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न्यूज क्लिपिंग्स् | अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 34 परसेंट बढ़ा

अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 34 परसेंट बढ़ा

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published Published on Mar 2, 2010   modified Modified on Mar 2, 2010
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2009-10 की अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 34 परसेंट बढ़कर 3। 5 लाख करोड़ रुपये रहा जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.62 लाख करोड़ रुपये था। वैश्विक वित्तीय संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये सरकार की ओर से दिये गये प्रोत्साहन पैकेज का असर राजकोषीय घाटे पर पड़ा है।

अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बजटीय अनुमान का 87.2 परसेंट है। बजट अनुमान में राजकोषीय घाटा 4.01 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई है।

सितंबर 2008 में शुरू हुए वित्तीय संकट के मद्देनजर आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के इरादे से सरकार ने दिसंबर 2008 से एक तरफ जहां सार्वजनिक व्यय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की वहीं दूसरी ओर शुल्कों में तीन चरणों में कटौती की।

हालांकि, सरकार ने 2010-.11 के बजट में प्रोत्साहन पैकेज को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके तहत उत्पाद शुल्क 2 परसेंट बढ़ाकर 10 परसेंट कर दिया गया और अन्य कर की दरों में बढ़ोतरी की जिससे कार, एसी, और अन्य कई अन्य चीजें महंगी हो गई।

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.9 परसेंट रहने का अनुमान है जो पूर्व के 6.8 परसेंट के अनुमान से थोड़ा ज्यादा है। वित्त वर्ष 2010-11 के लिये राजकोषीय घाटा 5.5 परसेंट रहने का अनुमान जताया गया है।

इसी प्रकार, सरकार का राजस्व घाटा जनवरी तक बढ़कर 2 . 84 लाख करोड़ रुपये रहा। पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले यह 100 फीसद अधिक है। सरकार की कर वसूली का हिस्सा 3 . 33 लाख करोड़ रुपये रहा जो राजस्व प्राप्ति का बड़ा हिस्सा है।

जनवरी तक केंद्र का कुल व्यय 7.83 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि प्राप्ति 4.34 लाख करोड़ रुपये रही। सरकार के 7.83 लाख के कुल व्यय में गैर-योजनागत व्यय का हिस्सा 70 फीसद है। इसमें ब्याज भुगतान की राशि शामिल है।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कुल व्यय 10.2 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है। इसमें से 76.8 परसेंट हिस्सा पहले ही व्यय किया जा चुका है।
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