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चर्चा में.... | सिंचाई की बढ़ती संभावना और घटता उपयोग
सिंचाई की बढ़ती संभावना और घटता उपयोग

सिंचाई की बढ़ती संभावना और घटता उपयोग

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published Published on Oct 10, 2014   modified Modified on Oct 11, 2014

मॉनसून के अस्थिर मिज़ाज की मार सहती खेती के इस वक्त में आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सिंचाई का आधारभूत ढांचा ठहराव का शिकार है।

 

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैटिक्स 2014 के तीसरे अंक में कहा गया है कि सिंचाई के आधारभूत ढांचे पर खर्च बढ़ा है लेकिन सकल सिंचाई संभावनाओं(ग्रॉस इरीगेशन पोटेंशियल) के इस्तेमाल के मामले में विशेष प्रगति नहीं हुई है।(देखें नीचे रिपोर्ट की लिंक)

 

रिपोर्ट के अनुसार साल 2007-08 में सिंचाई पर कुल 36561.64 करोड़ रुपये का व्यय हुआ था जो साल 2011-12 में बढ़कर 50654.62 करोड़ रुपये हो गया लेकिन इस अवधि में व्यय बढ़ने के बावजूद सकल सिंचाई संभावनाओं के इस्तेमाल में कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2007-08 में सकल शीर्ष सिंचाई संभाविता(ग्रॉस अल्टीमेट इरीगेशन पोटेंशियल) 1971.42  हजार हैक्टेयर की थी जो साल 2011-12 में बढ़कर 2177.42 हजार हैक्टेयर हो गई लेकिन इस अवधि में बढ़ी हुई सिंचाई संभावना का जमीनी इस्तेमाल खास नहीं हो पाया। दरअसल 2007-08 से 2011-12 के बीच की अवधि में बढ़ी हुई सिंचाई संभावनाओं के इस्तेमाल में कमी आई। साल 2007-08 में सिंचाई संभावनाओं का दोहन कुल 673.22 हजार हैक्टेयर तक सीमित रहा तो साल 2011-12 में यह घटकर 486.46 हजार हैक्टेयर तक सीमित हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, 201-12 में शीर्ष सिंचाई संभाविता के महज 22.34 प्रतिशत का ही वास्तविक इस्तेमाल हो पाया।

 

रिपोर्ट के तथ्य बताते हैं कि बड़े(10 हजार हैक्टेयर से ज्यादा का कमान-क्षेत्र) और मंझोले(2 हजार हैक्टेयर से 10 हजार हैक्टेयर तक का कमान-क्षेत्र) आकार की सिंचाई योजनाओं में व्यय से बढ़ी सिंचाई-संभावनाओं का दोहन 2007-08 से 2011-12 की अवधि में 234.48  हजार हैक्टेयर से बढ़कर 289.81  हजार हैक्टेयर हो गया है लेकिन छोटे आकार(2 हजार या इससे कम का कमान-क्षेत्र) की सिंचाई योजना में सृजित संभावनाओं का दोहन इस अवधि में 438.74 हजार हैक्टेयर से घटकर 196.65 हजार हैक्टेयर हो गया है।

 

रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है कि सिंचाई संभाविता के मामले में यूपी सबसे आगे((434.3 हजार हैक्टेयर) है। इसके बाद बिहार (406.2 हजार हैक्टेयर), असम (240.08 हजार हैक्टेयर) मध्यप्रदेश (140 हजार हैक्टेयर) और आंध्रप्रदेश (120.37 हजार हैक्टेयर का स्थान है।

 

 गौरतलब है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये आबंटित करने की घोषणा की है लेकिन 2014 के बजट पर केंद्रित एक नये अध्ययन में कहा गया है कि वित्तमंत्री ने अंतरिम बजट की तुलना में दरअसल एक्सीलिरेटेड इरीगेशन बेनिफिट प्रोग्राम के मद में 1758 करोड़ रुपये की कमी कर दी है। यह राशि  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के मद में आबंटित राशि से कहीं ज्यादा है। सिंचाई के मद में कम की गई राशि का तथ्य संकेत करता है कि फिलहाल सिंचाई का मामला नई सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं हो पाया है।

 

.(सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की उपर्युक्त रिपोर्ट सिंचाई के अतिरिक्त परिवहन, ऊर्जा, संचार, पेयजल और साफ-सफाई तथा भंडारण से संबंधित आधारभूत ढांचे के बारे में अधुनातन तथ्य दिए गए हैं)

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें नीचे दी गई लिंक्स

Infrastructure Statistics 2014 (Third Issue) of the Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI) (please click here to access)

 

Data on Irrigation Infrastructure from the Infrastructure Statistics 2014 (please click here to download)

 

 Accelerating Agricultural Productivity Growth in India-Issues and Opportunities,The World Bank, May, 2014 (please click here to access) 

 

Budget 2014-15: The continuing neglect of the ‘rural' -Arindam Banerjee, eSocialSciences.org, 4 August, 2014 (please click here to download)

 

Chapter 2: Water Management and Irrigation, 11th Five Year Plan (please click here to download)

 

Studying gap between irrigation potential created and utilized in India: Final Report (2008), IIM Ahmedabad (please click here to download) 

 

Pradhan Mantri Krishi Sinchayi Yojana likely to be delayed -Jitendra, Down to Earth, 15 September, 2014 (please click here to access) 

 

Every drop of treated water counts -Manish Agarwal, The Hindu Business Line, 11 September, 2014 (please click here to access) 

 

Chhattisgarh hikes subsidy for drip irrigation, The Business Standard, 24 August, 2014 (please click here to access) 

 

Maharashtra's irrigation system tied in knots -Aman Sethi, The Business Standard, 15 August, 2014 (please click here to access) 

 

Down The Drain: India's Costly (And Losing) Irrigation Battle -Prachi Salve, 16 August, 2012, India Spend (please click here to access) 

 

Recommendations of Studies by IIMs about irrigation potential created and utilized sent to states for implementation, Press Information Bureau, 25 July, 2009 (please click here to access)



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