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चर्चा में.... | बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें

बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें

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published Published on May 2, 2012   modified Modified on May 2, 2012

बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को पढ़ना जारी रखें और धऱना में शामिल लोगों के साक्षात्कार लेने तथा विशेष जानकारी के लिए धरना-स्थल पर पहुंचे।

 

पेंशन परिषद की मूल मान्यता है- बुजुर्गों के प्रति किसी सभ्यता की बरताव कैसा है, यही उसकी सफलता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पैमाना है। भारत में बुजुर्गों के साथ सम्मान का बरताव करने की गौरवशाली परंपरा रही है लेकिन ज्यों-ज्यों भारत 21 वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, यहां के बुजुर्गों की दयनीय दशा गहरे शर्म और चिन्ता का विषय बनते जा रही है। सेहत के लिहाज से अशक्त और आर्थिक मोर्चे पर उपयोगी ना रहे बुजर्गों के साथ एक बोझ मानकर बरताव किया जाता है मानों इनके लिए किसी के पास समय ही नहीं है। अपने घर-परिवार के सदस्यों के हाथो त्यक्त बुजुर्ग बहुधा एकाकी जीवन बिताने को बाध्य हैं, वह भी एक ऐसे वक्त में जब उन्हें साहचर्य और देखभाल की सबसे ज्यादा जरुरत है।.

 

पेंशन परिषद का विचार बीते फरवरी माह की 24-25 तारीख को पुणे में पनपा। पुणे में इस दिन तकरीबन 10000 कार्यकर्ता बुजुर्गों की स्थिति पर चर्चा करने और उनके लिए सार्वभौमिक तौर पर पेंशन की मांग के साथ अभियान चलाने के उद्देश्य से एकत्र हुए थे। पुणे की सभा में फैसला हुआ कि सर्वाधिक वंचित समुदायों की दशा को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक बुजुर्ग को पेंशन का हक दिलवाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा।

 

भारत के बुजुर्गों के बारे में कुछ कड़वे तथ्य

अभियान के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव पत्र में निम्नलिखित तथ्यों का जिक्र है-

- भुखमरी का शिकार होने वाले लोगों में सर्वाधिक संख्या बुजुर्गों की है।

- शहरी इलाकों के बेघर लोगों में सर्वाधिक संख्या बुजुर्गों की है।.

- जाड़ें के दिनों में ठंढ् से मृत्यु के सर्वाधिक मामले बुजुर्गों के हैं।

-  देश में बुजुर्गों(60 साल और इससे ज्यादा उम्र) की तादाद तकरीबन 10 करोड़ है यानी कुल आबादी का 8.2% प्रतिशत।

-  तकरीबन 60 फीसदी बुजुर्गों को अपनी जीविका चलाने के लिए काम करना पड़ रहा है।जीवन बसर करने के लिए काम करने को बाध्य बुजुर्ग महिलाओं का तादाद 19 फीसदी है। महिलाओं की संख्या में कमी का एक कारण यह भी है कि उनके काम की गणना नहीं की जाती।

-  अखिल भारतीय स्तर पर देखें तो बुजुर्ग आबादी का छठवां हिस्सा या तो एकाकी रह रहा है या फिर जीवनसाथी के साथ।कुछ राज्यों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है- आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में एकाकी या फिर जीवनसाथी के साथ रहने वाले बुजुर्गों की तादाद 30 फीसदी है जबकि उत्तराखंड,मध्यप्रदेश और गुजरात में तकरीबन 20 फीसदी।

 

 

 

देश का बदलता हुआ सामाजिक-आर्थिक परिवेश बुजुर्गों की दशा को और ज्यादा दयनीय बना रहा है। आज के समय में कामगार तबके में पलायन एक नियम सा बन गया है। परिवार के युवा सदस्य काम के लिए घर छोड़कर निकल जाते हैं और बुजुर्ग बिना किसी आर्थिक या फिर देखभाल जैसी अन्य सहायता के घर में निराश्रय रह जाते हैं।  सामाजिक-आर्थिक परिवेश में बदलाव उन आर्थिक नीतियों के पालन के कारण आया है जिनपर सरकार गुजरे बीस सालों से चल रही है। इस कारण सरकार बुजुर्गों की दशा के लिए कहीं और ज्यादा जिम्मेवार है।

 

भारत सरकार ने बुजुर्गों की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रावधान किए हैं लेकिन इन प्रावधानों के लाभ के दायरे में वे ही बुजुर्ग आते हैं जिन्होंने या तो संगठित क्षेत्र में काम किया है या फिर जो धनी और मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि के है। मिसाल के लिए प्रावधान है कि वरिष्ठ नागरिकों को ढाई लाख या फिर ज्यादा की करयोग्य आमदनी पर छूट दी जाएगी, जो तकरीबन 460 से 540 रुपये के आस-पास पड़ता है। ठीक इसी तरह अस्सी साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए आयकर में ज्यादा छूट का प्रावधान है। सरकारी सेवा से अवकाश-प्राप्त व्यक्तियों के लिए प्रावधान है कि उन्हें अस्सी साल की उम्र के बाद 20 फीसदी ज्यादा पेंशन मिलेगा और इसमें उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होगी।

 

संगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा देने के लिए वेतन में से ही कटौती की जाती है लेकिन असंगठित क्षेत्र में निजी पूंजी के फायदे के तर्क से कामगार को दिया जाने वाला भुगतान हद दर्जे तक कम होता है और सामाजिक-सुरक्षा की बात सिरे से गायब होती है। साल 2000 से 2010 के बीच संगठित क्षेत्र में कुल साढे सात लाख कामगारों को रोजगार पर रखा गया यानी संगठित क्षेत्र में रोजगार पाने वालों का सालाना औसत रहा 0.3%.। इसी अवधि में देश की जीडीपी दोगुना बढ़ी और इस वृद्धि की रफ्तार रही साढे सात फीसदी सालाना। इससे साफ जाहिर है कि जीडीपी में बढोत्तरी मुख्य रुप से असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के योगदान के फलस्वरुप हुई।

 

जो बुजुर्ग साधारण तबके से हैं उनके लिए सरकार की प्रतिबद्धता या सरोकार सबसे कम है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति उनकी है जिनके पास संसाधनों का कोई मालिकाना नहीं है, मिसाल के लिए दलित, भूमिहीन, जीविका के लिए दिहाड़ी पर आश्रित, बुजुर्ग महिलायें, सामाजिक रुप से लांछित तबका जैसे यौनकर्मी, किन्नर, जिन बुजुर्गों के बच्चे या परिजन एचआईवी पॉजिटिव हैं, आदिम जनजाति समूह आदि। इनमें कई ऐसे हैं जिनकी जीवन-संभाव्यता बहुत कम है और इन्हे बुढ़ापे का सामना जल्दी करना पड़ता है, साथ ही उन्हें बुढ़ापे में सरकार की तरफ से स्थिति की पहचान करते हुए कोई सहायता नहीं प्राप्त होती ।

 

दोतरफा पेंशन स्कीम(इसमें कुछ रकम पेंशनधारक से लिया जाता है और उसमें कुछ रकम सरकार जोड़ती है) की संभावनाओं के महत्व को पहचानते हुए पेंशन परिषद का जोर बुजुर्गों के लिए ऐसी पेंशन-योजना के लिए है जो हर बुजुर्ग को हासिल हो साथ ही जिसके लिए उसे अपने पास से रकम ना जोड़नी पड़ती हो।पेंशन परिषद का कहना है वृद्धावस्था के लिए पेंशन की मांग किसी चंदे की मांग नहीं है बल्कि यह मांग असंगठिक क्षेत्र के मजदूरों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था में किए गए अलक्षित योगदान के मद्देनजर है। संगठित क्षेत्र के विपरीत, जहां लोग 60 साल की उम्र तक काम करते हैं, असंगठित के मजदूर सर्वाधिक कठिन हालातों में कठोर सश्रम करते हैं वह भी बगैर पर्याप्त पोषण और आराम के। ऐसे मजदूरों के लिए 55 साल की उम्र के बाद तक काम करना एक सज़ा के समान है लेकिन सहायता के अभाव में इन्हें कहीं ज्यादा उम्र तक काम करना पड़ता है। अब वक्त आ चुका है जब ऐसे मजदूरों को आर्थिक सहायता और आराम दिया जाय।

 

 

बुजुर्गों की दशा- कहां खड़े हैं हम ?

वृद्धावस्था के दौरान दी जाने वाली सामाजिक सहायता के मामले में भारत तुलनायोग्य देशों के बरक्स बहुत पीछे ठहरता है।  दक्षिणी अफ्रीका का एक छोटा सा देश है लीसेथो। लीसेथो में प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत की तुलना में दो-तिहाई है लेकिन यहां हर बुजुर्ग को सरकार की तरफ से तकरीबन 2300/- रुपया प्रति महीना बतौर पेंशन के दिया जाता है और इस पेंशन के लिए बुजुर्ग को अपनी तरफ से कोई राशि नहीं जमा करनी पड़ती। कीनिया में प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत की तुलना में आधी है और वहां बुजुर्गों को प्रति माह 1250/- रुपये की पेंशन सरकार की तरफ से दिया जाता है। नेपाल में प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत की तुलना में एक तिहाई है और नेपाल में बुजुर्गों को 313 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जाती है जो भारत के कई राज्यों में दिए जाने वाले वृद्धावस्था-पेंशन से कहीं ज्यादा है। भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, भारत में साल 2011 तक बुजुर्गों को दिया जाने वाला अधिकतम  पेंशन 1000 रुपये(गोवा और दिल्ली) है और न्यूनतम 200 रुपये( आंध्रप्रदेश, बिहार, ओडिसा)।

 

गौरतलब है कि भारत में वृद्धावस्था के लिए दिए जाने वाला पेंशन सार्वभौमिक नहीं है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार भारत में बुजुर्ग लोगों की संख्या 10 करोड़( अनुमानों के मुताबिक साल 2011 में तकरीबन 9.92 करोड़) है जबकि पेंशन मिलती है 2 करोड़  (1.97 करोड़ यानी कुल संख्या के पांचवे हिस्से) बुजुर्गों को। वृद्धावस्था के लिए दिया जाने वाला पेंशन उन्हीं बुजुर्गों को हासिल होता है जिनकी गणना गरीबी-रेखा से नीचे के व्यक्ति के रुप में की गई है और इस कोटि के भी 50 फीसदी से कम ही बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन हासिल होता है। अन्नपूर्णा स्कीम का गठन उन बुजुर्गों के लिए किया गया है जो पेंशन के हकदार हैं लेकिन फंड की कमी के कारण जिन्हें पेंशन हासिल नहीं हो रही। यह योजना खुद में सबूत है कि जो बुजुर्ग पेंशन-योग्य माने गए हैं उनमें भी सबको वृद्धावस्था पेंशन हासिल नहीं है।

 

 

 

मांगें:

 

ऐसी व्यवस्था तत्काल की जाय कि पेंशन हर बुजुर्ग को मिले और इस पेंशन के लिए उससे कोई रकम ना जमा करवायी जाय। पेंशन की न्यूनतम राशि या तो न्यूनतम मजदूरी के 50 फीसदी हो या फिर 2000 रुपया प्रतिमाह( इनमें से जो अधिक हो उसे ही पेंशन की रकम के रुप में स्वीकार किया जाय)

 मासिक पेंशन का हर दूसरे या तीसरे साल पुनरीक्षण होना चाहिए और हर छह महीने पर मुद्रास्फीति के हिसाब से उसे संगत बनाया जाना चाहिए जैसा कि सरकारी सेवा में बहाल लोगों के साथ होता है।

जो कोई व्यक्ति 55 साल या इससे अधिक उम्र का हो उसे वृद्धावस्था पेंशन का हकदार माना जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए वृद्धावस्था पेंशन पाने की शुरुआती उम्र 50 साल मानी जानी चाहिए।

 जो तबका सर्वाधिक कमजोर है (जैसे-आदिम जातीय समूह, किन्नर, यौनकर्मी आदि) उसके लिए पेंशन पाने की शुरुआती उम्र 45 साल होनी चाहिए।

वृद्धावस्था पेंशन के लिए एकल-खिड़की व्यवस्था होनी चाहिए और बुजुर्ग व्यक्तियों से जुड़े मुद्दे पर विचार करने के लिए अलग से मंत्रालय होना चाहिए।

 

वृद्धावस्था पेंशन की हकदारी- कौन योग्य नहीं

वैसे व्यक्ति जिनकी आय करयोग्य मानी गई न्यूनतम रकम से ज्यादा है।

 वैसे व्यक्ति जिन्हें किन्हीं अन्य स्रोतों से पेंशन मिल रही है और वह पेंशन वृद्धावस्था-पेंशन की रकम से ज्यादा है।

वृद्धावस्था पेंशन की हकदारी को सुनिश्चित करने के लिए एपीएल-बीपीएल वाला पैमाना ना इस्तेमाल किया जाय।

वृद्धावस्था-पेंशन के  भुगतान को आधार बनाकर किसी को अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना / लोककल्याणकारी योजना के फायदों या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के फायदों से वंचित ना किया जाय

 

कितनी रकम की जरुरत होगी

 यदि मान लें कि बुजुर्गों की कुल संख्या में से 10 फीसदी बुजुर्ग ऊपर बताये गए मानकों के हिसाब से बेहतर स्थिति में होने के कारण वृद्धावस्था पेंशन के लिए योग्य नहीं हैं तो फिर सार्विक वृद्धावस्था व्यवस्था के लिए तकरीबन.360,000 करोड़ रुपये की दरकार होगी यानी जीडीपी का 4%

इस वित्तीय जिम्मेदारी का वहन प्रमुख रुप से केंद्र सरकार करे। ऊपर के आकलन को ध्यान में रखते हुए अगर मान लें कि केंद्र सरकार वित्तीय जिम्मेदारी का 75 फीसदी हिस्सा वहन करती है तो उसे कुल.270,000 करोड़ रुपये सालाना जुटाने होंगे। कारपोरेट क्षेत्र को इस साल या फिर गुजरे कुछ सालों के बजट में जो छूट दी गई है उस रकम की तुलना में यह रकम नाकुछ के बराबर है।

 इस विषय पर विशेष जानकारी के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें-

Implementation of the Old Age Pension Scheme in Visakhapatnam district, AP-A study, http://www.nird.org.in/OctLevel%202.pdf

Poverty Target Programs for the Elderly in India with special reference to National Old Age Pension Scheme, 1995, http://www.chronicpoverty.org/uploads/publication_files/CP
R2_Background_Papers_Kumar-Anand.pdf

http://www.tn.gov.in/schemes/swnmp/social_security_net.pdf

Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme, PIB, 21 April, 2008, http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=37607

Mid term Appraisal of the Eleventh Five Year Plan, http://www.indiawaterportal.org/sites/indiawaterportal.org
/files/Chapter%2012_Rural%20Development_Mid%20-Term%20Asse
ssment_11th%20Five%20Year%20Plan_%20The%20Planning%20Commi
ssion_2010.pdf

rural.nic.in/sites/downloads/programmes-schemes/NSAP%20Faq.doc  

http://rural.nic.in/sites/downloads/our-schemes-glance/FAQ
sNSAP.pdf

http://india.gov.in/govt/viewscheme.php?schemeid=1637

PM launches Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme, http://pmindia.nic.in/speech-details.php?nodeid=594 

 

 



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