगाया जा सकता. नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों पर क्या असर हुए, इसका आकलन लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के सहारे नहीं किया जा सकता.


गौरतलब है कि लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट में नमूने के तौर पर शामिल 71.14 इकाइयां शहरी क्षेत्र की हैं और मात्र 28.86 प्रतिशत इकाइयां ही ग्रामीण क्षेत्र की है. ध्यान देने योग्य एक तथ्य यह भी है लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट में जिन इकाइयों का सर्वेक्षण किया गया उनमें 97.21 प्रतिशत पंजीकृत थीं, अपंजीकृत मात्र 2.97 प्रतिशत इकाइयां ही सर्वेक्षण में शामिल की गईं.

 

इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देख जा सकते हैं--

Quarterly Report on Employment Scenario in selected sectors (new series) as on 1st April, 2017, released in December 2017, Labour Bureau, Ministry of Labour & Employment, please click here to access  

Quarterly Report on Employment Scenario in selected sectors (new series) as on 1st April, 2016, released in September 2016, Labour Bureau, Ministry of Labour & Employment, please click here to access 

 

53 thousand casual jobs lost in Jan-Mar, overall employment up by 1.85 lakh, PTI, The Hindu Business Line, 31 December, 2017, please click here to access 

 

Country's organised sector created 4 lakh jobs in 2016-17, The Times of India, 31 December, 2017, please click here to access  

 

Note Ban Hurt Daily Wagers, Contractual Jobs, Shows Government's Own Survey -Somesh Jha, TheWire.in, 30 December, 2017, please click here to access  

  



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