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चर्चा में..... | गृह मंत्रालय ने वार्षिक रिपोर्ट में 2018 में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबंधित डेटा नहीं किया प्रकाशित
गृह मंत्रालय ने वार्षिक रिपोर्ट में 2018 में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबंधित डेटा नहीं किया प्रकाशित

गृह मंत्रालय ने वार्षिक रिपोर्ट में 2018 में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबंधित डेटा नहीं किया प्रकाशित

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published Published on Mar 16, 2020   modified Modified on Mar 16, 2020

हाल ही में हुए दिल्ली दंगों में 45 से ज्यादा लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है. इसलिए देश में होने वाली सांप्रदायिक घटनाओं से संबंधित आधिकारिक आंकड़ों को देखना आवश्यक है. हम यह आंकड़े, गृह मंत्रालय (MoHA) की हर वर्ष जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट, जिसमें विभिन्न वर्षों में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या के बारे में जानकारी मिलती है, से देख सकते हैं. इस रिपोर्ट में सांप्रदायिक घटनाओं में घायल और मारे जाने वाले लोगों की संख्या स्पष्ट रूप से दर्शायी जाती है. हालांकि, वर्ष 2018-19 में सांप्रदायिक घटनाओं से संबंधित आंकड़ों को गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में दर्शाया नहीं गया है.

गौरतलब है कि वर्ष 2003-04 से गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट को इस वेब लिंक- https://mha.gov.in/documents/annual-reports से एक्सेस किया जा सकता है. नीचे दर्शायी गई तालिका -1 से पता चलता है कि देश में सांप्रदायिक घटनाओं की कुल संख्या 2002 में 722, 2003 में 711, 2004 में 640, 2005 में 779, 2006 में 698, 2007 में 761, 2008 में 943, 2009 में 791, 2010 में 701, 2011 में 580, 2012 में 668, 2013 में 823, 2014 में 644, 2015 में 751, 2016 में 703 और 2017 में 822 थी.

तालिका 1: विभिन्न वर्षों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या, मारे गए और घायल हुए लोग


स्रोत: गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट (विभिन्न वर्ष), https://mha.gov.in/documents/annual-reports

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तालिका 1 में ही, यह देखा जा सकता है कि भारत भर में सांप्रदायिक घटनाओं में मरने वालों की कुल संख्या 2002 में 1,130, 2003 में 193, 2004 में 129, 2005 में 124, 2006 में 133, 2007 में 99, 2008 में 167, 2009 में 119, 2010 में 116, 2011 में 91, 2012 में 94, 2013 में 133, 2014 में 95, 2015 में 97 और 2016 में 86 और 2017 में 111 थी . वर्ष 2002 में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में सबसे ज्यादा हत्याएं हुईं हैं. इसी साल गोधरा ट्रेन जलने की घटना हुई थी, जिसके बाद गुजरात सहित पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे.

तालिका -1 बताती है कि 2002 में सांप्रदायिक घटनाओं में घायल हुए लोगों की संख्या 4,375, 2003 में 2,261, 2004 में 2,022, 2005 में 2,066, 2006 में 2,170, 2007 में 2,227, 2008 में 2,354, 2009 में 2,342, 2010 में 2,138, 2011 में 1,899, 2012 में 2,117, 2013 में 2,269, 2014 में 1,921, 2015 में 2,264, 2016 में 2,321 और 2017 में 2,384 रही.

गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध वार्षिक रिपोर्टों में हिंदू-मुस्लिम और हिंदू-ईसाई दंगों में होने वाली मौतों और घायलों से संबंधित कुछ वर्षों का ही डेटा उपलब्ध है. उदाहरण के लिए, 2009 में देश में हुईं 750 हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक घटनाओं में 123 लोगों की मौत हुई और 2,380 लोगों को चोटें आईं थी. इसी तरह, साल 2010 में (15 दिसंबर, 2010 तक), देश में हुईं 48 हिंदू-ईसाई सांप्रदायिक घटनाओं में 2 व्यक्तियों की मृत्यु और 8 व्यक्तियों के घायल होने का आंकड़ा दर्ज है.

लेकिन, गृह मंत्रालय की हालिया वर्षों की वार्षिक रिपोर्टों में हिंदू-मुस्लिम और हिंदू-ईसाई दंगों में मृत्यु और चोटों से संबंधित डेटा पूरी तरह से गायब है.

सांप्रदायिक दंगों पर एनसीआरबी का डेटा

द क्राइम इन इंडिया नामक रिपोर्ट, जिसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) हर साल प्रकाशित करता है, भी सांप्रदायिक दंगों समेत विभिन्न वर्षों में हुए हर तरह के दंगों का डेटा जारी करता है.

द क्राइम इन इंडिया (विभिन्न वर्षों में) रिपोर्ट से, हमें पता चलता हैं कि 2014 में सांप्रदायिक/धार्मिक दंगों (आईपीसी अपराधों के तहत) के कुल मामले 1227, (अपराध दर = 0.1 प्रतिशत), 2015 में 789 (अपराध = 0.1) प्रतिशत), 2016 में 869 (अपराध दर = 0.1 प्रतिशत), 2017 में 723 (अपराध दर = 0.1 प्रतिशत) और 2018 में 512 (अपराध दर = शून्य प्रतिशत) थे. ये आंकड़े तालिका -1 में दिए गए आंकड़ों से मेल नहीं खाते हैं.

गृह मंत्रालय और एनसीआरबी द्वारा सांप्रदायिक घटनाओं/दंगों की संख्या पर दर्ज किए गए आंकड़ों में विचलन का उल्लेख लोकसभा कार्रवाई के दौरान उठाए गए अतारांकित प्रश्न संख्या 6036 के उत्तर में भी किया गया है. (लोकसभा में 11 अप्रैल, 2017).

गौरतलब है कि अपराध दर की गणना प्रति एक लाख जनसंख्या पर अपराध की घटनाओं के रूप में की जाती है.

2018 में सांप्रदायिक/धार्मिक दंगों के अधिकांश मामले बिहार (167), महाराष्ट्र (94) और हरियाणा (45) में दर्ज किए गए थे.

2018 में सांप्रदायिक दंगों के मामलों में पीड़ितों की कुल संख्या 812 थी. उस साल सबसे अधिक पीड़ित बिहार (339), महाराष्ट्र (143) और मध्य प्रदेश (65) राज्य में दर्ज किए गए थे.

2018 में, 24 ऐसे हत्या के मामले सामने आए जिनमें मकसद सांप्रदायिक / धार्मिक था.

2018 में, सांप्रदायिक/धार्मिक दंगों (आईपीसी अपराधों) से संबंधित अपराधों के तहत 4,097 व्यक्ति (4,006 पुरुष और 91 महिलाएं) गिरफ्तार किए गए. सांप्रदायिक/धार्मिक दंगों के मामलों में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की कुल संख्या में से 14 नाबालिग, 18-29 वर्ष की आयु के 2,024, 30-44 वर्ष की आयु के 1,570,  45-59 वर्ष आयु-समूह के 457 व्यक्ति और 32 व्यक्ति 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के थे. इसलिए, सांप्रदायिक / धार्मिक दंगों के मामलों में गिरफ्तार किए गए अधिकांश जनों (49.4 प्रतिशत) की उम्र 18-29 वर्ष के बीच थी. बहुत सारी मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि हाल ही में हुए दिल्ली के दंगों में किशोरों और युवकों की भागीदारी काफी अधिक थी.

2014 से पहले, एनसीआरबी के वार्षिक प्रकाशन ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट्स में दंगों की संख्या पर आंकड़े प्रकाशित किए जाते थे, लेकिन दंगों को जाति-आधारित या सांप्रदायिक दंगों (या किसी अन्य प्रकार के दंगों) में वर्गीकृत नहीं किया जाता था. वर्ष 2014 के बाद से धर्म, जाति, जन्म स्थान आदि के आधार पर 'अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले अपराध' पर आधारित एक अलग खंड भी शामिल किया गया है. लेकिन क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट में विभिन्न वर्षों में सांप्रदायिक दंगों में मारे गए और घायल हुए लोगों की संख्या पर कोई डेटा भी नहीं दिया गया है.


स्रोत: ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट (विभिन्न वर्ष), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो,  www.ncrb.gov.in/crime-india

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चार्ट -1, वर्ष 1992 में 1,04,749 से 2018 में 57828 तक दंगों की कुल संख्या (सांप्रदायिक दंगो समेत अनेको तरह के दंगो) की बदलती तस्वीर दर्शाता है.
न तो एनसीआरबी की रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया’ में और न ही गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट ने हमें सांप्रदायिक घटनाओं/दंगों में मारे गए या घायल हुए लोगों की धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में कोई जानकारी प्रदान की है.

हालांकि, द पोलिस प्रोजेक्ट की 2 मार्च, 2020 की एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के हालिया सांप्रदायिक दंगों में मरने वाले अधिकांश व्यक्ति मुस्लिम थे.

References:

Annual reports (various years), Ministry of Home Affairs, https://mha.gov.in/documents/annual-reports

Crime in India reports (various years), NCRB, www.ncrb.gov.in/crime-india

Unstarred question no 590 to be answered in Lok Sabha on 6th February, 2018, please click here to access

Unstarred question no 6036 to be answered in Lok Sabha on 11th April 2017, please click here to access

The high cost of targeted violence in Northeast Delhi: A list of the deceased, The Polis Project dated 2nd March, 2020, please click here to access

What happened in Delhi was a pogrom -Mira Kamdar, The Atlantic, 28th February, 2020, please click here to access

Delhi violence: Cops shouted “Jai Shri Ram” with armed Hindu mob, charged at Muslims -Kaushal Shroff, Caravan Magazine, 25th February, 2020, please click here to access

Is government crime data reliable? The case of ‘communal incidents data’ -Rakesh Dubbudu, Factly.in, 1 December, 2017, please click here to access

 

Image Courtesy: UNDP India


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