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चर्चा में.... | रोजगार के अवसरों में कमी के रुझान जारी: लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट
रोजगार के अवसरों में कमी के रुझान जारी: लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट

रोजगार के अवसरों में कमी के रुझान जारी: लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट

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published Published on Feb 26, 2018   modified Modified on Feb 26, 2018
संगठित क्षेत्र में रोजगार में कमी के रुझान साल 2017-18 के पहली तिमाही में भी जारी रहे. रोजगार के रुझानों से संबंधित हाल की नई रिपोर्ट से इस बात के संकेत मिलते हैं.तिमाही रिपोर्ट छठे दौर की गणना पर आधारित है और इसे लेबर ब्यूरो ने जारी किया है. रिपोर्ट में 1 जुलाई 2017 तक की स्थितियों का आकलन है.


ब्यूरो की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 की पहली तिमाही यानि 1 अप्रैल से 1 जुलाई 2017 के बीच अर्थव्यवस्था के 8 अहम क्षेत्रों में कुल 64 हजार की तादाद में रोजगार का सृजन हुआ. ध्यान रहे कि 2016-17 की अंतिम तिमाही में इन आठ क्षेत्रों में कुल 1.85 लाख कामगारों को रोजगार मिला था जो मौजूदा तादाद के करीब तीन गुना है.


नई क्वार्टली एम्पलॉयमेंट सर्वे(क्यूईएस) रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 की पहली तिमाही में हालांकि नियमित कामगारों के रोजगार के अवसरों में 1.48 लाख की बढ़ोत्तरी हुई लेकिन इस अवधि में अनुबंध पर काम करने वाले तकरीबन 64 हजार कामगारों ने जीविका के अवसर गंवाये. रिपोर्ट के तथ्यों से एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि उक्त अवधि में संगठित क्षेत्र में 23 हजार की तादाद में दिहाड़ी कामगार जीविका के अवसर से वंचित हुए.

 

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2017-18 की पहली तिमाही में स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों के लिए जीविका के अवसरों में 3000 की तादाद में बढोत्तरी हुई जबकि 2016-17 की आखिरी तिमाही में यह आंकड़ा 15000 का था.(क्वार्टली रिपोर्ट से संबंधित आंकड़ों को सारणीवार देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें)


कुल मिलाकर देखें तो 1 अप्रैल 2016 से पहले तक देश की अर्थव्यस्था(संगठित क्षेत्र) के आठ मुख्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की तादाद 202.22 लाख थी और इस आधारभूत संख्या में उक्त अवधि के बाद से 4.8 लाख की तादाद में रोजगार के अवसरों की बढ़ोत्तरी हुई है.


नई रिपोर्ट के तथ्य बताते हैं कि 2017-18 की पहली तिमाही में विनिर्माण के क्षेत्र में 72 हजार दिहाड़ी कामगार रोजगार के अवसरों से वंचित हुए जबकि एकोमोडेशन और रेस्टोरेंट के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों से वंचित होने वाले ऐसे कामगारों की संख्या 1000 रही.


रिपोर्ट के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी/बीपीओ के क्षेत्र में पहली तिमाही में दिहाड़ी कामगारों के लिए रोजगार के किसी अवसर का सृजन ना हो सका जबकि निर्माण-कार्य, ट्रेड(व्यापार) सेक्टर, शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर हासिल करने वाले दिहाड़ी कामगारों की संख्या क्रमशः 12 हजार, 8 हजार, 6 हजार तथा 24 हजार रही.


रिपोर्ट के तथ्यों के विश्लेषण से पता चलता है कि उक्त अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में अनुबंध पर काम करने वाले 54 हजार लोगों ने जीविका गंवायी जबकि निर्माण-कार्य के क्षेत्र में जीविका गंवाने वाले ऐसे कामगारों की तादाद 2 हजार थी. ट्रेड सेक्टर में अनुबंध पर काम करने वाले 4 हजार कामगार रोजगार के अवसर से वंचित हुए जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र में जीविका गंवाने वाले ऐसे कामगारों की तादाद 8 हजार रही.


अनुबंध आधारित कामगारों के लिए उक्त अवधि( 2017-18 की पहली तिमाही) में रोजगार के किसी भी नये अवसर का सृजन नहीं हो सका. हां, परिवहन और शिक्षा के क्षेत्र में इस अवधि में अनुबंध आधारित कामगारों को क्रमशः 1000 तथा 3000 हजार की तादाद में रोजगार के नये अवसर हासिल हुए.


साल 2017 के 1 अप्रैल से 1 जुलाई के बीच नियमित श्रेणी के कुल 90 हजार नये रोजगार का सृजन शिक्षा क्षेत्र में हुआ जबकि विनिर्माण के क्षेत्र में इस श्रेणी के रोजगार के नये अवसरों की तादाद 39 हजार रही. लेकिन एक गौरतलब तथ्य यह भी है कि परिवहन के क्षेत्र में नियमित श्रेणी के कुल 5 हजार कामगार रोजगार के अवसरों से वंचित हुए.


बताते चलें कि लेबर ब्यूरो के क्वार्टली सर्वे में नमूने के तौर पर शामिल इकाइयों में 65.73 प्रतिशत शहरी क्षेत्र की थीं जबकि 34.27 फीसद इकाइयां ग्रामीण क्षेत्र की. इसके अतिरिक्त सर्वे में नमूने के तौर पर शामिल 97.13 इकाइयां पंजीकृत श्रेणी की थीं जबकि शेष 2.87 प्रतिशत इकाइयां अपंजीकृत.



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