Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
चर्चा में.... | यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..
यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..

यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..

Share this article Share this article
published Published on Sep 6, 2013   modified Modified on Sep 6, 2013

एक ऐतिहासिक कानून दूसरे ऐतिहासिक कानून के भीतर दिए गए अधिकारों को हासिल करने में मददगार हो रहा है। उत्तरी महाराष्ट्र के हजारो आदिवासी सूचना के अधिकार कानून की मदद से वनाधिकार कानून में प्रदान किए गए अपने हक को हासिल करने के करीब आन पहुंचे हैं।वनाधिकार कानून साल 2006 में बना। इसमें वनवासी और अन्य आदिवासी समुदायों को उनकी परंपरागत जमीन पर सामुदायिक और वैयक्तिक अधिकार दिये गये हैं।

बहरहाल, ग्रामीण भारत के आदिवासी समुदाय को वनाधिकार कानून के भीतर हासिल हक को हासिल करने में प्रशासनिक नौकरशाही से बड़ा कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। नौकरशाही उनके दावे के निपटारे की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरतती। कई मामलों में यह बात भी सामने आई है कि वनाधिकार कानून के अंतर्गत किए गए दावे को पूरा करने के लिए जमीन तो दी गई लेकिन दावेदार को बगैर कारण बताये दी गई जमीन का आकार छोटा कर दिया गया।

थाणे जिले के दो प्रखंडों के आदिवासी बीते 2008 से ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने इस साल के अप्रैल महीने सामूहिक रुप से सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए जानकारी मांगने का फैसला किया कि आखिर जमीन की मिल्कियत के उनके दावे आंशिक और आधे-अधूरे ढंग से क्यों पूरे किए जा रहे हैं। इस फैसले के तहत जिलास्तरीय अधिकारियों के पास आदिवासी समुदाय ने तकरीबन एक हजार से ज्यादा आरटीआई आवेदन डाले।

जिले के ग्रामीण आरटीआई आवेदन डालने के लिए तेज धूम में कतारबद्ध खड़े हैं – तस्वीर साभार वयम्
जिले के ग्रामीण आरटीआई आवेदन डालने के लिए तेज धूम में कतारबद्ध खड़े हैं – तस्वीर साभार वयम्

ग्रामीणों ने निम्नलिखित सूचना मांगी:

दावेदार का नाम ग्रामसभा द्वारा सत्यापित साक्ष्य ग्रामसभा द्वारा अनुमोदित जमीन का क्षेत्रफल एसडीएलसी द्वारा सत्यापित साक्ष्य एसडीएलसी द्वारा अनुमोदित जमीन का क्षेत्रफल क्या ग्रामसभा द्वारा अनुमोदित जमीन के क्षेत्रफल से दी जा रही जमीन का क्षेत्रफल कम है, इसका कारण क्या है दावेदार को उसके दावे के आंशिक तौर पर खारिज किए जाने के कारण बताते हुए चिट्ठी किस तारीख को भेजी गई
   

 

       
   

 

       

जब मांगी गई सूचना का कोई जवाब नहीं मिला तो ग्रामीणों ने तकरीबन 400 की संख्या में प्रथम अपील दायर की। इस बार भी ग्रामीणों को लिखित में नहीं बताया गया कि आखिर उनके दावे किस कारण से खारिज किए गए।इससे ग्रामीणों का संदेश और पक्का हुआ कि अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से वनाधिकार के तहत किए गए दावों का निबटारा किया है।

ग्रामीणों को आखिरकार 28 अगस्त को जीत हासिल हुई। इस दिन राज्य सूचना आय़ुक्त ने गांव के 10 प्रतिनिधियों द्वारा दायर द्वतीय अपील की सुनवाई की। इन 10 प्रतिनिधियों को 10 ग्रामसभाओं ने मनोनीत किया था। आयुक्त ने आदेश दिया कि सूचना के सभी अभ्यर्थियों को 8 हफ्ते के भीतर मांगी गई जानकारी दी जाय।आयुक्त ने अपने फैसले में यह भी कहा कि दसों अभ्यर्थियों को दो-दो हजार रुपये का हर्जाना दिया जाय। महत्व की एक बात यह भी है कि राज्य सूचना आयुक्त ने अपने फैसले में राजस्व विभाग के सचिव को कहा कि साल 2011 के अप्रैल महीने से अबतक वनाधिकार कानून के तहत जमीन की मिल्कियत के जितने दावे किए गए हैं उन्हें त्वरित गति से सार्वजनिक किया जाय और सूचनाओं का अद्यतन हर महीने हो।

इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक चटकायें

Citizens Report 2013 on the implementation of FRA - by Kalpavriksh, Vasundhara and Oxfam

http://fra.org.in/new/document/Community%20Forest%20Rights
%20under%20FRA%20Citizens%20Report%202013.pdf

The government’s FRA Status report in June 2013

http://www.tribal.nic.in/WriteReadData/CMS/Documents/20130
7170312400636473MPRforthemonthofjune2013.pdf

Guidelines issued in July 2012 to states on implementing FRA

http://fra.org.in/new/document/Guideline%20by%20MoTA%20on%
20Implementation%20of%20FRA.pdf

The government’s guidelines on suo moto disclosures, and a broader guide on using RTI

http://www.iitbbs.ac.in/documents/Suo_moto_disclosure-1504
2013.pdf

http://cic.gov.in/cic_circulars/direction-15112010.pdf

http://rti.gov.in/rticorner/guideonrti.pdf

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close