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चर्चा में.... | स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से अब भी कोसो दूर हैं ग्रामीण परिवार
स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से अब भी कोसो दूर हैं ग्रामीण परिवार

स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल से अब भी कोसो दूर हैं ग्रामीण परिवार

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published Published on Aug 17, 2015   modified Modified on Aug 17, 2015

केवल 15 फीसद ग्रामीण परिवार ही रसोई के लिए एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं जबकि शहरों में दो तिहाई परिवार स्वच्छ ईंधन माने जाने वाले इस रसोईगैस के उपयोग करते हैं.

 

नेशनल सैंपल सर्वे के 68वें दौर की गणना पर आधारित रिपोर्ट के तथ्य संकेत करते हैं स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल में शहर और गांव तथा जातिगत-वर्गगत भेद मौजूद है.(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

रिपोर्ट के अनुसार दो तिहाई ग्रामीण परिवार जलावन के रुप में लकड़ी या फिर अन्य ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं और ऐसे ज्यादातर परिवारों में ज्यादातर संख्या( सत्तर से अस्सी प्रतिशत ) या तो खेतिहर मजदूरों के हैं या फिर गैर खेतिहर दिहाड़ी मजदूरों के.

 

कमोबेश यही स्थिति शहरी परिवारों के बीच भी है. रिपोर्ट के अनुसार जलावन के रुप में लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन का इस्तेमाल करने वाले सर्वाधिक परिवार(41.2 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूरों के हैं.

 

नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के तथ्य बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के 87 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के तकरीबन 70 प्रतिशत परिवार ईंधन के रुप में लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं जबकि सामान्य श्रेणी में शामिल परिवारों में ठोस ईंधन का इस्तेमाल करने वाले घरों की संख्या 57 प्रतिशत है.

 

ग्रामीण इलाके में एलपीजे का इस्तेमाल करने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों की संख्या 5.3 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के परिवारों की संख्या 8.9 प्रतिशत है. गंवई इलाकों में ओबीसी श्रेणी के 16 प्रतिशत जबकि सामान्य श्रेणी में शामिल 23.3 प्रतिशत परिवार एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

 

ग्रामीण इलाके में एलपीजी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल नियमित आमदनी वाले परिवारों में है। गंवई इलाके में नियमित आमदनी वाले 44.5 प्रतिशत परिवार एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं जबकि दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित केवल 4.6 शहरी परिवारों में ही एलपीजी का इस्तेमाल हो रहा है.

 

शहरों में नियमित आमदनी वाले 76.6 प्रतिशत परिवारों में एलपीजी का इस्तेमाल होता है जबकि दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित केवल 38.9 प्रतिशत शहरी परिवार रसोईगैस का इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-

---- प्रकाश के लिए ग्रामीण इलाके के तकरीबन तीन चौथाई परिवार बिजली का उपयोग करते हैं और लगभग एक चौथाई ग्रामीण परिवार किरोसिन का. शहरों में 96.1 प्रतिशत परिवार प्रकाश के लिए बिजली का प्रयोग करते हैं जबकि 3.2 प्रतिशत शहरी परिवार इसके लिए किरोसिन का व्यवहार करते हैं.

---- रसोई के ईंधन के तौर पर लकड़ी तथा अन्य ठोस ईंधन का उपयोग करने वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या साल 1993-94 में 78.2 प्रतिशत थी जो साल 2011-12 में घटकर 67.3 प्रतिशत हो गई है. साल 1993-94 में ग्रामीण इलाकों में एलपीजी का इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या 1.9 प्रतिशत थी जो साल 2011-12 में बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है.

---- साल 1993-94 में शहरी इलाके में रसोई के ईंधन के रुप में लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या 29.9 प्रतिशत थी जो साल 2011-12 में घटकर 14 प्रतिशत हो गई है. इस अवधि में शहरी इलाके में एलपीजी इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या 29.6 प्रतिशत से बढ़कर 68.4 प्रतिशत हुई है.

---- ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जनजाति के 87 प्रतिशत परिवार जलावन के लिए लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन इस्तेमाल करते हैं जबकि अनुसूचित जाति के 69.8 प्रतिशत परिवार, ओबीसी श्रेणी के 66.4 प्रतिशत परिवार तथा सामान्य श्रेणी के 57 फीसद परिवार ग्रामीण इलाके में जलावन के तौर पर लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं.

---- शहरी इलाके में अनुसूचित जनजाति के 23.9 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के 23.0 प्रतिशत, ओबीसी के 17.7 प्रतिशत और अन्य श्रेणी के मात्र 6.5 प्रतिशत परिवार जलावन के रुप में लकड़ी या अन्य ठोस ईंधन का प्रयोग करते हैं.

---- शहरी इलाके में अनुसूचित जनजाति के 51.6 प्रतिशत परिवार, अनुसूचित जाति के 56.8 प्रतिशत, ओबीसी श्रेणी के 66 प्रतिशत तथा अन्य श्रेणी में शामिल 76.2 प्रतिशत परिवार एलपीजी का उपयोग करते हैं.

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक

 

Report No. 567 (68/1.0/4): Energy Sources of Indian Households for Cooking and Lighting, 2011-12, NSS 68th Round (July 2011-June 2012), please click here to read

 

Draft resolution proposed by 14 countries in the 68th World Health Assembly on 26 May, 2015 (accessed on 31 July 2015), please click here to read

 

Health and the environment: addressing the health impact of air pollution -Report by the Secretariat, 68th World Health Assembly (accessed on 31 July 2015), 10 April, 2015, please click here to read

Household air pollution and health (accessed on 31 July 2015), updated in March 2014, please click here to read

Air Pollution (accessed on 31 July 2015), please click here to read

 

'Air pollution causes 8m deaths/yr' -Sushmi Dey, The Times of India, 19 May, 2015, please click here to read

Cookstoves and the climate -Mridula Ramesh, The Hindu, 14 May, 2015, please click here to read

The politics of particles -Sunita Narain, Business Standard, 9 February, 2014, please click here to read more 



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