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चर्चा में.... | यूपी सहित देश के 5 राज्यों में जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले सबसे ज्यादा
यूपी सहित देश के 5 राज्यों में जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले सबसे ज्यादा

यूपी सहित देश के 5 राज्यों में जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले सबसे ज्यादा

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published Published on Sep 17, 2017   modified Modified on Sep 17, 2017
क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात से अनजान थे कि गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में नवजात बच्चे बड़ी संख्या में मौत के शिकार हो सकते हैं ?


नहीं.. यूपी के कुछ जिलों में बच्चों की जानलेवा बीमारी बनकर उभरे जापानी इंसेफ्लाइटिस बीमारी और उसकी गंभीरता के बारे में अनजान होने का दावा योगी आदित्यनाथ नहीं कर सकते !


आधिकारिक तौर पर उन्हें कम से कम तीन साल पहले से पता था कि गोरखपुर समेत यूपी के कई जिलों में एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम और जापानी इंसेफ्लाइटिस बच्चों के लिए काल बनकर सामने आये हैं. उन्होंने इसके बाबत संसद में खुद सवाल पूछा था और बड़े तफ्सील से उन्हें जवाब मिला था.


तकरीबन तीन साल पहले देश की 16वीं लोकसभा में योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के सांसद के रुप में जापानी इंसेफ्लाइटिस और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम की चपेट में आये देश के जिलों के बारे में सवाल पूछा.


सवाल के जवाब में तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा हर्षवर्धन ने बताया कि देश के 20 राज्यों के 178 जिले जापानी इंसेफ्लाइटिस या एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम की चपेट में हैं. स्वास्थ्य मंत्री के 11 जुलाई 2014 जवाब में यह भी शामिल था कि गोरखपुर समेत यूपी के 36 जिले जापानी इंसेफ्लाइटिस की चपेट में हैं.


गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ 16वीं लोकसभा के लिए गोरखपुर से पांचवीं बार निर्वाचित होकर संसद पहुंचे हैं और 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पद हासिल हुआ है.


नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते 7 सालों से यूपी जापानी इंसेफ्लाइटिस और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के मामलों की तादाद के लिहाज से शीर्ष के 5 राज्यों में शामिल रहा है.


इस साल 20 अगस्त तक एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम के 6359 मामले प्रकाश में आये थे और इसमें ज्यादातर मामले असम(1609), यूपी(1323), पश्चिम बंगाल(826), मणिपुर(800) तथा तमिलनाडु(659) से संबंधित हैं.(राज्यवार तालिका देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें)

 

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम के मामले में मृत्यु-दर( इसकी गणना मामलों की कुल संख्या में मृत्यु संख्या से भाग देकर उसे 100 से गुणा करके की जाती है) अखिल भारतीय स्तर पर 6.9 प्रतिशत थी जबकि असम(8.6 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश(12.8 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल(9.8 प्रतिशत) जैसे राज्यों के लिए इससे कहीं ज्यादा.


मणिपुर(1.4 प्रतिशत) और तमिलनाडु(0 प्रतिशत) के लिए एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम से होने वाली मृत्यु-दर राष्ट्रीय औसत से कम है.


इन आंकड़ों के स्पष्ट संकेत हैं कि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम से ग्रस्त शीर्ष के पांच राज्यों में सबसे ज्यादा संगीन हालात यूपी के हैं, यहां इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों के मरने की आशंका सबसे ज्यादा है.


हालांकि बिहार में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस से मरने वाले बच्चों की तादाद शीर्ष के पांच राज्यों की तुलना में कम(69) है लेकिन इस बीमारी से संबंधित मृत्यु-दर के इस सूबे में बहुत ज्यादा(42 प्रतिशत) है.


इस साल जापानी इंसेफ्लाइटिस के 959 मामले प्रकाश में आये हैं. इनमें सर्वाधिक तादाद असम(459) में है. इसके बाद मणिपुर(161) और उत्तरप्रदेश(112) का स्थान है.


जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले में मृत्यु-दर अखिल भारतीय स्तर पर 10.8 प्रतिशत है जबकि असम, मणिपुर, और यूपी में क्रमशः 14.5 प्रतिशत, 6.8 प्रतिशत तथा 2.7 प्रतिशत. आंकड़ों से जाहिर होता है कि 2017 में असम में जापानी इंसेफ्लाइटिस से ग्रस्त बच्चों के काल-कवलित होने की आशंका अबतक सबसे ज्यादा रही है.


जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले में शीर्ष के पांच राज्यों की तुलना में बिहार में इस रोग से ग्रस्त बच्चों के कम मामले(19) प्रकाश में आये हैं लेकिन सूबे में इस बीमारी के कारण मृत्यु-दर 36.8 प्रतिशत है. पश्चिम बंगाल में इस बीमारी से जुड़ी मृत्यु दर 27 प्रतिशत है.


गौरतलब है कि 2016 में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम के कुल 11651 मामले देश भर में प्रकाश में आये. इनमें सर्वाधिक मामले यूपी((3,919), पश्चिम बंगाल (1,839), असम (1,713), ओड़ीशा (1,096) और तमिलनाडु (859) के थे.. 2016 में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम के मामले में मृत्यु दर अखिल भारतीय स्तर पर 11.2 प्रतिशत थी जबकि यूपी, पश्चिम बंगाल, असम, ओड़ीशा, तथा तमिलनाडु के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 15.8 प्रतिशत, 13.9 प्रतिशत, 10.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत और 0.4 प्रतिशत का है.


बीते साल(2016) जापानी इंसेफ्लाइटिस के 1676 मामले प्रकाश में आये थे. इनमें सर्वाधिक तादाद में मामले असम (427), यूपी (410), ओड़ीशा (242), पश्चिम बंगाल (174), और बिहार (100) से थे. 2016 में जापानी इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मृत्यु की दर अखिल भारतीय स्तर पर 16.9 प्रतिशत थी जबकि असम, यूपी, ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल तथा बिहार के लिए यह आंकड़ा 21.5 प्रतिशत, 17.8 प्रतिशत, 17.4 प्रतिशत, 22.4 प्रतिशत और 25 प्रतिशत का था.


एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम और जापानी इन्सेफ्लाइटिस- रोकथाम

जापानी इंसेफ्लाइटिस का टीका लेकर इस रोग से बचा जा सकता है. यह बात 2 दिसंबर 2016 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने संसद में एक सवाल के जवाब के क्रम में बतायी. जवाब के लिए यहां क्लिक करें.


28 जुलाइ 2017 को एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने लोकसभा में बताया कि जापानी इंसेफ्लाइटिस से ग्रस्त 231 जिलों में से 207 जिलों में 1-15 साल के बच्चों के लिए जापानी इंसेफ्लाइटिस के टीके का कार्यक्रम पूरा कर लिया गया है. मंत्री के जवाब के लिए यहां क्लिक करें.


जापानी इंसेफ्लाइटिस के बारे में जानने के लिए आप इस लिंक पर चटखा लगा सकते हैं: http://www.nvbdcp.gov.in/je-new.html

 

इस कथा के विस्तार के लिए आप निम्नलिखित लिंक देख सकते हैं--

Japanese Encephalitis, Unstarred Question no. 2223 from Shri Dr. Kirit Premjibhai Solanki and Smt. Rama Devi, Answered in Lok Sabha on 28 July, 2017, please click here to access 


Japanese Encephalitis, Unstarred Question no. 2827 from Shri Anurag Singh Thakur and Shri Rama Chandra Hansdah, Answered in Lok Sabha on 2 December, 2016, please click here to access 

 

Japanese Encephalitis and Acute Encephalitis Syndrome Deaths, Starred Question no. 77 from Yogi Adityanath, Answered in Lok Sabha on 11 July, 2014, please click here to access

Annexure referred to in reply to Lok Sabha Starred Question. No. 77, dated 11 July, 2014, please click here to access

 

Death is the only certainty here, rest is just chance -Damini Nath, The Hindu, 19 August, 2017, please click here to read more

 

Beyond the lament -K Srinath Reddy, The Indian Express, 17 August, 2017, please click here to read more  


Japanese Encephalitis in Gorakhpur: A deadly disease explained -Vidya Krishnan, The Hindu, 13 August, 2017, please click here to read more  

30 children die in 48 hours in Gorakhpur hospital, The Times of India, 12 August, 2017, please click here to read more     



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