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चर्चा में..... | ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा

ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा

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published Published on Dec 18, 2009   modified Modified on Dec 18, 2009

यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें तो यह आंकड़ा और ऊपर जा सकता है।(देखें नीचे दी गई लिंक)

सरकार ने ग्रामीण गरीबी के आंकड़ों को लेकर हो रही आलोचनाओं के मद्देनजर तेंदुलकर समिति गठित की थी। तेंदुलकर समिति के आकलनों के मुताबिक भारत में गरीबी की तादाद राष्ट्रीय स्तर पर 37.2 फीसदी है ना कि 27.5 फीसदी जैसा कि साल 2004-05 में आधिकारिक तौर पर माना गया था।ठीक इसी तरह ग्रामीण भारत में 41.8 फीसदी है ना कि 28.3 फीसदी जैसा कि पहले के आधिकारिक आकलन की मान्यता रही है। नये आकलन के मुताबिक साल 2004-05 को आधार वर्ष मानें तो शहरों में गरीबी 25.7 फीसदी है। बिहार, ओड़ीसा, मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में गरीबी अपने भयंकरतम रुप में है, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है।

गरीबी के इन नए आंकड़ों के बाद योजना आयोग के लिए कहते ना बने रहते ना बने और मन ही मन पीर पिरैबो करे कि स्थिति बन चली है। योजना आयोग ने साल 2004-05 को आधार वर्ष मानकर भारत में गरीबों की तादाद 27.5 फीसदी बतायी थी।

तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट से पहले प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार समूह की राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ठनी हुई थी क्योंकि सूबों के सरबराह कह रहे थे कि गरीबों की संख्या केंद्र के आकलन के विपरीत ज्यादा है और बीपीएल कार्ड की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।केंद्र सरकार योजना आयोग के आंकड़े को प्रमाण मानकर बीपीएल कार्ड की संख्या बढ़ाने के लिए तैयार नहीं थी।राष्ट्रीय आहार सुरक्षा विधेयक के संकल्प पत्र में कहा गया था कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की तादाद केंद्र सरकार द्वारा तय की जाएगी। दूसरी तरफ राज्यों ने केंद्र द्वारा प्रस्तावित 6.52 करोड़ गरीब परिवारों के विपरीत 10.68 करोड़ गरीब परिवारों को बीपीएल कार्ड मार्च 2009 तक बांटे थे।

 तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट के बाद सूबों ने पहले दौर की लड़ाई जीत ली है।तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट के मान लिए जाने का मतलब है कि अगर केंद्र सरकार राष्ट्रीय आहार सुरक्षा विधेयक पर आगे बढ़ने का मन बनाती है तो उसे पहले से कहीं ज्यादा बीपीएल कार्ड बांटने की बात माननी पड़ेगी।सभी गरीबों के लिए भोजन के अधिकार की आवाज उठाने वाले नागरिक संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों को भी समिति के आकलन से बल मिला है।

गरीबी के आकलन में तेंदुलकर समिति ने पहले के मानक से तनिक अलग राह अपनायी। साल 1973-74 में किलो कैलोरी को आधार मानकर गरीबी रेखा के निर्धारण की परिपाटी बनी। शहरों में 2100 किलो कैलोरी और गांवों में 2400 किलो कैलोरी उपभोग मात्रा हासिल करने के लिए जितने रकम की जरुरत रोजाना हो उसे गरीबी की रेखा के निर्धारण के लिए आधार बिन्दु माना गया। तेंदुलकर समिति ने इससे अलग राह अपनाते हुए गरीबी के आकलन में किलो कैलोरी के साथ साथ स्वास्थ्य, साफ-सफाई और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को राजाना हासिल करने में लगी रकम को भी प्रमाण माना है।.

तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट से इस विश्वास की भी कलई खुलती है कि समाज के ऊपरले सिरों पर धनिकों की तादाद बढ़ेगी तो इसका असर नीचे तक पड़ेगा और सोपान क्रम में नीचे आने वाले लोग भी क्रमश गरीबी से ऊपर उठते जायेंगे। तथ्य यह है कि 6-7 फीसदी की सालाना वृद्धि दर के बावजूद हाल के बरसो में गरीबी घटाने के प्रयास खास नहीं हुए।

 तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट से पहले प्रो अर्जुसेन गुप्ता समिति ने भी कहा था कि लगभग 77 फीसदी भारतीय रोजाना 20 रुपये से भी कम की आमदनी पर गुजारा करने के लिए बाध्य हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित एन सी सक्सेना समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह ग्रामीण भारत में गरीब परिवारों के निर्धारण के लिए मानक सुझाए। इस समिति ने माना था कि 50 फीसदी भारतीय परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे माना जाना चाहिए। सरकार ने सेनगुप्ता और सक्सेना समिति की रिपोर्टों पर कान नहीं दिया।

(इस विषय पर विस्तार के लिए देखें नीचे दी जा रही लिंक)

Tendulkar panel claims every third Indian is poor by Rupashree Nanda, 11 December, 2009
http://ibnlive.in.com/news/poverty-in-india-increased-by-1
0-per-cent-report/106886-3.html?from=tn

Every third Indian under poverty line, says report, 14 December 2009
http://southasia.oneworld.net/todaysheadlines/every-third-
indian-under-poverty-line-says-report

An honest measure of poverty by Josy Joseph, DNA, 14 December, 2009
http://www.dnaindia.com/india/report_an-honest-measure-of-
poverty_1323446

Tendulkar panel report on poverty by month-end: Montek, 4 November, 2009
http://in.news.yahoo.com/20/20091104/372/tbs-tendulkar-pan
el-report-on-poverty-by.html

37.2% of India is in poverty by criterion of consumption by P Vaidyanathan Iyer and Priyadarshi Siddhanta, 9 December, 2009
http://www.expressindia.com/latest-news/37-2-of-India-is-i
n-poverty-by-criterion-of-consumption/551849/

Number of poor in India rises by 10%, Rediff.com, 11 December, 2009
http://business.rediff.com/report/2009/dec/11/number-of-po
or-in-india-rises-by-10-percent.htm

Food Security Bill: No consensus yet on how to measure poverty, Infochange
http://infochangeindia.org/200907147831/Poverty/News/Food-
Security-Bill-No-consensus-yet-on-how-to-measure-poverty.h
tml

Poverty line set to rise, number of poor to swell by Chetan Chauhan, The Hindustan Times, 12 October, 2009
http://www.hindustantimes.com/News-Feed/newdelhi/Poverty-l
ine-set-to-rise-number-of-poor-to-swell/461409/Article1-46
4024.aspx

Poverty up, social schemes to get boost by Pradeep Thakur, The Times of India
http://epaper.timesofindia.com/Default/Scripting/ArticleWi
n.asp?From=Archive&Source=Page&Skin=TOI&BaseHr
ef=CAP/2009/12/15&PageLabel=1&EntityId=Ar00108&
;ViewMode=HTML&GZ=T

The Great Poverty Debate by Mansukh Kaur, World Sikh News
http://worldsikhnews.com/15%20July%202009/The%20Great%20Po
verty%20Debate.htm

More Indians in 'extreme poverty', BBC, 21 August, 2009
http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/8214061.stm

Political Sociology of Poverty In India: Between Politics of Poverty and Poverty of Politics by Anand Kumar
http://www.esocialsciences.com/data/articles/Document11011
200996.388491E-02.pdf

http://planningcommission.gov.in/eg_poverty.htm
http://rural.nic.in/latest/rpt_bpl_census2009.pdf
http://planningcommission.gov.in/news/prmar07.pdf

The Challenge of Employment in India: An Informal Economy Perspective, Volume-I, Main Report, National Commission for Enterprises in the Unorganised Sector (NCEUS), April, 2009, http://nceus.gov.in/:

Data and dogma: the great Indian poverty debate by Angus Deaton and Valerie Kozel, September 2004, http://papers.ssrn.com/sol3/papers.cfm?abstract_id=593864

Poverty Estimates for 2004-05, Government of India Press Release, New Delhi, March, 2007, http://planningcommission.gov.in/news/prmar07.pdf

Poverty and Hunger in India: What is needed to eliminate them by Arvind Virmani, Working Paper No. 1/2006-PC, Planning Commission, February 2006,
http://planningcommission.gov.in/reports/wrkpapers/wk_pov106.pdf

New data show 1.4 billion live on less than $1.25 a day, but progress against poverty remains strong,
http://www.worldbank.org.in/WBSITE/EXTERNAL/COUNTRIES/SOUT
HASIAEXT/INDIAEXTN/0,,contentMDK:21880805~pagePK:141137~pi
PK:141127~theSitePK:295584,00.html

 

 

 

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