Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
चर्चा में..... | विदर्भ- राहत पैकेज के चार साल बनाम ४८ घंटे में पांच आत्महत्याएं

विदर्भ- राहत पैकेज के चार साल बनाम ४८ घंटे में पांच आत्महत्याएं

Share this article Share this article
published Published on Sep 16, 2009   modified Modified on Sep 16, 2009
अगस्त महीने के आखिरी दो दिनों के अंदर महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में पांच किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों उन्हीं जिलों के हैं जिनके लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा की गई थी। विदर्भ जनआंदोलन सिमिति द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार विदर्भ में अगस्त महीने के आखिरी ४८ घंटों में  सूखे की स्थिति में फसल के मारे जाने से परेशान पांच किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों के नाम हैं-दिलीप चवाण(यवतमाल), ओंकार उन्हाले(बुलढाना),  रामदास राढौड़( वासिम), बाबाराव दवारे(वर्धा) और बालकृष्ण सोनावणे(गोंडिया)।

किसानी के संकट और किसानों की आत्महत्या के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर चुके विदर्भ के इलाके में किसानों की आत्महत्या की यह सूचना ठीक उस वक्त आई है जब सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि साल २००९ की पहली छमाही में किसानों की आत्महत्या की घटना में उल्लेखनीय ढंग से कमी आई है। पिछले हफ्ते एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक साल २००८ में फसल के मारे जाने, कर्जदारी और सूखे के कारण ११०५ किसानों ने आत्महत्या की थी जबकि इस साल के पहले छह महीनों में इन्ही कारणों से आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या २०३ है। विदर्भ जन आंदोलन समिति द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि ४८ घंटों के अंदर पांच किसानों की आत्महत्या और सिर्फ अगस्त महीने में विदर्भ में ५५ किसानों की आत्महत्या की घटनाएं सरकार द्वारा जारी इस आंकड़ों को झुठलाते हैं।

विदर्भ जन आंदोलन सिमिति के किशोर तिवारी का कहना है कि भारत सरकार का किसानी के संकट से उबरने का दावा भ्रामक है क्योंकि अबतक २८६ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है और दक्षिण तथा मध्यभारत में अधिकांश फसलों की बुवाई रोपाई का वक्त निकल चुका है। फिलहाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कृषिमंत्री शरद पवार हर गुजरते हफ्ते के साथ कह रहे हैं कि देश भयंकर सूखे की चपेट में है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में फसल मारी जाएगी और नकदी फसलों की खेती करने वाले किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा। नतीजतन किसान आत्महत्या की राह अपनाएंगे, खासकर उस स्थिति में जब प्रधानमंत्री द्वारा घोषित विशेष राहत पैकेज और सरकारी कर्जमाफी की योजना विदर्भ के किसानों को संकट से उबारने में असफल सिद्ध हो रही है।
 
विदर्भ के किसानों के लिए प्रधानमंत्री के विशेष राहत पैकेज की कारअमली पर सवाल उठाते हुए किशोर तिवारी का तर्क है कि अगर विदर्भ में किसानों की आत्महत्या में कमी आई है तो फिर सरकार मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच के आदेश के बावजूद
www.vnss-mission.gov वेबसाईट को अपडेट करने से क्यों कतरा रही है। गौरतलब है कि इस वेबसाईट का निर्माण पश्चिमी विदर्भ इलाके में किसानों की आत्महत्या की घटना पर नजर रखने और इससे संबंधित सूचना संग्रह करने के लिए किया गया है। किशोर तिवारी की बात को बल मिलता है विशेष राहत पैकेज की कारअमली पर पिछले साल जारी सीएजी की एक रिपोर्ट से। इस रिपोर्ट में कहा गया कि विदर्भ के किसानों को लाभ पहुंचाने में राहत पैकेज का उपाय असफल रहा है।    


विदर्भ में इस साल मानसून की बारिश में अप्रत्याशित कमी आई है और इलाके में सूखे की स्थिति बड़ी गंभीर है। ध्यान रहे कि विदर्भ के ९० फीसदी किसान फसलों की सिंचाई के लिए (जून से सितंबर के बीच) बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं जबकि इस इलाके में कपास की खेती मुख्य रुप से बीटी कॉटन बीजों पर निर्भर है जिसके लिए सिंचाई के साधनों का होना एक पूर्व शर्त है। इस साल मानसून की दगा से खरीफ फसलों का आधा से ज्यादा वक्त निकल चुका है जबकि इलाके में कुल वर्षा सामान्य से ६० फीसदी कम हुई है। किशोर तिवारी का कहना है कि सूखे की भयंकरता को देखते हुए इस बात की आशंका बढ़ चली है कि कुल उपज में कम से कम ५० फीसदी की गिरावट आएगी।

(विदर्भ में किसानी के मौजूदा हालात पर निम्नलिखित लिंक्स देखें)
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close