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चर्चा में..... | भारत में जननी मृत्यु की संख्या बहुत ज्यादा- यूनिसेफ रिपोर्ट

भारत में जननी मृत्यु की संख्या बहुत ज्यादा- यूनिसेफ रिपोर्ट

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published Published on Nov 25, 2009   modified Modified on Nov 25, 2009

गर्भावस्था या प्रसवकालीन जटिलताओं के काऱण विश्व में सालाना जितनी महिलाओं की मृत्यु होती है उसमें दो तिहाई महिलाओं सिर्फ दस राष्ट्रों की हैं।केवल भारत और नाइजर  को ही एक साथ मिलाकर देखें तो यहां गर्भावस्था या प्रसवकालीन जटिलताओं के कारण मरने वाली महिलाओं की संख्या विश्व-संख्या की एक तिहाई है।।यूनिसेफ द्वार हाल ही में जारी  स्टेट ऑव वर्ल्डस् चिल्ड्रेन 2009 नामक एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जननी-मृत्यु की तादाद में भारत की हिस्सेदारी खतरनाक ढंग से ऊंची(22फीसदी) है।(पूरी रिपोर्ट के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)।

जननी-मृत्यु को रोकने की दिशा में भारत के इस चिन्ताजनक रिकार्ड से साफ होता है कि उसने इस मामले में पूरी दृढता से कदम नहीं उठाये हैं जबकि जननी-मृत्यु दर को किसी देश की स्वास्थ्य-व्यवस्था का सबसे अच्छा मानक माना जाता है।गर्भावस्था या प्रसवकालीन जटिलताओं के कारण साल 2005 में कुल 536000 महिलायें मृत्यु का शिकार हुईं और इनमें से 99 फीसदी घटनायें विकासशील देशों में हुईं।रिपोर्ट के अनुसार जननी-मृत्यु की तादाद एशिया और अफ्रीका को मिलाकर वैश्विक तादाद की 95 फीसदी है जबकि नवजात शिशुओं की मृत्यु की घटना के मामले में यह आंकड़ा इन महादेशों को एक साथ मिलाकर 90 फीसदी तक पहुंचता है।

जननी और बाल-मृत्यु रोकने के मामले में भारत की दयनीय दशा का एक संभावित कारण यहां मौजूद गरीबी,पिछड़ापन और बाल-विवाह का चलन जान पड़ता है।रिपोर्ट के अनुसार कम उम्र में मां बनने के कारण स्त्रियों के स्वास्थ्य पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है।मां बनते समय लड़की की उम्र जितनी कम होती है नवजात शिशु और गर्भवती स्त्री की जान को जोखिम उतना ही ज्यादा रहता है।15-19 साल की उम्र की लड़कियों की मृत्यु का एक बड़ा कारण उनका अपेक्षित समय से पहले गर्भधारण करना है।रिपोर्ट के मुताबिक मात्र कम उम्र में गर्भधारण करने की वजह से विश्व में सालाना 70 हजार महिलाओं की मृत्यु होती है।

कम उम्र में विवाह और गर्भधारण के अतिरिक्त, रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के स्वास्थ्य पर यौन-हिंसा और अन्य लैंगिक असमानतागत दुर्व्यवहारों का भी निर्णायक असर पड़ता है।लैंगिक भंदभाव के कारण लड़कियों में स्कूल वंचित होने की घटना ज्यादा होती है जो कि फिर से उन्हें गरीबी और मातृ-मृत्यु के दुश्चक्र में डालता है।

रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों और कम उम्र माताओं को शिक्षित करना गरीबी के मकड़जाल को तोड़ने और जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य के लिए सहायक परिवेश तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

http://www.unicef.org/sowc09/docs/SOWC09-FullReport-EN.pdf
http://www.unicef.org/sowc09/

 

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